यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने प्राकृतिक खेती (Natural Farming) को बढ़ावा देने के लिए बड़ा ऐलान किया है. उन्होंने कहा कि अगर धरती की रक्षा करनी है कि तो प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने होगा, इसके लिए जरूरत पड़ी तो बोर्ड का गठन करेंगें. उन्होंने कहा कि पीएम की मंशा के अनुरूप खेती को विषमुक्त करना है. सीएम ‘उप्र सतत एवं समान विकास की ओर’ विषय पर आयोजित कान्क्लेव को संबोधित कर रहे थे. इस मौके पर गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने भी कहा कि यदि देश के पूरे कृषि भू-भाग को बंजर होने से रोकना है तो सभी किसानों को प्राकृतिक खेती अपनानी होगी.
उन्होंने कहा कि एक जिला एक उत्पाद योजना की तर्ज पर अब कृषि क्षेत्र में हर जिले की एक विशेष उपज-एक उत्पाद को बढ़ावा दिया जाएगा. जैसे सिद्धार्थनगर में काला नमक चावल और मुजफ्फरनगर में गुड़. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में सतत समान विकास प्राकृतिक खेती और सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योग के प्रोत्साहन से ही सम्भव होगा. प्रदेश के हर जिले और नौ क्लाइमेटिक जोन में यह मिशन चलाया जाएगा.
मुख्यमंत्री ने कहा कि रासायनिक उर्वरकों की वजह से आज फूलों से खुशबू गायब हो गई, फलों व खाद्यान्न से स्वाद व पोषण खत्म हो रहा, बीमारियां बढ़ती जा रही हैं. इन सबकी रोकथाम के लिए धरती मां की रक्षा जरूरी है और यह प्राकृतिक खेती के जरिए ही हो सकेगा. सीएम योगी ने कहा कि इस देश में ऋषि और कृषि एक दूसरे से जुड़े थे. गोवंश आधार था. अब फिर से उसी पर जाना होगा. कम लागत में केवल प्राकृतिक खेती ही किसानों की आमदनी को कई गुना बढ़ा सकती है.
सीएम ने कहा कि गंगा के दोनों तटों पर पांच पांच किमी तक खास तौर से तटवर्ती 27 और बुंदेलखंड के सात यानी कुल 34 जिलों में इस खेती के लिए अभियान शुरू हो चुका है. देश में कृषि पहले नंबर पर और एमएसएमई दूसरे नंबर पर है. आज प्रदेश में 90 लाख एमएमएमई इकाइयां हैं. यदि दोनों एक दूसरे से बेहतर तरीकेसे जुड़ जाएं तो सूरत बदल जाएगी. इसका प्रयास भी चल रहा है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि एक जिला एक उत्पाद में ऐसे उत्पाद की ब्रांडिंग, मार्केट, तकनीक सभी देने का सरकार प्रयास कर रही है. सिद्धार्थ नगर का कालानमक चावल, मुजफ्फरनगर का गुड़ इसका बड़ा उदाहरण है. सुल्तानपुर के एक किसान ने ड्रेगन फ्रूट तक उगाया तो झांसी की एक बेटी ने छत पर स्ट्राबेरी उगाकर बड़ा लाभ कमाया. ये सब विविधीकरण है जिस पर काम करना होगा. अब वहां एक एकड़ में दस लाख रुपये तक का उत्पादन किया जा रहा है. महिला स्वयं सहायता समूहों को सरकार बढ़ावा दे रही है. वह भी इस अभियान से जुड़ें. बुंदेलखंड की एक मिल्क कंपनी ने स्वावलंबन का बेहतरीन उदाहरण पेश किया है.
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