सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के 22 मार्च को दिए गए आदेश पर रोक लगा दी है। इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने अपने आदेश में यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट 2002 को असंवैधानिक बताया था। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट का ये कहना कि मदरसा बोर्ड संविधान के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांत का उल्लंघन करता है, ये ठीक नहीं है।
यूपी सरकार को जारी किया नोटिस
सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ही मदरसा बोर्ड के 17 लाख छात्रों और 10 हजार अध्यापकों को अन्य स्कूलों में व्यवस्थित कराने की प्रक्रिया पर भी रोक लगा दी है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने इस मामले में केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस भी जारी किया है।
अंशुमान सिंह राठौर नामक एक वकील ने यूपी मदरसा कानून की संवैधानिकता को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर हाईकोर्ट ने मदरसा कानून को असंवैधानिक मानते हुए इसे खत्म कर दिया था।
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हाईकोर्ट की जस्टिस विवेक चौधरी व जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा कि सरकार के पास यह पावर नहीं है कि वह धार्मिक शिक्षा के लिए बोर्ड का गठन करे या फिर किसी विशेष धर्म के लिए स्कूल शिक्षा बोर्ड बनाए। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने अपने आदेश में राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वह राज्य के मदरसों में पढ़ रहे छात्रों को अन्य स्कूलों में व्यवस्थित करे।।
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