भारत के महान सपूत और शहीद चंद्र शेखर आजाद का आज 113वां जन्मदिन हैं। वह देश की स्वतंत्रता के ऐसे दीवानों में से एक थे, जिन्हें आजादी के लिए अपने सर्वस्व का त्याग कर दिया। आजाद अपने क्रांतिकारी विचारों और कार्यों के चलते अंग्रेजी हुकूमत के लिए बड़ी चुनौती बन गए थे। ब्रिटिश सरकार उन्हें पकड़ने के लिए बहुत कोशिश कर रही थी लेकिन उन्होंने अपना उपनाम आजाद रखा था और वह कहते थे कि मैं आजाद हूं और आजाद ही रहूंगा।
जानिए महान शहीद चंद्र शेखर आजाद से जुड़ी बातें –
– चंद्रशेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई 1906 में मध्यप्रदेश के अलीराजपुर में हुआ था।
– पिता ने चंद्रशेखर को संस्कृत का विद्वान बनाने के वाराणसी में काशी विद्यापीठ भेजा था लेकिन वे आजादी के आंदोलनों में भाग लेने लगे थे ।
-17 साल की उम्र में वे क्रांतिकारी संगठन हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन में शामिल हो गए थे।
– वह कई क्रांतिकारियों के प्रेरणाश्रोत थे, इनमें भगत सिंह भी शामिल थे।
– लाला लाजपत राय की पुलिस लाठीचार्ज में घायल होने के बाद हुई मौत का बदला लेने के लिए उन्होंने भगत सिंह और अन्य साथियों तैयार किया था।
– 15 साल की उम्र में क्रांतिकारी गतिविधियों के चलते ब्रिटिश पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया और 15 कोड़ों की सजा सुनाई थी।
— मुकदमें की सुनवाई के दौरान जब अंग्रेज जज ने उनसे पूछा कि नाम क्या तो उन्होंने बताया चंद्रशेखर आजाद, पिता का नाम स्वाधीनता और पता जेल।
– महात्मा गांधी ने जब 1921 में अंग्रेजों के खिलाफ असहयोग आंदोलन शुरू किया तो आजाद ने सक्रियता से इसमें हिस्सा लिया।
– जलियांवाला बाग की हत्या ने आजाद के मन में गहरा प्रभाव डाला था।
– चंद्रशेखर आजाद समाजवादी विचारधारा से प्रेरित थे और वह 1925 में काकोरी ट्रेन की लूट से जुड़े थे।
– आजाद ने वायसरॉय की ट्रेन को 1926 में उड़ाने की कोशिश की थी।
– 1928 में लाहोर में ब्रिटिश पुलिस अफसर जॉन सान्डर्स को गोली मारने में आजाद भी शामिल थे।
– चंद्रशेखर आजाद कभी भी जिंदा नहीं पकड़े जा सके।
– आजाद ने 10 साल फरार रहते हुए ज्यादातर समय झांसी और आसपास के जिलों में ही बिताया था।
– 27 फरवरी 1931 को इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में जब वह अंग्रेजों की पुलिस से घिर गए तो फायरिंग का जवाब देते हुए अंतिम गोली खुद को मार ली थी।
– इलाहाबाद के जिस अल्फ्रेड पार्क में वह शहीद हुए थे, उसका नाम बदलकर चंद्रशेखर आजाद पार्क कर दिया गया है।