मुकेश कुमार, संवाददाता गोरखपुर। उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक और बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। निषाद पार्टी के युवा प्रकोष्ठ के पूर्व प्रदेश सचिव धर्मात्मा निषाद की आत्महत्या से पूरे निषाद समाज में गहरा आक्रोश है। आत्महत्या से पहले धर्मात्मा निषाद ने सोशल मीडिया पर एक सुसाइड नोट पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने पार्टी नेतृत्व और विशेष रूप से कैबिनेट मंत्री डॉ. संजय निषाद, उनके पुत्र गोरखपुर सांसद प्रवीण निषाद और चौरीचौरा विधायक ई. श्रवण निषाद पर गंभीर आरोप लगाए।
सुसाइड नोट में क्या लिखा था?
धर्मात्मा निषाद ने अपने सुसाइड नोट में लिखा कि उन्होंने पार्टी के लिए 10 साल तक संघर्ष किया, लेकिन उन्हें नजरअंदाज कर दिया गया। उन्होंने लिखा “मैं अपनी जिंदगी की लड़ाई हार गया, लेकिन समाज को जगाने के लिए यह कदम उठा रहा हूं।”
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श्रवण निषाद के दौरे पर विरोध : धर्मात्मा निषाद की मौत के बाद चौरीचौरा विधायक ई. श्रवण निषाद उनके परिवार से मिलने पहुंचे, लेकिन गांव में भारी विरोध हुआ। गुस्साए ग्रामीणों ने ‘मुर्दाबाद’ के नारे लगाए और उन्हें गांव छोड़कर जाने पर मजबूर कर दिया।
इसके बाद श्रवण निषाद ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर लिखा – “मैं अपनी जिम्मेदारी से भागने वालों में से नहीं हूं। चाहे कितना भी विरोध झेलना पड़े, मैं धर्मात्मा निषाद जी के परिवार से जरूर मिलूंगा।”
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मंत्री संजय निषाद का बयान: कैबिनेट मंत्री डॉ. संजय निषाद ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह उनकी छवि खराब करने की साजिश है। उन्होंने निष्पक्ष जांच की मांग की है।
क्या आत्महत्या या कोई साजिश?
अब सवाल उठ रहा है कि धर्मात्मा निषाद की मौत एक व्यक्तिगत फैसला थी या इसके पीछे कोई गहरी साजिश? निषाद समाज में गुस्सा है और पूरा मामला राजनीतिक तूल पकड़ चुका है। प्रशासन पर निष्पक्ष जांच का दबाव बढ़ता जा रहा है।
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