सपा-बसपा गठबंधन से बाहर हुई कांग्रेस, सीटों के इस फार्मूले पर हुए दोनों राजी, इस तारीख को हो सकता है एलान

जहाँ एक ओर 5 राज्यों के चुनाव में जबरदस्त प्रदर्शन के बाद कांग्रेस की गठबंधन के लिए बारगेनिंग पॉवर बढ़ती हुई नजर आ रही है, वहीं उत्तर प्रदेश के सियासी समीकरण को समझे तो गठबंधन में बारगेनिंग की तो छोड़िये कांग्रेस गठबंधन में शामिल होती तक नहीं दिख रही है. राजनीतिक के जानकारों और सूत्रों की मानें तो सपा और बसपा ने कांग्रेस को गठबंधन से बाहर रखने का फैसला लगभग कर लिया है इतना ही नहीं सीट बटवारे का फार्मूला भी तय माना जा रहा है. इसकी औपचारिक घोषणा बसपा सुप्रीमो मायावती के जन्मदिवस  माने कि 15 जनवरी को किया जाएगा.

 

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जानकारी के मुताबिक सीटों के बंटवारे के जिस फ़ॉर्मूले पर दोनों राजी हुए हैं, उसके मुताबिक इस गठबंधन में अजीत सिंह की आरएलडी को भी शामिल किया गया है. मायावती की बसपा को 38, अखिलेश की सपा को 37 और रालोद  को 3 सीटों के फार्मूले पर तीनों राजी हुए हैं. हालांकि चुनाव परिणाम आने के बाद गठबंधन की गुंजाईश बनी रहे लिहाजा गठबंधन कांग्रेस के गढ़ अमेठी और रायबरेली में गठबंधन प्रत्याशी नहीं उतारेगा. साथ ही सपा अपने कोटे की कुछ सीटें भी अन्य छोटे दल जैसे निषाद पार्टी, पीस पार्टी को दे सकती है. कहने वाले तो ये भी कह रहे हैं कि सीट बंटवारे के इस फ़ॉर्मूले पर दोनों ही दलों के शीर्ष नेताओं में सहमति बन चुकी है.

 

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राहुल के पीएम पद की उम्मीदवारी को अखिलेश ने दिया झटका 

मंगलवार को स्टालिन के बयान पर कहा कि उनकी राय गंठबंधन की राय नहीं हो सकती. उन्होंने कहा, ‘लोग बीजेपी से खुश नहीं है, तेलंगाना के सीएम नायडू, ममता जी और शरद पवार ने सारे नेताओं को एक साथ लेकर गठबंधन बनाने की कोशिश की है. लेकिन अगर कोई अपनी राय दे रहा है तो वो गठबंधन की राय नहीं हो सकती है.’

 

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दरअसल, डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का नाम 2019 के चुनावों में प्रधानमंत्री पद के लिए प्रस्तावित किया है. कयास लगाया जा रहा है कि शायद यही वजह है कि मध्य प्रदेश और राजस्थान के शपथ ग्रहण समारोह में मायावती, अखिलेश और ममता नहीं पहुंचे. इसके बाद अखिलेश का यह बयान अपने आप में गठबंधन की पोल खोलता है.

 

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