भाजपा नेता का सांसदों और मंत्रियों से 10 सवाल- पढ़कर आप हो जाएंगे हैरान

भाजपा के प्रवक्ता और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील अश्विनी उपाध्याय ने महंगाई, गरीबी, जनसँख्या विस्फोट, भुखमरी, कुपोषण, प्रदूषण और भ्रष्टाचार जैसे कई मुद्दों को लेकर प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और वित्तमंत्री समेत सभी सांसदों को चिट्ठी लिखी है. अपनी इस चिट्ठी में उन्होंने सभी से 10 सवाल पूछे हैं और इन 10 मुद्दों पर अपनी राय स्पष्ट करने को कहा है. अश्विनी उपाध्याय ने अपनी चिठ्ठी में लिखा…

 

ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के करप्शन परसेप्शन इंडेक्स में भारत कभी भी शीर्ष 20 देशों में शामिल नहीं हो पाया. यदि पिछले 20 साल की रैंकिंग देखें तो 1998में हम 66वें स्थान पर, 1999 में 72वें स्थान पर,2000 में 69वें स्थान पर, 2001 और 2002 में 71वें स्थान पर, 2003 में 83वें स्थान पर, 2004 में 90वें स्थान पर, 2005 में 88वें स्थान पर, 2006 में 70वें स्थान पर, 2007 में 72वें स्थान पर, 2008 में 85वें स्थान पर, 2009 में 84वें स्थान पर, 2010 में 87वें स्थान पर, 2011 में 95वें स्थान पर, 2012 में 94वें स्थान पर, 2013 में 87वें स्थान पर, 2014 में 85वें स्थान पर, 2015 में 76वें स्थान पर, 2016 में 79वें स्थान पर और 2017 में 81वें स्थान पर थे. इससे स्पष्ट है कि जमीनी स्तर पर भ्रष्टाचार में कोई कमी नहीं आयी है.

 

इस वर्ष ग्लोबल हंगर इंडेक्स में हम 103वें स्थान पर, साक्षरता दर में 168वें स्थान पर, वर्ल्ड हैपिनेस इंडेक्स में 133वें स्थान पर, ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स में 130वें स्थान पर, सोशल प्रोग्रेस इंडेक्स में 93वें स्थान पर, यूथ डेवलपमेंट इंडेक्स में 134वें स्थान पर, होमलेस इंडेक्स में 8वें स्थान पर, न्यूनतम वेतन में 124वें स्थान पर, क्वालिटी ऑफ़ लाइफ इंडेक्स में 43वें स्थान पर, फाइनेंसियल डेवलपमेंट इंडेक्स में 51वें स्थान पर, रूल ऑफ़ लॉ इंडेक्स में 66वें स्थान पर, एनवायरनमेंट परफॉरमेंस इंडेक्स में 177वें स्थान पर, आत्महत्या के मामले में 43वें स्थान पर तथा पर कैपिटा जीडीपी में हम 139वें स्थान पर हैं. अंतराष्ट्रीय रैंकिंग में भारत की इस दयनीय स्थिति का मूल कारण जमीनी स्तर पर व्याप्त भ्रष्टाचार और जनसँख्या विस्फोट है.

 

आप तो जानते हैं कि रोटी कपड़ा और मकान की समस्या, गरीबी, भुखमरी और कुपोषण की समस्या तथा वायु प्रदूषण जल प्रदूषण मृदा प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण की समस्या सहित भारत की 80% समस्याओं का मूल कारण भ्रष्टाचार और जनसँख्या विस्फोट ही है, इसलिए मैं आपसे विनम्रतापूर्वक निवेदन करता हूँ कि निम्नलिखित 10 विषयों पर अपनी राय स्पष्ट करें.

 

1.  अंग्रेजों द्वारा 1860 में बनाई गयी भारतीय दंड संहिता, 1861 में बनाया गया पुलिस एक्ट, 1872 में बनाया गया एविडेंस एक्ट, 1882 में बनाया गया प्रॉपर्टी ट्रांसफर एक्ट, 1897 में बनाया गया जनरल क्लॉज़ एक्ट तथा 1908 में बनाये गए सिविल प्रोसीजर कोड को बदले बिना अदालतों पर मुकदमों का बोझ कम करना और भ्रष्टाचार पर नियंत्रण करना असंभव है.

 

पुराने और घटिया कानूनों के कारण ही सज्जन कुमार जैसे लोगों को सजा देने में 34 साल लगता है. क्या आप सहमत हैं कि 25 साल से अधिक पुराने सभी कानूनों को तत्काल रिव्यु करना चाहिए?

 

2.  हमारे भ्रष्टाचार विरोधी कानून विकसित देशों की तुलना में बहुत ही कमजोर हैं और किसी भी कानून में भ्रष्टाचारियों की 100% संपत्ति जब्त करने और आजीवन कारावास देने का प्रावधान नहीं है. 2004- 2014 के बीच 12 लाख करोड़ रूपये और 1950 से अबतक 50 लाख करोड़ रूपये का घोटाला हुआ लेकिन आजतक किसी भी लुटेरे को आजीवन कारावास नहीं दिया गया.

 

क्या आप सहमत है कि भ्रष्टाचारियों, हवाला कारोबारियों, कालाबाजारियों, जमाखोरों, मिलावटखोरों, नशे के सौदागरों, मानव तस्करों तथा बेनामी और आय से अधिक संपत्ति रखने वालों की 100% संपत्ति जब्त करने और आजीवन कारावास देने के लिए कानून में तत्काल बदलाव करना चाहिए?

 

3.  देश के 80%नागरिक प्रतिदिन 100 रु से कम खर्च करते हैं और अब प्रत्येक परिवार के पास डेबिट या क्रेडिट कार्ड है. आतंकवादियों, अलगाववादियों, नक्सलवादियों और पत्थरबाजों की फंडिंग तथा घूसखोरी, जमाखोरी, कालाबाजारी, मानव तस्करी, नशे का कारोबार और हवाला कारोबार में कैश और बड़ी नोट का ही प्रयोग होता है.

 

क्या आप सहमत हैं कि भ्रष्टाचार और अलगाववाद को जड़ से समाप्त करने के लिए 100 रु से बड़ी नोट तत्काल बंद करना चाहिए तथा 10 हजार रु से महँगी वस्तुओं का कैश लेन-देन बंद करने और एक लाख रूपये से महंगी वस्तुओं और संपत्तियों को आधार से लिंक करने के लिए वर्तमान संसद सत्र में ही एक कानून बनाना चाहिए?

 

4.  एक सजायाफ्ता व्यक्ति क्लर्क, चपरासी या होमगार्ड नहीं बन सकता है लेकिन राजनीतिक पार्टी बनाकर पार्टी अध्यक्ष बन सकता हैं. क्लर्क, चपरासी या होमगार्ड बनने के लिए भी न्यूनतम शैक्षिक योग्यता और अधिकतम आयु सीमा निर्धारित है लेकिन सांसद-विधायक बनने के लिए इसकी जरुरत नहीं है जबकि विधानसभा- लोकसभा को लोकतंत्र का मंदिर तथा विधायक- सांसद को माननीय कहते हैं.

 

क्या आप सहमत हैं कि सजायाफ्ता व्यक्ति के चुनाव लड़ने, राजनीतिक दल बनाने और पार्टी पदाधिकारी बनने पर आजीवन प्रतिबंध होना चाहिए तथा चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता और अधिकतम आयु सीमा का निर्धारण होना चाहिए?

 

5.  समान शिक्षा (एक देश- एक शिक्षा) के बिना सबको समान अवसर उपलब्ध कराना असंभव है. बच्चा गरीब हो या अमीर, हिंदू हो या मुसलमान, सिख हो या ईसाई, कच्छ का रहने वाला हो या कामरूप का, कश्मीर का रहने वाला हो या कन्याकुमारी का, पठन-पाठन का माध्यम मातृभाषा और पाठ्यक्रम एक समान होना चाहिए. शिक्षा अधिकार कानून की तरह सभी बच्चों के लिए चिकित्सा अधिकार कानून भी बनाना चाहिये.

 

क्या आप सहमत हैं कि सभी बच्चों के लिए समान शिक्षा कानून और समान चिकित्सा कानून वर्तमान संसद सत्र में ही बनाना चाहिए?

 

6.  संविधान का आर्टिकल 14-15 समानता और आर्टिकल 16 नौकरियों में सबको समान अवसर उपलब्ध कराता है. अटल जी द्वारा बनाये गए वेंकटचलैया आयोग के सुझाव पर शिक्षा को मौलिक अधिकार बनाने के लिए संविधान में आर्टिकल 21A जोड़ा गया और शिक्षा अधिकार कानून बनाया गया. मूल शिक्षा अधिकार कानून उन सभी स्कूलों पर लागू था जहाँ 6-14 वर्ष के बच्चे पढ़ते थे लेकिन कांग्रेस ने 2012 में संशोधन किया और मदरसों को शिक्षा अधिकार कानून के दायरे से बाहर निकाल दिया.

 

क्या आप सहमत हैं मदरसों को शिक्षा अधिकार कानून के दायरे में लाना चाहिए और प्रत्येक जिले में प्रतिवर्ष एक नया केंद्रीय विद्यालय खोलना चाहिए?

 

7.  भारत इकलौता देश है जिसका दो नाम है-  भारत और इंडिया, देश में दो निशान है- तिरंगा और कश्मीर का झंडा, देश में दो संविधान है- भारत का संविधान और कश्मीर का संविधान. संविधान सभा के दिनांक 24.1.1950 के प्रस्ताव के अनुसार भारत में दो राष्ट्रगान हैं जन-गन-मन और वंदेमातरम. यह धारणा पूर्णतः गलत है कि वंदेमातरम राष्ट्रगीत है और जन-गन-मन राष्ट्रगान. संविधान या किसी कानून में राष्ट्रगीत का जिक्र नहीं है. सरदार पटेल और श्यामाप्रसाद जी “एक देश एक नाम एक निशान एक राष्ट्रगान एक विधान एक संविधान” चाहते थे लेकिन आजादी के 70 साल बाद भी “एक देश दो नाम दो निशान दो राष्ट्रगान दो विधान दो संविधान” जारी है.

 

क्या आप “एक देश एक नाम एक निशान एक राष्ट्रगान एक विधान एक संविधान” चाहते हैं?

 

8.  दुनिया के सभी देशों में वहां का अल्पसंख्यक समुदाय समान अधिकार के लिए संघर्ष कर रहा है लेकिन भारत में पिछले 70 साल से यह कार्य बहुसंख्यक कर रहा हैं. भारत इकलौता धर्मनिरपेक्ष देश है जहाँ धार्मिक आधार पर हिंदू के लिए हिंदू मैरिज एक्ट, मुसलमान के लिए मुस्लिम मैरिज एक्ट और ईसाई के लिए क्रिस्चियन मैरिज एक्ट लागू है. संविधान सभा में विस्तृत चर्चा करने के बाद सभी भारतीयों के लिए समान नागरिक संहिता का प्रावधान किया गया लेकिन इसे लागू करने के लिए गंभीर प्रयास नहीं किया गया. संविधान निर्माता डॉ राजेंद्र प्रसाद, बाबासाहब आंबेडकर, सरदार पटेल और श्यामाप्रसाद जी सभी भारतीयों के लिए एक समान नागरिक संहिता चाहते थे. देश के कई हाईकोर्ट समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए कह चुके हैं. सुप्रीम कोर्ट भी समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए सरकार को याद दिला चुका है. अटल जी द्वारा बनाये गए संविधान समीक्षा आयोग ने भी सभी भारतीयों के लिए समान नागरिक संहिता लागू करने का सुझाव दिया था लेकिन स्पष्ट बहुमत के अभाव में वे इसे लागू नहीं कर पाये.

 

क्या आप सहमत हैं कि सभी भारतीयों के लिए एक समान नागरिक संहिता लागू होना चाहिए?

 

9.  देश के कई राज्यों में हिंदू पहले ही अल्पसंख्यक हो चुके हैं इसके बावजूद बड़े पैमाने पर धर्म परिवर्तन हो रहा है. लक्षद्वीप और मिजोरम में हिंदू अब मात्र 2.5% तथा नागालैंड में 8.75% बचे हैं. मेघालय में हिंदू अब 11%, कश्मीर में 28%, अरुणाचल में 29% और मणिपुर में 30% बचे हैं और जिस प्रकार से सुनियोजित ढंग से धर्म परिवर्तन हो रहा है, यदि उसे नहीं रोका गया तो आने वाले 10 वर्षों में स्थिति अत्यधिक भयावह हो जायेगी. धर्मांतरण कराने वाले लोग झूठ पाखंड अंधविश्वास और चमत्कार के सहारे गरीब किसान मजदूर दलित शोषित और पिछड़ों का धर्म-परिवर्तन करते हैं और कानून के अभाव में पुलिस कुछ कर नहीं पाती है. भारत विरोधी शक्तियां धर्म- परिवर्तन के माध्यम से हिंदुओं को पूरे हिंदुस्तान में अल्पसंख्यक बनाना चाहती हैं.

 

क्या आप सहमत हैं कि अंधविश्वास- पाखंड फ़ैलाने वालों तथा धर्मांतरण कराने वालों की 100% संपत्ति जब्त करने और इन्हें आजीवन कारावास की सजा देने के लिए एक अंधविश्वास-कालाजादू विरोधी कानून और एक धर्मांतरण विरोधी कानून वर्तमान संसद सत्र में ही बनाना चाहिये?

 

10.  वर्तमान समय में 122 करोड़ भारतीयों के पास आधार है, 20% अर्थात 25 करोड़ बिना आधार के हैं तथा 4 करोड़ बांग्लादेशी और 1 करोड़ रोहिंग्या अवैध रूप से भारत में रहते हैं. इससे स्पष्ट है कि हमारी कुल जनसँख्या 130 करोड़ नहीं बल्कि लगभग 152 करोड़ है और हम चीन से आगे निकल चुके हैं. यदि संसाधनों की बात करें तो हमारे पास कृषि योग्य भूमि दुनिया की 2% है, पीने योग्य पानी 4% है और जनसँख्या दुनिया की 20% है. हमारा क्षेत्रफल चीन का एक तिहाई है और जनसँख्या वृद्धि की दर तीन गुना. चीन में प्रति मिनट 11 बच्चे और भारत में प्रति मिनट 33 बच्चे पैदा होते हैं. जल जंगल जमीन की समस्या, रोटी कपड़ा मकान की समस्या, गरीबी, बेरोजगारी की समस्या, भुखमरी, कुपोषण की समस्या तथा वायु जल और ध्वनि प्रदूषण की समस्या का मूल कारण जनसँख्या विस्फोट है. टेम्पो बस रेल तथा थाना, तहसील जेल में भीड़ का मूल कारण जनसँख्या विस्फोट है. चोरी डकैती झपटमारी, घरेलू हिंसा और महिलाओं पर अत्याचार तथा अलगाववाद कट्टरवाद और पत्थरबाजी का मूल कारण भी जनसँख्या विस्फोट है. चोर लुटेरे झपटमार तथा बलात्कारियों और भाड़े के हत्यारों पर सर्वे करने से पता चलता है कि 80% से अधिक अपराधी ऐसे हैं जिनके माँ- बाप ने हम दो- हमारे दो नियम का पालन नहीं किया इससे स्पष्ट है कि 50% समस्याओं का मूल कारण जनसँख्या विस्फोट है.

 

क्या आप सहमत हैं कि वर्तमान संसद सत्र में एक जनसँख्या नियंत्रण कानून बनाना चाहिये?

 

देशहित में उपरोक्त 10 विषयों पर अपनी राय सार्वजनिक करें. धन्यवाद और आभार! अश्विनी

 

बता दें, अश्विनी उपाध्याय दिल्ली उच्च न्यायालय से लेकर सुप्रीम कोर्ट में 50 से अधिक जनहित याचिकाओं के लिए जाने जाते हैं. इन्होने चुनाव, न्यायिक सिस्टम में सुधार, मुस्लिमों में बहुविवाह, तीन तलाक, हलाला आदि मुद्दों पर याचिकाएं अदालतों में दायर कर रखीं हैं. अभी हाल ही में इन्होने वर्तमान शीतकालीन सत्र में जनसँख्या नियंत्रण पर प्रभावी क़ानून बनाने तथा आर्टिकल 35A, आर्टिकल 370, ‘इंडिया’ शब्द तथा कश्मीर के अलग संविधान को समाप्त करने की मांग करते हुए पीएम मोदी सहित सभी सांसदों की चिट्ठी लिखी थी.

 

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