बीती 14 फरवरी यानि गुरुवार को जम्मू कश्मीर के पुलवामा में बड़ा आतंकी हमला हुआ था. जिसमे भारत के 42 जवान शहीद हो गए. बता दें जैश-ए-मोहम्मद ने सीआरपीएफ जवानों के काफिले पर फिदायीन हमला कर सुरक्षा बलों के मनोबल पर हमले की कोशिश की है. आतंकी हमले से ठीक पहले आतंकियों ने पाकिस्तान में कई रैलियां की थीं और 5 फरवरी को जैश-ए-मोहम्मद की रैली में भारत पर हमले की बातें भी की गई थी. जैश-ए-मोहम्मद की कराची रैली में संसद हमले के मास्टरमाइंड अफजल गुरु के नाम पर आत्मघाती दस्ते बनाए जाने का ऐलान किया गया था. रैली में यह ऐलान किया गया था कि जैश ने ऐसे आत्मघाती हमलावरों के 7 दस्ते भारत के अलग-अलग शहरों में रवाना कर दिए हैं. रैली के दौरान आतंकी हाफिज सईद ने पीएम नरेंद्र मोदी को धमकी देते हुए कहा था कि ‘मोदी अपनी फौज लेकर कश्मीर से निकल जा और नहीं निकलेगा तो बहुत कुछ छोड़ना पड़ेगा’. सईद की इस धमकी के बाद कश्मीर में हमला हुआ और कम से कम 37 जवान शहीद हो गए.
जैश-ए-मोहम्म्द की रैली के बाद हुआ हमला, पाकिस्तान में मसूद अजहर के भाई ने दी थी धमकी
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुआ यह हमला पाकिस्तान के कराची में 5 फरवरी को जैश-ए-मोहम्म्द की रैली के बाद हुआ है. उस रैली में जैश सरगना मौलाना मसूद अजहर के छोटे भाई मौलाना अब्दुल रऊफ असगर ने भारत के अन्य हिस्सों को दहलाने का ऐलान किया था. उसने कहा था कि एक बार फिर कश्मीर सॉलिडरिटी डे मानाएंगे तो दिल्ली दहल चुकी होगी. बता दें पुलवामा हमले की साजिश 6 महीने पहले पाकिस्तान में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने रची थी. खुफिया एजेंसियों ने दिसंबर में ही अलर्ट जारी किया था कि आतंकी आदिल अहमद डार उर्फ वकास कमांडो कश्मीर में घुस चुका है. गाजी अफगानिस्तान में तालिबानी आतंकियों के साथ भी काम कर चुका है.
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जैश ने दी थी अहमद डार को आईईडी धमाके की ट्रेनिंग, साल 2018 में जैश से जुड़ा मानवबम बना आदिल डार
इस हमले को अंजाम देने वाले आदिल अहमद डार को पाक अधिकृत कश्मीर के आंतकी कैंप में अब्दुल रशीद गाजी ने आईईडी धमाके की ट्रेनिंग दी थी. खुफिया एजेंसियों ने दिसंबर में ही अलर्ट जारी किया था कि गाजी कश्मीर में घुस चुका है. गाजी अफगानिस्तान में तालिबानी आतंकियों के साथ भी काम कर चुका है. जैश प्रवक्ता ने हमले की जिम्मेदारी लेते हुए दावा किया है कि इसे आदिल अहमद डार उर्फ वकास कमांडो ने अंजाम दिया. वह पुलवामा के गुंडी बाग से आतंकी नेटवर्क चलाता था. पुलवामा के काकापोर का रहने वाला डार साल 2018 में जैश में शामिल हुआ था. डार जैश के अफजल गुरु स्क्वाड से जुड़ा था. इस गुट ने लालचौक पर हुए हमले की जिम्मेदारी ली थी और उरी हमले में शामिल था. सुरक्षा एजेंसियों के पास इनपुट था कि घाटी में अफजल गुरु और मकबूल भट की बरसी पर जैश का अफजल गुरु स्क्वॉयड बड़ा हमला कर सकता है. केंद्रीय खुफिया एजेंसी ने 8 फरवरी को ही इसे लेकर अलर्ट जारी किया था. इसमें साफ तौर पर कहा गया था कि आतंकी जम्मू-कश्मीर में सुरक्षाबालों की तैनाती की जगहों और उनके आने-जाने के रास्ते को निशाना बना सकते हैं. इसलिए पूरी सावधानी बरती जाए.
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अमेरिकी खुफिया एजेंसी ने 15 दिन पहले किया था अलर्ट, जैश ने देश में पहले भी बड़े हमले किए
अमेरिकी खुफिया एजेंसी ने 15 दिन पहले हमले का अलर्ट दिया था. अमेरिका की नेशनल इंटेलीजेंस ने सीनेट में रिपोर्ट में कहा था कि पाकिस्तान स्थित आतंकी भारत को साल 2019 में निशाना बनाते रहेंगे. चुनाव से पहले हमले की संभावना ज्यादा है. जैश नए तरीके के हथियारों मसलन रसायन और दवाओं के जरिए भारत भर में हमलों की धमकी दे चुका है. जैश ने ही साल 2016 में उरी हमले, साल 2016 में पंजाब पठानकोट स्थित वायु सेना ठिकाने पर हमला, संसद भवन पर हमला (दिसंबर, 2001), जम्मू-कश्मीर विधानसभा पर हमला (अक्टूबर 2001), इंडियन एयरलाइंस के विमान का अपहरण (दिसंबर 1999), अयोध्या और वाराणसी धमाके. नवंबर, 2007 में उत्तर प्रदेश पुलिस के एसटीएफ द्वारा लखनऊ में गिरफ्तार किए गए जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों ने पूछताछ में खुलासा किया था कि वह राहुल गांधी के अपहरण के लिए देश में आए थे.
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