लखनऊ: उत्तर प्रदेश में हथियारों के शौकीनों के लिए अच्छी खबर है. योगी सरकार ने शस्त्र लाइसेंस पर लगी रोक को हटाने का फैसला लिया है. इतना ही नहीं अब अब हथियार लेने से पहले होने वाले फायरिंग टेस्ट भी नहीं देना पड़ेगा.
नए नियम के अनुसार अब शस्त्र लाइसेंस धारक एक साथ 100 कारतूस और एक वर्ष में अधिकतम 200 कारतूस खरीद सकता है. वहीं अगर हर्ष फायरिंग करते पकड़े गए तो लाइसेंस निरस्त भी हो जायेगा.
जानकारी के लिए बता दें आपको कि शस्त्र नियमावली 2016 के तहत एक लाइसेंस पर तीन हथियार रखने का अधिकार दिया गया है. वहीं पहले अधिकतम तीन हथियार लेने के लिए तीन लाइसेंस बनवाने का नियम था.
प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार ने बताया कि कुछ श्रेणी के आवेदकों जैसे विरासतन, व्यापारी, अपराध पीड़ित, उद्यमी, बैंक, संस्थागत, वित्तीय संस्थाएं, प्रवर्तन कार्य में लगे कर्मियों, सैनिक, अर्धसैनिक, पुलिस बल के कर्मी, विधायक, सांसद, राज्य स्तर से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर के निशानेबाजों को वरीयता दी जाएगी. बैंको की सुरक्षा के लिए जारी किया जाने वाला लाइसेंस बैंक प्रबंधक के स्थान पर असलहा रखने वाले व्यक्ति के नाम जारी किया जाएगा.
आदेश की जानकारी देते हुए मुख्य सचिव गृह ने बताया कि नए आदेश के तहत लाइसेंसी असलहे से हर्ष फायरिंग करने पर लाइसेंस निरस्त कर दिया जाएगा. आयुध और गोला बारूद खरीदने के लिए आधार कार्ड, वोटर कार्ड व पासपोर्ट में से किसी एक की फोटो कॉपी देनी पड़ेगी. उन्होंने बताया कि एसडीएम और सीओ नियमित अंतराल पर इसका औचक निरीक्षण करेंगे. साथ ही क्रय-विक्रय और सेफ कस्टडी में रखे शस्त्रों के दुरुपयोग को रोकने का काम भी देखेंगे.
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नए नियम के अनुसार अगर लाइसेंस धारक ने लाइसेंस जारी होने के 2 साल के भीतर असलहा नहीं खरीदता है, तो उसका लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा. वहीं अगर इस मामले में लाइसेंस धारक असलहा नहीं खरीदने की उचित वजह बताता है तो 2 साल की समय सीमा को 1 साल और बढ़ा दिया जाएगा.
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जानकारी के लिए बता दें कि दिसंबर 2014 में जितेंद्र सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने विरासत, अपराध पीड़ित और खिलाड़ियों को छोड़कर बाकी लोगों को शस्त्र लाइसेंस दिए जाने पर रोक लगा दी थी, लेकिन नवंबर 2017 में कोर्ट ने इसी मामले में अपना आदेश वापस लेने का फैसला किया था. इस फैसले के बाद से ही यूपी सरकार शस्त्र लाइसेंस पर लगी रोक हटाने में जुटी थी. एक लंबी प्रक्रिया और विधि विशेषज्ञों की राय के बाद सरकार ने इस संबंध में शासनादेश जारी कर दिया.
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