प्रवर्तन निदेशालय ने उत्तर प्रदेश में हुए अवैध रेत खनन मामले में मनी लांड्रिंग का केस दर्ज कर लिया है। प्रवर्तन निदेशालय की लखनऊ यूनिट ने पूर्व खनन मंत्री गायत्री प्रजापति, अखिलेश यादव और अन्य आईएस अधिकारीयों के खिलाफ मनी लांड्रिंग का केस दर्ज किया है। यह केस सीबीआई की उस एफआईआर पर आधारित है, जिसमें राज्य के खनन मंत्रियों और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के 2012-2016 कार्यकाल के दौरान उनकी भूमिका की जांच की मांग की गई है।
अखिलेश यादव के पास था खनन विभाग
सूत्रों ने यहां बताया कि 2012 से जून 2013 तक खनन विभाग का अतरिक्त प्रभार अखिलेश यादव के पास ही था। उनके मुताबिक, सीबीआई इस मामले में तत्कालीन खनन मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति को भी नोटिस भेज सकती है।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, यह कार्रवाई समाजवादी पार्टी के शासन के दौरान बुंदेलखंड क्षेत्र में हुए खनन घोटाले के सिलसिले में की गई। सीबीआई टीम ने 2008 बैच की आईएएस अधिकारी चंद्रकला के साथ-साथ सपा के एमएलसी रमेश मिश्रा और हमीरपुर के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष संजीव दीक्षित के आवासों पर भी छापा मारा। लखनऊ, नोएडा, हमीरपुर और कानपुर में कुल 12 ठिकानों पर छापामारी की गई। इस दौरान वरिष्ठ आईएएस अधिकारी के आवास से कुछ अहम दस्तावेज जब्त किए गए।
ई-टेंडर के जरिये पट्टा स्वीकृत करने के नियमों की अनदेखी
गौरतलब है कि अखिलेश यादव की सरकार में चंद्रकला को हमीरपुर का जिलाधिकारी तैनात किया गया था। आरोप है कि उन्होंने जुलाई 2012 के बाद सपा के कुछ नेताओं को हमीरपुर में मौरंग के खनन के 60 पट्टे अवैध रूप से आवंटित किए। इसमें उन्होंने ई-टेंडर के जरिये पट्टा स्वीकृत करने के नियमों की अनदेखी की। वर्ष 2015 में अवैध रूप से जारी मौरंग खनन को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की गई।
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इसके बाद कोर्ट ने 16 अक्तूबर 2015 को हमीरपुर में जारी मौरंग खनन के सभी 60 पट्टे अवैध घोषित करते हुए रद्द कर दिए। कोर्ट ने 28 जुलाई 2016 को इस मामले की जांच सीबीआई से कराने का निर्देश दिया। पिछले महीने, सीबीआई टीम ने एक सप्ताह के लिए हमीरपुर में रहकर इस मामले की जांच की थी।
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