बस विवाद (Bus controversy) में कांग्रेस (Congress) की मुश्किल कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय लल्लू (Ajay Kumar Lallu) की रिहाई तो हो चुकी है, लेकिन प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) के निजी सचिव संदीप सिंह (Sandeep Singh) को अभी जेल में ही रहना पड़ेगा. शुक्रवार को जमानत याचिका पर सुनवाई के लिए हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने बहस सुनने के बाद उन्हें कोई राहत नहीं दी. हाई कोर्ट ने जामनत याचिका पर सुनवाई के दौरान योगी सरकार के प्रयासों को सराहा, वहीं मामले को लेकर कांग्रेस पर बेहद तल्ख टिप्पणी कीं.
हाई कोर्ट ने सरकार से रिपोर्ट भी तलब की है और अगली सुनवाई के लिए 29 जून की तारीख दे दी है.संदीप पर प्रवासी श्रमिकों के लिए लगाई गईं एक हजार बसों की सूची में हेराफेरी के मामले में एफआईआर की गई थी. हालांकि 17 तारीख को उत्तर प्रदेश के कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष पूरे 29 दिन बाद जेल से रिहा हो गए लेकिन संदीप सिंह को अभी भी जेल में ही रहना होगा.
श्रमिकों को लाने के प्रयास उत्साहजनक
यह आदेश जस्टिस राजेश सिंह चौहान की एकल पीठ ने संदीप की ओर से दायर अर्जी पर पारित किया. तल्ख टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार ने प्रवासी श्रमिकों केा लाने के लिए जो प्रयास किए वह उत्साहजनक थे. जब सभी लोग कोविड महामारी से जुझ रहे हों तो किसी को चाहे वह कोई राजनीतिक दल ही क्यों न हो, अपने हितों के तहत कार्य नहीं करना चाहिए.
इससे पहले संदीप की ओर से उनके वकील नदीम मुर्तजा का तर्क था कि हजरतगंज पुलिस ने याची पर दुर्भावनावश कार्रवाई की है. वहीं सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता वीके साही ने तर्क दिया कि याची के खिलाफ सीधे सबूत हैं और विवेचना अभी जारी है लिहाजा याची को अग्रिम जमानत देने से विवेचना प्रभावित होगी.
बसों का प्रस्ताव देने का औचित्य नहीं
बता दें कि इससे पहले मंगलावर को अजय लल्लू की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने कहा था कि कांग्रेस द्वारा दिए गए बसों के प्रस्ताव का कोई औचित्य नहीं था. अगर प्रस्ताव आया भी तो सरकार को सेवा में किसी कमी पर प्रकिया के अनुसार कार्रवाई का हक बनता था.
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