क्या शशि थरूर का राजनीतिक रुख बदलेगा? लेफ्ट जाएंगे या राइट, या अपनाएंगे आजाद वाला रास्ता?

कांग्रेस के दिग्गज नेता और चार बार के सांसद शशि थरूर इन दिनों अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर संकोच की स्थिति में हैं। पार्टी में खुद को नजरअंदाज महसूस करने के बाद थरूर ने राहुल गांधी से मुलाकात की और अपनी असहमति व्यक्त की, लेकिन इसके बावजूद कोई सटीक उत्तर न मिलने के बाद उन्होंने बागी तेवर अपनाए हैं।

कांग्रेस से दूरी की ओर बढ़ते कदम

शशि थरूर ने हाल ही में पीएम मोदी के अमेरिका दौरे की सराहना की और केरल की पिनराई विजयन सरकार की औद्योगिक नीति की प्रशंसा की, जिससे कांग्रेस के भीतर उनकी आलोचना शुरू हो गई। थरूर ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि कांग्रेस को उनकी जरूरत नहीं है, तो उनके पास अन्य विकल्प मौजूद हैं। उन्होंने पार्टी को यह संदेश दिया कि वे केवल तभी पार्टी में रहेंगे जब कांग्रेस को उनका योगदान आवश्यक होगा।

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बीजेपी में शामिल होने की संभावना?

कुछ राजनीतिक हलकों में यह चर्चा है कि शशि थरूर बीजेपी का दामन थाम सकते हैं। पीएम मोदी के अमेरिकी दौरे की सराहना और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल के साथ तस्वीरों के बाद यह अटकलें और तेज हो गई हैं। बीजेपी केरल में अपने सियासी विस्तार के लिए नए चेहरों की तलाश में है, और शशि थरूर की छवि एक ऐसा चेहरा हो सकती है जो पार्टी को केरल में मजबूती दे सके।हालांकि, थरूर ने बीजेपी में शामिल होने की अटकलों को सिरे से खारिज कर दिया है। उनका कहना है कि वे सांप्रदायिक राजनीति का विरोध करते हैं और आर्थिक विकास के साथ-साथ सामाजिक न्याय में विश्वास रखते हैं, जो बीजेपी की विचारधारा से मेल नहीं खाता।

लेफ्ट का विकल्प?

केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन की सरकार की तारीफ करने के बाद यह कयास लगाए जा रहे हैं कि थरूर लेफ्ट का दामन थाम सकते हैं। सीपीआई (एम) के वरिष्ठ नेता थॉमस इसाक ने भी यह संकेत दिया है कि थरूर को पार्टी में शामिल होने के लिए कोई परेशानी नहीं होगी। हालांकि, लेफ्ट के साथ जुड़ने में थरूर को कुछ वैचारिक चुनौतियाँ हो सकती हैं, क्योंकि उनका राजनीतिक दृष्टिकोण अधिक उदारवादी और धर्मनिरपेक्ष है।

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क्या शशि थरूर बनाएंगे अपनी पार्टी?

अगर शशि थरूर कांग्रेस से अलग होते हैं और ना तो बीजेपी और ना ही लेफ्ट में शामिल होते हैं, तो उनके पास तीसरा विकल्प भी हो सकता है, अपनी खुद की पार्टी बनाना। गुलाम नबी आजाद की तरह, थरूर भी अपनी पार्टी बना सकते हैं और केरल के शहरी इलाकों में अपनी राजनीतिक छवि का फायदा उठा सकते हैं। थरूर का शहरी वोटबैंक मजबूत है, और वे एक किंगमेकर की भूमिका निभाने में सक्षम हो सकते हैं।

भविष्य की दिशा

थरूर के पास कांग्रेस छोड़ने के बाद कई राजनीतिक विकल्प हैं। वे लेफ्ट या राइट के साथ जा सकते हैं या फिर अपनी खुद की पार्टी बना सकते हैं। उनका राजनीतिक प्रभाव और केरल में मजबूत स्थिति उन्हें अगले चुनावों में एक प्रभावशाली नेता बना सकती है। अब यह देखना होगा कि थरूर अपने राजनीतिक भविष्य के लिए किस रास्ते पर चलेंगे।

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