उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के हजरतगंज में मांगे पूरी ने होने से भड़के पीआरडी जवानों ने प्रदेश सरकार को अपनी ताकत का अहसास कराया है। इस दौरान पीआरडी जवान सड़क पर लेट गए और यातायात पूरी तरह से रोक दिया। आनन-फानन में मौके पर पहुंचे आलाधिकारी मुख्यमंत्री से बातचीत का आश्वासन देकर एक घंटे बाद स्थिति को सामान्य करने में सफल हो पाए।
पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने कराई वार्ता
सूत्रों ने बताया है कि प्रदर्शनकारी मानदेय बढ़ाने और नियमित किये जाने सहित अन्य मांगों को लेकर एकत्र हुए थे। पीआरडी मानदेय कर्मचारी वेलफेयर एसोसिएशन के बैनर तले प्रदेश भर से सैकड़ों की संख्या में जवान जीपीओ स्थित गांधी प्रतिमा के समक्ष एकत्र हुए। पीआरडी जवान अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से वार्ता कराने की मांग कर रहे थे।
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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने जवानों की प्रमुख सचिव से वार्ता के बहाने उप निदेशक युवा कल्याण से वार्ता करा दी। इसी बात से नाराज सैकड़ों पीआरडी जवान हजरतगंज चौराहे पर आ गये और चारों ओर से सड़क जाम कर दी। इसके बाद सड़क पर लेटकर प्रदर्शन शुरू कर दिया। करीब एक घंटे तक चले प्रदर्शन के बाद अधिकारियों ने मुख्यमंत्री से वार्ता का आश्वासन देकर काफी मुश्किल से जाम खुलवाया। प्रदर्शनकारी सुबह से लेकर देर शाम तक जीपीओ और पटेल पार्क में जमे रहे।
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नेताजी सुभाष चंद्र बोस की अगुवाई में हुआ था पीआरडी विभाग का गठन
प्रदर्शनकारियों की अगुवाई कर रहे संगठन के प्रदेश अध्यक्ष राम नरेश यादव ने बताया कि पीआरडी विभाग का गठन 1935 में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की अगुवाई में हुआ था। सन 1957 तक पीआरडी विभागों को थानों की कमान संभालने का दायित्व मिलने के साथ ही पुलिस बी का दर्जा मिला था।
उन्होंने बताया कि उस समय 14 पद थे। इसमें 9 पद का स्थायीकरण कर दिया लेकिन पांच पद ब्लाक कमांडर, हल्का सरदार, दलपत, टोली नायक, रक्षक को छोड़ दिया गया। उन्होंने बचे पदों को नियमित कर राज्य कर्मचारी का दर्जा देने की मांग की।
उधर, महामंत्री रामा प्रसाद तिवारी ने कहा कि साल 2016 में गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने प्रदेश में भाजपा सरकार बनने पर झूलेलाल पार्क में पीआरडी जवानों को नियमिति करने का वादा किया था। उन्होंने कहा कि 26 मार्च 2017 को सरकार बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने जीडीए सभागार में भी मानदेय बढ़ाने का आश्वासन दिया लेकिन अभी तक उसे पूरा नही किया गया।
पीआरडी जवानों की ये हैं मांगें
- होमगार्ड के समान सुविधाएं, नियमित डयूटी, भत्ता।
- जवानों को नियमित करना।
- पीआरडी विभाग को युवा कल्याण से अलग कर विभागाध्यक्ष आईपीएस अधिकारी बनाया जाए।
- 60 साल सेवा से के बाद पेंशन व्यवस्था या एकमुश्त धनराशि दिलाई जाए।
- पीआरडी जवानों को थानों व चौकियों पर ट्रैफिक व रेलवे और डायल 100 आदि में लगाया जाए।
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