लखनऊ: विदेश में बेहतर नौकरी और अधिक कमाई के सपने देख रहे युवाओं पर इंटरनेशनल साइबर फ्रॉड माफिया की नजर है। जैसे ही ये युवा अपने सीवी जॉब साइट्स या सोशल मीडिया पर अपलोड करते हैं, साइबर माफिया के गुर्गे उन्हें फंसाने की योजना बनाने लगते हैं।
जॉब ऑफर के नाम पर युवाओं को थाईलैंड और अन्य देशों में बुलाया जाता है, जहां से उन्हें म्यांमार ले जाकर साइबर फ्रॉड के लिए मजबूर किया जाता है। मना करने पर यातनाएं दी जाती हैं। गोंडा, प्रतापगढ़, लखनऊ, महाराजगंज और गोरखपुर के युवाओं ने इस भयावह अनुभव को साझा किया।
होटल मैनेजमेंट और एमबीए करने के बाद उसने 40,000 रुपये महीने की नौकरी पाई थी। उसने लिंक्डइन पर सीवी अपलोड किया, जिसके बाद उसे म्यांमार के एक बड़े होटल में 1 लाख रुपये की सैलरी का ऑफर मिला। इंटरव्यू के बाद उसे होटल की बजाय एक कॉलोनी में ले जाकर साइबर गुलाम बना दिया गया।
प्रतापगढ़ के युवक ने बताया कि दुबई में वीजा समाप्त होने के बाद उसने सोशल मीडिया पर सीवी डाला। 24 घंटे के भीतर थाईलैंड की एक कंपनी ने संपर्क किया और तीन दिन में बुला लिया। लेकिन बैंकॉक पहुंचने के बाद उसे जबरन म्यांमार ले जाया गया, जहां साइबर क्राइम के लिए मजबूर किया गया।
लखनऊ के युवक ने बताया कि वहां के कॉल सेंटरों में वीपीएन, एआई और 3डी वीडियो कैमरों का इस्तेमाल कर फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट बनाए जाते हैं। इनका काम अमेरिका और यूरोप के अकेले रहने वाले मर्दों को हनीट्रैप में फंसाकर पैसे ऐंठना था।
22 फरवरी को भारतीय सेना के कहने पर म्यांमार की आर्मी ने 500 लोगों को छुड़ाया, जिन्हें 10 मार्च को भारत लाया गया। अब पुलिस और एलआईयू इन युवकों पर नजर बनाए हुए है, क्योंकि भारत में ही सक्रिय साइबर गैंग इन्हें फिर से अपने जाल में फंसा सकते हैं।
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