जब अटलजी ने पिताजी के साथ एक ही कक्षा में ले लिया था एडमिशन

आज पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) की जयंती (Birth Anniversary) है. उनका जन्म 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर में हुआ था. वह तीन बार भारत के प्रधानमंत्री बने थे. बीजेपी सरकार अटल बिहारी के जन्मदिवस को सुशासन दिवस के रूप में मनाती है. अटल जी काफी मृदु भाषी और बेहद सरल स्वभाव के व्यक्ति थे,आज वह हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके विराट व्यक्तित्व ने हर किसी के दिल में अपनी एक अलग छाप बनाई है. आइये आपको बताते हैं अटल जी के जीवन का एक रोचक किस्सा.


बात साल 1945 की हैं. कानपुर के डीएवी कॉलेज की है. यहां अटलजी और उनके पिता ने एक साथ एडमिशन लिया था यहां छात्रावास में अटलजी अपने पिता के साथ एक ही कमरे में रहते थे. विद्यार्थियों के झुंड के झुंड उन्हें देखने आते थे. दोनों एक ही क्लास में बैठते थे.


यह देख प्रोफेसरों मे चर्चा का विषय बना रहता था. कभी पिताजी देर से पहुंचते तो प्रोफेसर ठहाकों के साथ पूछते, कहिये आपके पिताजी कहां गायब हैं? और कभी अटल जी को देर हो जाती तो पिताजी से पूछा जाता आपके साहबजादे कहां नदारद हैं. अटल जी यहां जब जब 15 अगस्त आता था तो छात्रावास में जश्न भी मनाया जाता था.


पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का कानपुर शहर से पुराना नाता रहा है. वो राजनीति शास्त्र की डिग्री के कानपुर आ गए. आर्थिक स्थित खराब होने के चलते तत्कालीन राजा जीवाजीराव सिंधिया ने उनकी मदद की. वाजपेयी जी ने कानपुर के डीएवी कॉलेज से लगभग चार साल तक शिक्षा ग्रहण किया.


कॉलेज के पूर्व प्रोफेसर सुमन निगम ने बताया कि अटल बिहारी जी ने 1945-46, 1946-47 के सत्रों में यहां से राजनीति शास्त्र में एमए किया. जिसके बाद 1948 में एलएलबी में प्रवेश लिया लेकिन 1949 में संघ के काम के चलते लखनऊ जाना पड़ा और एलएलबी की पढ़ाई बीच में ही छूट गई.


जब वाजपेयीजी प्रधानमंत्री थे तो कॉलेज के नाम एक पत्र लिखा था जो साहित्यसेवी बद्रीनारायण तिवारी ने संस्थान को सौंप दिया. उस पत्र में कुछ रोचक और गौरवान्वित कर देने वाली घटनाओं का जिक्र है.


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