बढ़ने वाली हैं बिकरू कांड के आरोपियों की मुश्किलें, जब्तीकरण के लिए संपत्तियों का चिन्हीकरण शुरू

यूपी के कानपुर में हुए बिकरू कांड को आज भी कोई नहीं भूल पाया है. जी हैं ये वही मामला है जिसमें चौबेपुर के कुख्यात विकास दुबे ने अपने साथियों के साथ 8 पुलिसकर्मियों को मौत के घाट उतार दिया था. इस मामले में भले ही विकास के साथ उसके कई साथियों को मुठभेड़ में मार गिराया गया, पर अभी भी कई दर्जन आरोपी जेल की सलाखों के पीछे है. अब जेल में बंद इन आरोपियों की संपत्तियों का चिन्हीकरण कर उनके जब्तीकरण की कार्रवाई की जाएगी. इससे पहने अभी तक दुर्दांत विकास दुबे और उसके साथियों की पुलिस ने अब तक पचास करोड़ से अधिक की संपत्ति चिन्हित की है. जिस पर जल्द ही कार्रवाई भी शुरू हो जाएगी.

गैंगस्टर एक्ट के अंतर्गत हो रही कार्रवाई

जानकारी के मुताबिक, बिकरू गांव में 2 जुलाई 2020 की रात में दबिश देने गई पुलिस पर विकास दुबे और उसके साथियों ने हमला कर दिया था. इस हमले में तत्कालीन सीओ बिल्हौर सहित आठ पुलिसकर्मी हो की मौत हो गई थी. जिसके बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए विकास दुबे सहित छह अपराधियों को ढेर कर दिया. लगातार हो रही कार्रवाईयों के अंतर्गत ताबड़तोड़ गिरफ्तारियों का दौर चला और पुलिस ने तकरीबन 4 दर्जन लोगों को गिरफ्तार किया. विकास दुबे के गैंग को पंजीकृत कर उनके साथियों के ऊपर गैंगस्टर की कार्रवाई की गई.

गैंगस्टर की कार्रवाई के अंतर्गत अब उनकी संपत्तियों के जब्तीकरण की कार्रवाई की जा रही है. ऐसी संपत्ति यहां जो अपराध करके अधिक की गई है, उनका चिन्हीकरण जा रहा है. कानपुर आउटर पुलिस ने अब तक 50 करोड़ से अधिक की संपत्ति चिन्हित की है.

क्या है बिकरू कांड

दो जुलाई 2020 की रात को चौबेपुर के जादेपुरधस्सा गांव निवासी राहुल तिवारी ने विकास दुबे व उसके साथियों पर हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज कराया था. एफआईआर दर्ज करने के बाद उसी रात करीब साढ़े बारह बजे तत्कालीन सीओ बिल्हौर देवेंद्र कुमार मिश्रा के नेतृत्व में बिकरू गांव में दबिश दी गई. यहां पर पहले से ही विकास दुबे और उसके गुर्गे घात लगाए बैठे थे. घर पर पुलिस को रोकने के लिए जेसीबी लगाई थी.
पुलिस के पहुंचते ही बदमाशों ने उनपर छतों सेे गोलियां बरसानी शुरू कर दी थीं. चंद मिनटों में सीओ देवेंद्र मिश्रा समेत आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर ये सभी फरार हो गए थे. इन पुलिसकर्मियों में सीओ बिल्हौर देवेंद्र मिश्रा, एसओ शिवराजपुर महेश यादव, चौकी प्रभारी मंधना अनूप कुमार, सब इंस्पेक्टर नेबू लाल, सिपाही जितेंद्र पाल, सिपाही सुल्तान सिंह, सिपाही बबलू कुमार, सिपाही राहुल शामिल थे.

इस वारदात के बाद महकमे के साथ साथ पूरे प्रदेश में हड़कम्प मच गया था. तीन जुलाई की सुबह सबसे पहले पुलिस ने विकास के रिश्तेदार प्रेम कुमार पांडेय और अतुल दुबे को एनकाउंटर में मार गिराया. यहीं से एनकाउंटर पर एनकाउंटर शुरू हुए. इसके बाद हमीरपुर में अमर दुबे को ढेर किया. इटावा में प्रवीण दुबे मारा गया. पुलिस कस्टडी से भागने पर पनकी में प्रभात मिश्रा उर्फ कार्तिकेय मिश्रा ढेर कर दिया गया.

विकास दुबे का नौ जुलाई की सुबह उज्जैन में नाटकीय ढंग से सरेंडर हुआ था. एसटीएफ की टीम जब उसको कानपुर लेकर आ रही थी तो सचेंडी थाना क्षेत्र में हुए एनकाउंटर में विकास मार दिया गया था. एसटीएफ ने दावा किया था कि गाड़ी पलटने की वजह से विकास पिस्टल लूटकर भागा और गोली चलाईं. जवाबी कार्रवाई में वो ढेर हो गया. हालांकि इन एनकाउंटर के बाद कई लोगों ने यूपी पुलिस पर सवाल उठाए लेकिन जांच में सभी सही पाए गए.

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