महाकुंभ 2025 (Mahakumbh 2025) को लेकर मुसलमानों की एंट्री पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस मुद्दे पर नेताओं और संत-महात्माओं की लगातार प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। अब ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी (Maulana Shahabuddin Razvi Bareilvi) ने बड़ा बयान दिया है।
मुस्लिमों ने आयोजन पर नहीं जताई आपत्ति
मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने कहा, ‘महाकुंभ का आयोजन वक्फ की 54 बीघा जमीन पर हो रहा है। इसके बावजूद मुसलमानों ने कोई आपत्ति नहीं जताई है। हमें उम्मीद है कि साधु-संत भी बड़ा दिल दिखाएंगे और मुसलमानों को कुंभ मेले में शामिल होने से नहीं रोकेंगे।’
मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने एक वीडियो संदेश में कहा कि मुसलमान हमेशा से ही उदार रहे हैं और महाकुंभ आयोजन इसका एक और उदाहरण है। उन्होंने बताया कि प्रयागराज के सरताज नामक व्यक्ति ने दावा किया कि महाकुंभ मेले की तैयारी जिस जमीन पर हो रही है, वह वक्फ बोर्ड की संपत्ति है। बावजूद इसके, मुसलमानों ने आयोजन पर कोई आपत्ति नहीं जताई। मौलाना ने अखाड़ा परिषद और साधु-संतों से अपील की कि वे मुसलमानों की एंट्री पर रोक लगाने जैसे तंग नजरिए को छोड़ें और सभी के लिए अपने दरवाजे खुले रखें।
अखाड़ा परिषद के फैसले से बढ़ा विवाद
4 नवंबर 2025 को प्रयागराज में भारतीय अखाड़ा परिषद की बैठक हुई थी। इस बैठक में प्रस्ताव पारित किया गया कि महाकुंभ मेले में सिर्फ सनातनी हिंदुओं को ही प्रवेश दिया जाएगा। परिषद का कहना है कि महाकुंभ में कुछ लोग अनुचित तरीकों से प्रवेश कर सनातन संस्कृति और परंपराओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इस फैसले के बाद महाकुंभ में मुसलमानों की एंट्री को लेकर विवाद गहराता गया।
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अखाड़ा परिषद के इस प्रस्ताव को हिंदू धर्मगुरुओं का समर्थन मिला है। संतों का कहना है कि महाकुंभ एक धार्मिक आयोजन है, जिसमें सनातन धर्म की परंपराओं को संरक्षित रखना प्राथमिकता होनी चाहिए। महाकुंभ में मुसलमानों की एंट्री को लेकर शुरू हुए इस विवाद ने आयोजन के माहौल को प्रभावित किया है। मौलाना शहाबुद्दीन ने साधु-संतों से अपील की है कि वे इस मुद्दे पर उदार दृष्टिकोण अपनाएं और सभी को आयोजन का हिस्सा बनने दें। वहीं, अखाड़ा परिषद ने अपने निर्णय को लेकर कोई बदलाव का संकेत नहीं दिया है।
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