राजी केवट छत्तीसगढ़ के गनियारी की रहने वाली हैं। नसबंदी को लेकर उनकी राय मिली-जुली है। ये महिलाओं में गर्भ निरोध के लिए किया जाने वाले ऑपरेशन है जोकि गर्भ निरोध के मकसद के लिए बेहद आम है। राजी केवट ने साल 2014 में ये ऑपरेशन कराया था। उनकी नसबंदी भारत के सरकारी नसबंदी शिविर में हुआ था। इसके बाद राजी ने अपनी बहन शिव कुमारी केवट को भी नसबंदी कराने की सलाह दी। शिव कुमारी और 82दूसरी महिलाएं नवंबर 2014 को बिलासपुर के खाली पड़े सरकारी अस्पताल की इमारत के सामने इस ऑपरेशन के लिए जमा हुईं।
महिलाओं की सर्जरी करने वाले डॉक्टर ने एक ही छुरे से सभी महिलाओं का ऑपरेशन कर दिया। आरोप ये है कि इस दौरान डॉक्टर ने हर सर्जरी के बाद दस्ताने बदलने की बेहद जरूरी शर्त की भी अनदेखी की। सर्जरी के बाद महिलाओं को कतार में अस्पताल के फर्श पर आराम के लिए लिटा दिया गया। ऑपरेशन वाली रात ही शिव कुमारी के पेट में भयानक दर्द होने लगा। उन्हें उल्टियां भी होने लगीं। कुछ दिनों बाद ही शिव कुमारी की मौत हो गई।
सरकार ने आधिकारिक तौर पर जो बयान दिया उसमें शिव कुमारी की मौत की वजह नकली दवाएं बताई गईं। लेकिन पोस्ट-मॉर्टम रिपोर्ट में आया कि शिव कुमारी की मौत सेप्टोसीमिया की वजह से हुई। ये सर्जरी के दौरान हुए इन्फेक्शन से होता है। शिव कुमारी के साथ उस कैंप में नसबंदी कराने वाली 13 महिलाओं की मौत हो गई थी। बहन को ऑपरेशन में गंवाने के बावजूद राजी का कहना है कि कोई पूछे तो वो अभी भी महिलाओं को गर्भ निरोध के लिए ये सर्जरी कराने की सलाह देंगी।
राजी के हिसाब से इसकी वजह बहुत साफ है, ‘अगर आप ये सर्जरी नहीं कराएंगी, तो आप का परिवार बहुत बड़ा हो जाएगा।’ दुनिया की तमाम महिलाओं की तरह राजी का भी यही मानना है कि गर्भ निरोध के लिए महिलाओं का ये ऑपरेशन सबसे सटीक और भरोसेमंद तरीका है। आज की तारीख में गर्भ निरोध के लिए महिलाओं की नसबंदी सबसे प्रमुख विकल्प है। हालांकि पश्चिमी यूरोप, कनाडा या ऑस्ट्रेलिया में गर्भ निरोधक दवाओं का चलन ज्यादा है, लेकिन एशिया और लैटिन अमरीका में महिलाओं की नसबंदी ही गर्भ निरोध का सबसे लोकप्रिय तरीका है।
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2015 के संयुक्त राष्ट्र के सर्वे के मुताबिक, दुनिया भर की 19 फीसदी शादी-शुदा या किसी के साथ सेक्स संबंध में रह रही महिलाएं गर्भ निरोध के लिए ये तरीका इस्तेमाल करती हैं। वहीं आईयूडी यानी इंट्रा यूटेराइन डिवाइस का इस्तेमाल केवल 14 प्रतिशत महिलाएं करती हैं। गर्भ निरोध की गोलियां खाने वाली महिलाओं की तादाद तो महज 9 फीसदी है। गर्भ निरोध के लिए महिलाओं की सर्जरी भारत में सबसे ज्यादा लोकप्रिय है। दुनिया भर के मुकाबले यहां गर्भ निरोध इस्तेमाल करने वाली कुल महिलाओं में से 39 प्रतिशत ऑपरेशन कराती हैं।
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इन अभियानों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी काफी समर्थन मिला। पेरू और चीन को तो नसबंदी अभियानों के लिए विदेशी मदद भी मिली। लेकिन, आज की तारीख में सबसे ज्यादा नसबंदी के ऑपरेशन भारत में होते हैं। ये संख्या और आबादी के प्रतिशत, दोनों लिहाज से अव्वल है। इसकी एक वजह ये भी हो सकती है कि भारत वो पहला देश है, जहां दुनिया में पहली बार परिवार नियोजन के विभाग बनाए गए। इन विभागों का जोर नसबंदी पर था।
भारत सरकार ने 1970 के दशक में बड़े पैमाने पर नसबंदी अभियान शुरू किया था। अंतरराष्ट्रीय संगठनों और दूसरे देशों ने इसके लिए भारत की मदद की। विश्व बैंक, अमरीकी सरकार और फोर्ड फाउंडेशन ने भारत के गर्भ निरोध के अभियानों को मदद दी। 1997 में अमरीका के जनसंख्या दफ्तर के निदेशक आरटी रेवेनहोल्ट ने सेंट लुई डिस्पैच को एक इंटरव्यू में कहा कि सरकार का लक्ष्य 10 करोड़ महिलाओं में से एक चौथाई की नसबंदी करने का है।
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