कल देशभर में धूमधाम से स्वतंत्रता दिवस मनाया गया. दिन राष्ट्रभक्ति से सराबोर रहा. जगह-जगह तिरंगा फहराकर सलामी दी गई और भारत मां की रक्षा के लिए कुर्बान होने वाले वीर सपूतों को याद किया गया. देशभक्ति के बीच यूपी के आगरा (Agra) में देशविरोधी स्वर भी सुनने को मिले हैं. यहां शहर मुफ्ती मौलाना उमैर (Shahar Mufti Maulana Umair) ने जामा मस्जिद (Zama Masjid) में तिरंगा (Tricolor) फहराने का विरोध किया और इसे हराम बताया है. उन्होंने कहा है कि ऐसा करके अल्लाह के कहर को दावत दिया गया है, उन्हें अल्लाह की इबादत के सिवाय और कुछ मंजूर नहीं है. राज्य अल्पसंख्यक आयोग ने मुफ्ती के बयान की निंदा करते हुए मुफ्ती द्वारा सार्वजनिक माफी मांगने की बात कही है और चैयरमैन असलम कुरैशी ने उन्हें पदमुक्त करते हुए एनएसए के तहत कार्रवाई कराने को शिकायत देने की बात कही है.
जानें पूरा मामला
जानकारी के मुताबिक आगरा की शाही जामा मस्जिद के अंदर मदरसा ए औलिया स्थापित है. यहां रविवार को स्वतंत्रता दिवस पर झंडारोहण के लिए राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष अशफाक सैफी को मुख्य अतिथि के रूप में बुलाया गया था. अशफाक सैफी द्वारा झंडारोहण किया गया और उसके पश्चात राष्ट्रगान और हिंदुस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए गए.
शहर मुफ्ती ने जताया ऐतराज
इस मामले में शहर मुफ्ती और इमाम ए ईदगाह मौलाना उमैर (Maulana Umair) ने चेयरमैन को फोन कर कहा कि जामा ए मस्जिद बेहुरमती न कीजिये, वहां जो जनगणमन हुआ है कदर हराम काम हुआ है, गुनाह ए कबीरा अल्लाह के कहर को दावत न दीजिये,डरिये अल्लाह से, अल्लाह की पकड़ बहुत मजबूत है.
चेयरमैन बोले- मुफ्ती पर लगे रासुका
इस मामले में जामा मस्जिद इंतजामिया कमेटी के चेयरमैन असलम कुरैशी का कहना है कि वहां मदरसा है और सालों से वहां झंडारोहण हो रहा है. हम भारत का झंडा और राष्ट्रगीत नहीं गाएंगे तो क्या पाकिस्तान का झंडा फहराया जाएगा और पाकिस्तान जिंदाबाद की जाएगी. उनका पुत्र मदरसे में शिक्षक है और उसने कहा है कि वो ऐसी नौकरी पर लात मारता है तो अब उसे इस्तीफा दे देना चाहिए. शहर मुफ्ती को राष्ट्र विरोधी बात करने के चलते तत्काल इमाम ए ईदगाह और मुफ्ती के पद से हटा दिया गया है. उनके खिलाफ एनएसए की कार्यवाही के लिए शिकायत की जाएगी.
शहर मुफ्ती बोले- अल्लाह की इबादत के सिवाय औऱ कुछ मंजूर नहीं
शहर मुफ्ती मौलाना उमैर का कहना है कि जब कोई उन्हें वीडियो या फोटो दिखाकर किसी बात के जायज या हराम होने के बारे में पूछता है तो वो उन्हें जवाब देते हैं. पहले जामा मस्जिद के नीचे मैदान में हाई स्कूल में यह परेड वगैरह होती थी अब असलम और अशफाक जामा मस्जिद गये ही क्यों? हर चीज का एक महल होता है और जामा मस्जिद में केवल अल्लाह की इबादत हो सकती है और किसी की नहीं. यह जानबूझकर सियासी रूप दिया गया है. असलम और अशफाक सैफी दोनों ही मुजरिम हैं और यह बहुत बड़ा गुनाह किया गया है. पूर्व में कुछ मुस्लिम लोगों ने मनकामेश्वर मंदिर में नमाज पढ़ी थी और तब हमसे पूछा गया था कि यह जायज है तो भी हमने कहा था जायज नहीं है क्योंकि वो मंदिर नमाज पढ़ने गये क्यों, जबकि जामा मस्जिद में नमाज पढ़ी जा सकती थी.
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