यूपी पुलिस विभाग ने भले ही पुलिस जवानों को आधुनिक बनाने के लिए नई नई तकनीकें अपनाई जा रही है, पर पुलिसकर्मियों की ट्रेनिंग में परेड का तरीका आज भी अंग्रेजों के तरीके जैसा ही है। हालांकि अंग्रेजों के जमाने के साथ साथ अब पुलिसकर्मियों की कंप्यूटर चलाना, मोटर साइकिल चलाना आदि आधुनिक चीजों का भी ज्ञान दिया जाता है, ताकि आगे जाकर किसी प्रकार की दिक्कत ना होने पाए।
समय घटने के साथ बड़ी जिम्मेदारी
जानकारी के मुताबिक, यूपी पुलिस में सिपाही भर्ती 2020 का प्रदेश के सभी 75 जिलों, पीएसी की बटालियन और पीटीएस मेरठ में प्रशिक्षण जारी है। मेरठ पुलिस लाइन में 268 रंगरूट ट्रेनिंग कर रहे हैं। इन पुलिसकर्मियों की ट्रेनिंग में मुख्य पार्ट अनुशासन ही है। भले ही समय बदलने के साथ ट्रेनिंग का समय कम होता चला गया। यह 2015 के बैच के बाद छह माह की रह गई है।
बावजूद इसके अभी भी ट्रेनिंग में चाल, धीमी दौड़, कदमताल, शस्त्रों का प्रशिक्षण अहम हिस्सा है। शारीरिक प्रशिक्षण, बलवा ड्रिल, परेड सेल्यूट और सलामी आज भी अंग्रेजी राज के हैं। परेड, सेल्यूट और सलामी की ट्रेनिंग सिपाही से लेकर आईपीएस के लिए बराबर है। इन नियमों का पालन सभी को करना पड़ता है।
पुलिसकर्मियों को दी जाती है हर तरह की ट्रेनिंग
इसके साथ ही पुलिसकर्मियों को घुड़सवारी की ट्रेनिंग के साथ साथ बाइक चलाना भी सिखाया जाता है। ताकि गश्त के समय दिक्कत न हो। फिजिकल फिट बनाने के साथ साथ जवानों को फोरेंसिक प्रशिक्षण, कम्प्यूटर, दूरसंचार, आधुनिक शस्त्रों का प्रशिक्षण देकर निपुण बनाया जा रहा। ताकि वो आधुनिक समाज से कदम से कदम मिला सकें।
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