उत्तर प्रदेश में एक और ऐसा एक्सप्रेस-वे तैयार है जिस पर लड़ाकू विमान उतर सकेंगे. देश का सबसे आधुनिक विमान राफेल पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे (Purvanchal Expressway) पर उतरेगा. जगुआर, मिराज और सुखोई भी अपना दम दिखाएंगे. देश का सबसे आधुनिक विमान राफेल पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे पर उतरेगा. 16 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 341 किमी लंबे पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का लोकार्पण करेंगे. बताया जा रहा है कि उद्घाटन के कुछ महीनों बाद तक इस पर यात्रा करने वालों को कोई टोल टैक्स नहीं देना होगा.
नवभारत टाइम्स की खबर के मुताबिक एक्सप्रेस-वे पर चलने वालों को विधानसभा चुनावों तक कोई टैक्स नहीं देना होगा. चुनाव नतीजों के बाद इस टोल टैक्स लगाने पर विचार किया जाएगा. एक्सप्रेस-वे पर कितना टोल लगेगा, इस संबंध में यूपीडा अधिकारी अभी कुछ भी कहने से बच रहे हैं.
पूर्वांचल एक्सप्रेसवे लखनऊ-सुल्तानपुर रोड (एनएच-731) पर स्थित ग्राम चांदसराय, जनपद लखनऊ से प्रारंभ होकर यूपी-बिहार सीमा से 18 किलोमीटर पूर्व राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 31 पर स्थित ग्राम हैदरिया पर समाप्त होगा. एक्सप्रेसवे की लंबाई 340.824 किलोमीटर है. इस परियोजना से जनपद लखनऊ, बाराबंकी, अमेठी, अयोध्या, सुल्तानपुर, अंबेडकरनगर, आजमगढ़, मऊ तथा गाजीपुर लाभान्वित होंगे.
एक्सप्रेसवे 06 लेन चौड़ा (08 लेन में विस्तारणीय) तथा संरचनाएं 08 लेन चौड़ाई की निर्माणधीन हैं. एक्सप्रेस-वे के एक ओर 3.75 मीटर चौड़ाई की सर्विस रोड स्टैगर्ड रूप में बनाई जाएगी जिससे परियोजना के आस-पास के गांव के निवासियों को एक्सप्रेसव द्वारा सुगम आवागमन की सुविधा उपलब्ध हो. पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के अंतर्गत (मे कैरिजवे पर) कुल 18 फ्लाईओवर, 07 रेलवे ओवर ब्रिज, 07 दीर्घ सेतु, 118 सघु सेतु, 13 इंटरचेंज (06 टोल प्लाजा सहित), 05 रैम्प प्लाजा, 271 अंडरपास तथा 503 पुलियों का निर्माण कार्य प्रगति में हैं.
एक्सप्रेसवे पर आपातकालीन स्थिति में भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों के लैंडिंग/टेक ऑफ के लिए जनपद सुल्तानपुर में 3.2 किलोमीटर लंबी हवाई पट्टी का निर्माण भी प्रस्तावित है. परियोजना की कुल अनुमानित लागत 22494.66 करोड़ रुपए तथा सिविल निर्माण की अनुबंधित लागत 11216.10 करोड़ रुपए है. निर्माण हेतु पूर्वांचल एक्सप्रेसवे को कुल 08 पैकेजों में विभक्त किया गया है.
पूर्वांचल एक्सप्रेसवे परियोजना के सभी आठ पैकजों का निर्माण ई-निविदा के माध्यम से किया गया है. इस परियोजना में न्यूनतम निविदाएं अनुमानित लागत से लगभग 5.19 प्रतिशत कम लागत की प्राप्त हुई थी, जिससे UPEIDA को लगभग 614 करोड़ रुपए का लाभ हुआ है. कोरोना काल में भी यूपीडा द्वारा अनवरत कार्य कराया गया है. एक दिन के लिए काम रुका नहीं. पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के निर्माण के दौरान 6 लाख मानव दिवस का रोजगार सृजित हुआ है. एक्सप्रेसवे के निर्माण में 10.74 करोड़ घन मीटर मिट्टी तथा 01 करोड़ घन मीटर कांक्रीट का प्रयोग हुआ है.
पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के निर्माण में 4000 हेक्टेअर लैंड बैंक का इस्तेमाल हुआ है. बड़े पैमाने पर स्थानीय लोगों को रोजगार प्रदान किया गया. पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के दौनों ओर औद्योगित गलियारा विकसित करने का काम प्रगति पर है. अक्टूबर-2018 से अक्टूबर-2021 यानी 03 साल में दो कोरोना की लहर के बावजूद रिकॉर्ड समय में एक्सप्रेसवे का निर्माण पूरा किया गया है. एक्सप्रेसवे पर सीएम योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में वृहद वन महोत्सव का कार्य 4 जुलाई 2021 को संपन्न किया गया. पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन 16 नवंबर 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कुरेभार स्थित हवाई पट्टी जनपद सुल्तानपुर में किया जाएगा.
पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे से लाभ
- पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे पर 08 टॉयलेट ब्लॉक्स स्थापित किए जाने का कार्य प्रगति में है.
- इस एक्सप्रेस-वे के दोनों किनारों पर इंडस्ट्रीयल हब बनाने हेतु सरकार की ओर से यूपीडा को अधिकृत किया गया है.
- पूर्वांचल एक्सप्रेसवे पर दुर्घटना होने की स्थिति में घायलों को त्वरित उपचार एवं नजदीकी चिकित्सालय में पहुंचाने के लिए प्रत्येक पैकेजों में 02-02 कुल 16 एंबुलेंस की सुविधा मिलेगी.
- पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के निर्माण से प्रदेश का पूर्वी क्षेत्र प्रदेश की राजधानी एवं आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे व यमुना एक्सप्रेसवे के माध्यम से देश की राजधानी से त्वरित एवं सुगम यातायात के कॉरिडोर से जुड़ जाएगा.
- पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के निर्माण से संपूर्ण प्रदेश का सर्वांगीण विकास का मार्ग प्रशस्त होगा. एक्सप्रेस-वे के प्रवेश नियंत्रित होने से वाहनों के ईंधन खपत में महत्वपूर्ण बचत एवं प्रदूषण नियंत्रण भी संभव हो सकेगा.
- एक्सप्रेसवे हैंडलूम उद्योग, खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों, भंडारण ग्रह, मंडी तथा दुग्ध आधारित उद्योगों की स्थापना हेतु एक उत्प्रेरक के रूप में काम करेगा.
- एक्सप्रेसवे के निर्माण से परियोजना आच्छादित क्षेत्रों में पर्यटन के विकास को बल मिलेगा एवं विकास से उपेक्षित प्रदेश के इन पूर्वी क्षेत्रों का सर्वांगीण एवं चहुंमुखी विकास संभव हो सकेगा.
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