यूपी पुलिस विभाग की तरफ से आये दिन अराजपत्रित पुलिसकर्मी अवकाश ना मिलने की शिकायत करते रहते हैं. ऐसे में कई बार बड़ी घटनायें भी हो जाती हैं. नया मामला गोरखपुर का है, जहां एक सिपाही गर्भवती पत्नी के इलाज के लिये अवकाश मांगता रहा, पर थाना प्रभारी ने उसकी एक नहीं सुनी. जिस वजह से चिकित्सा सुविधा समय से ना मिल पाने के कारण सिपाही के नवजात की मौत हो गई. सिपाही ने मामले की शिकायत सोशल मीडिया पर की. इसलिये अब उसके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है.
ये है मामला
जानकारी के मुताबिक, गोरखपुर के गीडा थाना अंतर्गत नौसढ़ चौकी पर 15 नवंबर से तैनात सिपाही कुमार रवि ने 20 दिसंबर को गीडा थाना प्रभारी विनय कुमार सरोज को अपनी 8 माह की गर्भवती बीवी के देखरेख और इलाज के लिए छुट्टी का आवेदन दिया था। सिपाही ने आवेदन में बताया कि परिवार में पत्नी की देखरेख करने वाला उसके अलावा कोई नहीं है। अगर पत्नी को समय से इलाज नहीं मिला तो कोई भी अप्रिय घटना हो सकती है।
एक मासूम की मौत से फर्क नही पड़ता @myogiadityanath @homeupgov @narendramodi @AmitShah को 😡
आज इस बच्चे की मृत्यु किस व्यवस्था का हिस्सा हुई ?
अपने बच्चों के लिए आलोचना, कुतर्क झेलनेवाले आज इस मौत पर मौन क्यो ?@dgpup बताइये आगे भी ऐसा होगा या ये रुकेगा ? @AllahabadC @SCofInd ? pic.twitter.com/U6wXz9iKiZ— Kumar_Vivekk_official (@vivekkumar84) December 27, 2021
सिपाही कुमार रवि ने बताया कि 20 दिसंबर को दी छुट्टी के आवेदन को थाना प्रभारी द्वारा दरकिनार कर दिया गया। एक बार फिर 23 दिसंबर को उसने दोबारा छुट्टी के लिए आवेदन दिया। इस बार भी थाना प्रभारी द्वारा उसकी छुट्टी स्वीकृत नहीं की गई। पत्नी की गर्भावस्था में स्थिति ठीक ना होने पर उसे तत्काल उच्चस्तरीय चिकित्सा सुविधा की जरूरत थी जो कि समय से ना मिल पाने के कारण नवजात की मौत हो गई।
थाना प्रभारी की इस तानाशाही ने रवि की दुनिया ही उजाड़ दी। नवजात की मौत के बाद रवि की पत्नी और परिवार ने कहा है कि अब आने की जरूरत नहीं है। अब रवि क्या करे। नवजात की मौत का जिम्मेदार गीड़ा थाना प्रभारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज होना चाहिए। @IPS_VipinTada @Uppolice @myogiadityanath
— खाकी की आवाज (@adarsh8444) December 26, 2021
सिपाही पर हो सकती है कार्रवाई
जिस पर, एसपी नार्थ मनोज अवस्थी ने बताया कि प्रकरण की जांच सीओ कर रहे हैं। जांच रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। वहीं दूसरी तरफ पुलिस विभाग जैसे अनुशासित महकमे में सिपाही के विभागीय मामले को सोशल मीडिया पर उछालने को लेकर पुलिस अधिकारियों में प्रतिक्रिया हुई है। उनका कहना है कि उन्हें सिपाही से हमदर्दी है, लेकिन सोशल मीडिया शिकायत करने का उचित माध्यम नहीं है। विभाग में हर स्तर पर सुनवाई की एक निर्धारित प्रक्रिया है। नौकरी का एक कोड ऑफ कंडक्ट है। हर एक को इसका पालन करना चाहिए। इस तरह से पुलिसकर्मी अपनी बात सोशल मीडिया के माध्यम से कहने लगे तो विभाग में अनुशासन रहेगा ही नहीं।
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