‘बच्चों पर शरिया थोप रहे इस्लामी कट्टरपंथी’, झारखंड में स्कूलों का इस्लामीकरण को रोकने लिए हाईकोर्ट में जनहित याचिका

झारखंड (Jharkhand) में इस्लामीकरण (Islamization) एक बड़ी समस्या बनकर सामने आया है। हालात यह हैं कि इस्लामीकरण के इस खेल की जद में स्कूल भी आ गए हैं। स्कूलों में उर्दू और जबरन इस्लामिक शिक्षा का विवाद अब हाईकोर्ट के दरवाजे तक पहुंच गया है। इस मामले में वकील राजीव कुमार के जरिए सामाजिक कार्यकर्ता पंकज यादव ने झारखंड हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है। उन्होंने अपनी याचिका में स्कूलों के इस्लामीकरण पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश देने की मांग की है।

रविवार की जगह शुक्रवार यानी जुम्मा को छुट्टी

याचिकाकर्ता ने कहा कि झारखंड के मुस्लिम बहुल इलाकों जामताड़ा, पाकुड और गढ़वा सहित कम-से-कम छह जिलों में स्कूलों का ‘इस्लामीकरण’ हो चुका है। यहां स्कूलों में जबरदस्ती उर्दू को जोड़ा जा रहा है। यहीं नहीं, स्कूल बोर्ड रविवार के जगह शुक्रवार (जुम्मा) को छुट्टी दे रहा है।

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उन्होंने याचिका में कहा कि इस्लामी कट्टरपंथी नाबालिग स्कूली बच्चों पर शरीयत और इस्लामी प्रथाओं को लागू करने की कोशिश कर रहे हैं। स्कूली प्रार्थना को जबरदस्ती बदल दिया गया है और बच्चों को प्रार्थना के दौरान हाथ नहीं जोड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है।

मुस्लिम छात्रों की संख्या अधिक होने पर हिंदूओं को दाखिला नहीं

कोर्ट में दायर याचिका में पंकज यादव ने दावा किया है कि अब तक दस जिलों से स्कूलों को शुक्रवार को बंद रखने की जानकारी मिली है और अगर सही तरीके से जांच की जाए तो जिलों की संख्या बढ़ सकती है। याचिका में कहा गया है कि हिंदू छात्रों का गढ़वा के एक स्कूल में सिर्फ इसलिए दाखिला नहीं दिया गया, क्योंकि उस स्कूल में मुस्लिम छात्रों की संख्या ज्यादा थी।

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याचिकाकर्ता पंकज यादव का कहना है कि शिक्षा मंत्री के आदेश के बाद जामताड़ा के स्कूल शुक्रवार को खोले जा रहे हैं, लेकिन छात्रों और शिक्षकों को स्कूल में घुसने नहीं दिया जा रहा है। पंकज यादव ने आरोप लगाया कि झारखंड में एक बड़ी साजिश के तहत इस तरह की असंवैधानिक और अनैतिक हरकतें की जा रही हैं, जिससे समाज का सौहार्द्र बिगड़ रहा है।

इसके साथ ही जनहित याचिका में उन्होंने ऐसा करने वाले स्कूलों पर एक्शन लेने की मांग की है। उन्होंने कहा कि अगर यह जनसंख्या के आधार पर तय किया जाना है कि कोई स्कूल हिंदी या उर्दू माध्यम होगा तो राज्य में कोई भी स्कूल उर्दू नहीं रहेगा, क्योंकि पूरे राज्य में हिन्दू 70-75 प्रतिशत से अधिक हैं।

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