Mahakumbh 2025: योगी सरकार के व्यापक इंतजामों से टला बड़ा हादसा, प्रशासनिक टीम ने लिया जायजा

Mahakumbh 2025: योगी सरकार द्वारा महाकुंभ के लिए किए गए व्यापक इंतजामों की मदद से शुक्रवार को एक बड़ा हादसा टल गया। खासकर, मेला क्षेत्र में अग्निशमन संबंधी तैयारियां असरदार साबित हुईं। महाकुंभ नगर के ओल्ड जीटी रोड स्थित स्वामी हरिहरानंद और सुखदेवानंद के शिविर में अचानक आग लग गई थी। लेकिन प्रशासन की तत्परता से आग पर जल्दी काबू पा लिया गया और जनहानि को रोक लिया गया।

मौके पर पहुंचीं फायर ब्रिगेड की गाड़ियां 

घटना की सूचना मिलते ही महाकुंभ के फायर ब्रिगेड की एक दर्जन गाड़ियां मौके पर पहुंचीं और आग बुझाने में जुट गईं। चीफ फायर ऑफिसर प्रमोद शर्मा के अनुसार, आग का कारण इस्कॉन क्षेत्र में शॉर्ट सर्किट था, जिसके कारण 20-22 टेंट जल गए। राहत की बात यह रही कि इस हादसे में किसी प्रकार की जनहानि नहीं हुई। दमकलकर्मियों ने जल्द कार्रवाई करते हुए आग को फैलने से रोक लिया।

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प्रशासनिक टीम ने लिया जायजा

घटना की जानकारी मिलते ही उत्तरी झूसी के जोनल पुलिस ऑफिसर, एडिशनल एसपी सर्वेश कुमार मिश्रा, स्थानीय पुलिस और मेला मजिस्ट्रेट मौके पर पहुंचे। उन्होंने घटनास्थल पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया और आग लगने के कारणों की जांच शुरू कर दी है। प्रशासन ने श्रद्धालुओं से सावधानी बरतने की अपील की और आपातकालीन स्थिति में अधिकारियों को सूचित करने का आग्रह किया।

योगी सरकार ने किए ठोस इंतजाम

महाकुंभ में आग लगने की घटनाओं को रोकने के लिए योगी सरकार ने हरसंभव इंतजाम किए हैं। मेला क्षेत्र में 50 फायर स्टेशन और 20 फायर पोस्ट स्थापित किए गए हैं। इसके अलावा, किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए 4,300 फायर हाइड्रेंट लगाए गए हैं। इस प्रकार, महाकुंभ मेला को अग्नि दुर्घटना से सुरक्षित रखने के लिए 131.48 करोड़ रुपये की लागत से वाहन व उपकरणों की तैनाती की गई है।

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मॉक ड्रिल की तैनाती

महाकुंभ क्षेत्र में 351 से अधिक अग्निशमन वाहन और 2,000 से अधिक प्रशिक्षित कर्मियों को तैनात किया गया है। साथ ही, प्रत्येक अखाड़े के टेंट्स को फायर फाइटिंग इक्विप्मेंट्स से लैस किया गया है। मेला की शुरुआत से पहले एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के साथ दर्जनों मॉक ड्रिल आयोजित की गई, जिसका अहम योगदान हादसों को टालने में रहा। प्रशासन के इन प्रभावी प्रयासों ने महाकुंभ में आग से होने वाली दुर्घटनाओं के जोखिम को कम किया और श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित किया गया है।

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