आज यानी 17 सिंतबर को विश्वकर्मा जयंती है. अश्विन महीने की कन्या संक्रांति को मनाई जाने वाली विश्वकर्मा जयंती के दिन श्री विश्वकर्मा के साथ औजारों की भी पूजा की जाती है. मान्यता है कि ऐसा करने से नौकरी, बिजनेस में तरक्की होती है और विशेष लाभ प्राप्त होता है. मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा ने देवताओं के अस्त्रों जैसे त्रिशुल, सुदर्शन चक्र आदि का निर्माण किया था. साथ ही उनको ही ब्रह्म देव ने संसार की रचना करने के बाद सुंदर बनाने की जिम्मेदारी सौंपी थी. यहां जानिए पूजा का क्या मुहूर्त है.
जानिए कब है पूजा का मुहूर्त
बता दें, भगवान विश्वकर्मा की पूजा राहुकाल में नहीं करनी चाहिए. इस साल 17 सितंबर को विश्वकर्मा पूजा के लिए तीन शुभ मुहूर्त बन रहे हैं. पहला शुभ मुहूर्त सुबह 07 बजकर 39 मिनट से सुबह 09 बजकर 11 मिनट तक, दूसरा दोपहर 01 बजकर 48 मिनट से दोपहर 03 बजकर 20 मिनट तक और तीसरा शुभ समय दोपहर 03 बजकर 20 मिनट से शाम 04 बजकर 52 मिनट तक है.
विश्वकर्मा पूजा का पौराणिक महत्व, Vishwakarma Puja ka mahatva
कहा जाता है कि प्राचीन काल में जितनी राजधानियां थी उनका निर्माण ब्रह्मा जी के पुत्र भगवान विश्वकर्मा ने ही किया था, उन्होंने ही श्रीहरि भगवान विष्णु के लिए सुदर्शन चक्र और भोलेनाथ के लिए त्रिशूल बनाया. यहां तक कि सतयुग का स्वर्गलोक, त्रेता की लंका और द्वापर युग की द्वारका की रचना भी भगवान विश्वकर्मा ने ही किया था. इस दिन सभी कारखानों और औद्योगिक संस्थानों में विश्वकर्मा की पूजा की जाती है.
विश्वकर्मा पूजा का इतिहास और महत्व, Vishwakarma Puja history and significance
सनातन हिंदु धर्म में विश्वकर्मा पूजा का विशेष महत्व है. भगवान विश्वकर्मा को वास्तुकला और शिल्पकला के क्षेत्र में गुरू की उपाधि दी गई है, उनके कार्यों का उल्लेख ऋग्वेद और स्थापत्य वेद में भी मिलता है. कहा जाता है कि भगवान विश्वकर्मा अस्त्र शस्त्र, घर और महल बनाने में भी निपुण थे, उनके इसी कुशलता के कारण उन्हें पूजनीय माना जाता है. श्रमिक समुदाय से जुड़े लोगों के लिए यह दिन बेहद खास होता है.
इस दिन कारखानों और औद्योगिक संस्थानों में लोग मशीनों और औजारों के साथ भगवान विश्वकर्मा की पूजा अर्चना करते हैं. लोग भगवान विश्वकर्मा से अपनी रक्षा तथा आजीविका की सुरक्षा और उन्नति की प्रार्थना करते हैं. यह पर्व वैसे तो पूरे भारत देश में मनाया जाता है, लेकिन इस दिन उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, ओडिशा, असम, त्रिपुरा में अधिक धूम देखने को मिलती है.
विश्वकर्मा पूजा विधि, Vishwakarma Puja vidhi in hindi
विश्वकर्मा पूजा आमतौर पर कारखानों, कार्यस्थलों और दुकानों में आयोजित की जाती है. इस दिन कार्यस्थल को फूलों से सजाएं तथा एक सुंदर पंडाल बनाएं और मंत्रोच्चार करते हुए भगवान विश्वकर्मा की मूर्ती स्थापित करें. इसके बाद अपने परिवार के साथ भगवान विश्वकर्मा की पूजा अर्चना करें. भगवान विश्वकर्मा की पूजा अर्चना के बाद सभी औजारों पर तिलक लगाएं और धूप दीप करें. पूजा के बाद लोगों द्वारा प्रसाद वितरित किया जाता है. आमतौर पर इस दिन सभी कार्यस्थल बंद रहते हैं और विशेष दावत का आयोजन भी किया जाता है. वहीं कई जगहों पर इस दिन पतंगबाजी की प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती हैं. तथा पूजा के अगले दिन किसी पवित्र नदी में भगवान विश्वकर्मा की मूर्ती विसर्जित करें.
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