बॉलीवुड: जीरो के डायरेक्टर आनंद एल रॉय का कहना है की जीरो से पहले मैंने जितनी भी फिल्में बनाई ( तनु वेड्स मनु, रांझना, तनु वेड्स मनु रिटर्न ) वो सभी मैंने रियल लोकेशन पर शूट की थी. कानपूर, बनारस, लखनऊ, हरियाणा। लेकिन ‘जीरो’ में वीएफएक्स मेरी जरूरत बन गया है. मेरे आस-पास पहले भी यह तकनीक थी, परन्तु अपनी फिल्म में मैंने इसका अलग ढंग से इस्तेमाल किया है. मुझे लगा की मैं वीएफएक्स को लाऊ और उसे इमोशन की तरह इस्तेमाल करूं। वीएफएक्स से लोगों को चौकाने या चीजें बड़ी दिखाने के बजाय इसका उपयोग भावनाओं को जगाने के लिए करूं।
जीरो की कहानी चुनी ही इसलिए कि मेरे लिए इसमें वीएफएक्स का नयापन था. इससे पहले मैंने जो कहानियां कही थी, उनमें मुझे इस तकनीक की कभी जरूरत नहीं पड़ी. मेरे लिए वीएफएक्स तकनीक नहीं है, वह भी भावनाएं ही हैं. मुझे लगता है की वीएफएक्स सिनेमा की बेहतरी के लिए है. जब आप समय के साथ विकसित होते हैं, तो चीजें आपके हक़ में जाती हैं. जैसे मोबाइल फ़ोन इसके आने से पहले भी मैं सारे काम कर रहा था. रिश्ते भी निभा रहा था. आज भी दोनों कर रहा हूँ. मगर इसने मेरे जीवन को थोड़ा आसान ही किया है. इसने रिश्ते निभाते हुए प्रोफ़ेशनल काम करने की सुविधा भी दी है. यही चीज वीएफएक्स से होती है. वह मेरी कहानी को थोड़ा बेहतर बना सकता हैं.
Also Read: सनी लियोनी ने Kissing Video पोस्ट करते हुए लिखा- अब मेरा काम का मूड है…
दर्शकों से जुड़ने में मदद कर सकता है, मैं मानता हूँ की अगर वीएफएक्स का इस्तेमाल सिर्फ इमोशंस से अलग रहकर केवल दृश्य में इफेक्ट लाने के लिए करता हूँ, तो यह मिस-गाइड भी कर सकता है. कहानी बिगाड़ भी सकता है. मैं मानता हूँ की वीएफएक्स की वजह से फिल्मों में कहानियां सुनाने का दायरा बढ़ गया है, परन्तु इसका इस्तेमाल सही जगह पर होना चाहिए। इसलिए वीएफएक्स दिखाने के लिए कहानी मत बनाइए, इसको कहानी के लिए इस्तेमाल कीजिये।
Also Read: शर्लिन चोपड़ा ने टॉपलेस पोस्ट में कहा- महिलाओं को गहरा पसंद है
( देश और दुनिया की खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें, आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं. )