ऑफिस ऑफ़ प्रॉफिट : हाई कोर्ट की आप विधायकों की दो टूक, जिरह को आयोग पर नहीं डाल सकते दबाव

 

लाभ के पद मामले में निर्वाचन आयोग के खिलाफ हाईकोर्ट पहुँचे आप विधायकों की याचिका पर हाई कोर्ट ने दो टूक कहा की आप निर्वाचन आयोग पर यह दबाव नहीं डाल सकते की वह आपके खिलाफ शिकायत करने वालो को बुलाकर उससे जिरह करे. न्यायमूर्ति संजीव खन्ना व चंद्रशेखर की पीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा की निर्वाचन आयोग शिकायतकर्ता की शिकायत पर निर्भर न होकर इस सम्बन्ध में दिए गए दस्तावेजों पर निर्भर है. यह विवाद का विषय नहीं है, अगली सुनवाई 9 अगस्त को होगी.

 

 

इस दौरान आप विधायकों की तरफ से वकील केवी विश्वनाथन ने कहा की उन्हें शिकायतकर्ता प्रशांत पटेल से जिरह करने और गवाहों को समन करने की अनुमति दी जानी चाहिए. उन्होंने कहा की यह साबित करने के लिए आप विधायकों ने लाभ का पद नहीं लिया है, उन्हें विधानसभा के सेक्रेटरी जनरल समेत अन्य लोगों से जिरह करने की अनुमति दी जानी चाहिए. वही निर्वाचन आयोग के पोल पैनल की तरफ से अरविंद निगम ने इसका विरोध करते हुए कहा की दस्तावेजों की विश्वनीयता को लेकर कोई विवाद नहीं है, यह विशुद्ध रूप से दस्तावेजों की व्याख्या का मामला है. ज्ञात हो की 19 जनवरी को निर्वाचन आयोग ने लाभ का पद मामले में 20 आप विधायकों को आयोग ठहराते हुए राष्ट्रपति को सदस्यता रद्द करने की सिफारिश कर दी थी. राष्ट्रपति से इसकी मंजूरी मिलने के बाद केंद्र ने सदस्यता समाप्त करने की अधिसूचना जारी कर दी थी.

 

 

इसके खिलाफ परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत, वजीरपुर के विधायक नितिन त्यागी, कस्तूरबा नगर के विधायक मदन लाल, सदर बाजार के सोमदत्त और नरेला के विधायक शरद कुमार ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. इस पर 23 मार्च को हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग के फैसले को कानून की प्रकृति के खिलाफ बताया था व आयोग को नए सिरे से मामले की सुनवाई करने का आदेश दिया था.

 

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