भारतीय जनता पार्टी 2019 के चुनाव की तैयारियों में जुट गई है। कल जम्मू-कश्मीर में पिछले करीब साढ़े तीन साल से चल रही बीजेपी-पीडीपी गठबंधन सरकार गिर गई। बीजेपी ने महबूबा मुफ्ती सरकार से समर्थन वापस लेकर राज्यपाल शासन की डिमांड की तो दूसरी तरफ महबूबा ने भी बिना देर किए राज्यपाल को अपना इस्तीफा भेज दिया। आप को बता दें कि जब इस गठबंधन का ऐलान हुआ था तभी से इसे सबसे बेमेल और लंबा न चलने वाला करार दिया जा रहा था लेकिन लोकसभा चुनाव से ठीक एक साल पहले बीजेपी ने जिस झटके के साथ समर्थन वापसी का ऐलान किया है उसे उसके मिशन 2019 के लिए मास्टरस्ट्रोक माना जा रहा है।
कश्मीर पर कांग्रेस की विफलता बनी थी कांग्रेस की हार की बड़ी वजह
2014 में जब बीजेपी नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आई थी तो यूपीए के भ्रष्टाचार के बाद उसका सबसे बड़ा कारण कश्मीर पर मनमोहन सरकार की विफलता को ही बताया गया। मोदी सरकार के चार साल और गठबंधन सरकार के तीन साल पूरे होने के बाद भी कश्मीर आज वहीं खड़ा है जहां मई 2014 से पहले था। कुछ जानकार तो हालात के और ज्यादा बदतर होने का दावा करते हैं।
2019 से पहले आतंकवाद को कुचलने की होगी कोशिश
ऐसे में बीजेपी 2019 में जब फिर से वोट मांगने जनता के बीच जाएगी तो उसे जवाब देना भारी पड़ सकता है। इसे ध्यान में रखते हुए माना जा रहा है कि मोदी सरकार बचे हुए कार्यकाल में कश्मीर में आतंकवाद को कुचलने और अलगाववादी सुरों को कमजोर करने के लिए सख्त रुख अपनाना चाहती है और ऐसे कदमों पर विचार कर सकती है जो राज्य की सत्ता में साझीदार रहते हुए उसके लिए संभव नहीं थे।
सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद पीडीपी को देना पड़ा था मुख्यमंत्री पद
2016 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा सबसे बड़े दल के तौर पर उभरकर सामने आई थी लेकिन राजनीतिक मजबूरी के चलते जब भाजपा को दूसरे नबंर की पार्टी पीडीपी को मुख्यमंत्री पद देना पड़ा तो पूरा देश आश्चर्यचकित रह गया। भाजपा ने तब दावा किया कि जम्मू-कश्मीर में विकास के जरिए शांति कायम करने की उसकी यह कोशिश है। बीते तीन साल में शांति कायम करने की कोशिशों का क्या हुआ उसका नतीजा सबके सामने है।
2019 चुनाव को ध्यान में रखकर लिया गया फैसला
बीजेपी के सामने इस समय सबसे बड़ा सवाल कश्मीर में सरकार चलाने से ज्यादा 2019 का चुनाव जीतना है। मिशन 2019 के लिए जरूरी है कि मोदी सरकार की छवि आतंकवाद से किसी कीमत पर समझौता न करने और दशकों से देश के सामने चुनौती बनकर खड़ी समस्याओं पर निर्णायक फैसला लेने वाले की बनी रहे। कश्मीर की स्थिति इस छवि के लिए सबसे बड़ा खतरा बन गई है।
अगर सब मनमुताबिक रहा तो यह फैसला बन सकता है मास्टरस्ट्रोक
बीजेपी महासचिव राम माधव की प्रेसवार्ता में भी पार्टी ने यही संदेश देने की कोशिश की कि कश्मीर में हालात बेहद खराब तो हैं लेकिन उसके लिए वो नहीं बल्कि पीडीपी और उसकी मुखिया राज्य की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती जिम्मेदार हैं। आने वाले दिनों में वो इस बात को और ज्यादा प्रमुखता से उठाएगी और इस दौरान अगर कश्मीर में हालात बदलने में वो कुछ हद तक कामयाब रही तो सरकार कुर्बान करने की उसकी ये मजबूरी 2019 के लिए मास्टरस्ट्रोक में बदल जाएगी।