मंगलवार का दिन यूपी पुलिस के लिए बेहद खास रहा. दरअसल, मंगलवार को यूपी पुलिस के पीएसी के बेड़े को 15 हजार से ज्यादा सिपाही मिल गए. प्रदेश के 15 रिक्रूट ट्रेनिंग सेंटर समेत 76 जगहों पर 6 महीने की ट्रेनिंग पूरी करने वाले सिपाहियो की पासिंग आउट परेड हुई थी. प्रदेश भर में कई जगह सिपाहियों का दीक्षांत समारोह आयोजित हुआ था. अगर सिर्फ लखनऊ की बात करें तो पुलिस लाइन में पीएसी रिक्रूट (PAC Recruits) आरक्षियों की की दीक्षांत परेड समारोह में सम्मिलित होने के साथ ही परेड की सलामी ली.
पीएसी में सिपाहियों की कमी होगी पूरी
जानकारी के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में पीएसी की 33 बटालियन है और 29 बटालियन में 273 कंपनी तरफ है. पीएसीएल 273 कंपनी के अलावा तीन कंपनी एसडीआरएफ और चार कंपनी एसएसएफ की भी पीएसी के अधीन काम करती हैं.उत्तर प्रदेश में पीएसी की 33 बटालियन है और इन 33 बटालियन में 273 कंपनी तैनात है. पीएसी की इन 273 कंपनी के अलावा तीन कंपनी एसडीआरएफ और 4 कंपनी एसएसएफ की भी पीएसी के अधीन काम करती हैं. एक कंपनी पीएसी में एक इंस्पेक्टर, 3 सब इंस्पेक्टर 22 हेड कांस्टेबल और 97 कॉन्स्टेबल होते हैं.
अब मंगलवार को पासिंग आउट परेड के साथ पीएसी बल का हिस्सा बने. इन 15487 जवानों की बात करें तो इनकी संख्या बल के हिसाब से इनकी संख्या 159 कंपनी की जरूरत को पूरा करती है लेकिन उत्तर प्रदेश में साल 2012 से 2018 तक एक लंबा वक्त पुलिस की भर्तियों के बिना रहा. पीएसी के लोग रिटायर होते रहे लेकिन नई भर्तियां नहीं हुई जिसकी वजह से लगभग 54 कंपनियों को बंद करना पड़ा.
हालत यह हो गई कि जहां एक बटालियन में 8 कंपनियां रहती थीं, वहां इनकी संख्या घटकर 6 से 7 हो गई और एक कंपनी में कांस्टेबल की संख्या भी घटकर 65 से 70 रह गई. माना जा रहा है की 15,487 सिपाहियों से नई कंपनी नहीं बल्कि पुरानी कंपनियों में जो कांस्टेबल की कमी है उसको पूरा किया जाएगा और पीएसी में जवानों की कमी भी दूर होगी.
दी गई है इन मामलों की ट्रेनिंग
बता दें कि पीएसी के इन सिपाहियों ने 6 माह की ट्रेनिंग के दौरान जवानों को परंपरागत कानून की पढ़ाई व पुलिसिंग के तरीकों के साथ-साथ साइबर क्राइम, फॉरेंसिक साइंस, सोशल मीडिया हैंडलिंग की भी पढ़ाई करवाई गई. ट्रेनिंग के प्रति और बदलते सिलेबस को देखते हुए 2019 में ट्रेनिंग सिलेबस को अपडेट किया गया था जिसमें आपदा प्रबंधन, भीड़ नियंत्रण के साथ-साथ संवाद कला को भी शामिल किया गया. इस संबंध में एडीजी ट्रेनिंग संजय एम तरडे का कहना है हम बदलते परिवेश के साथ ट्रेनिंग के सिलेबस को अपडेट कर रहे हैं.
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