आज यानी कि खेल दिवस के दिन टोक्यो पैरालंपिक में भाविनाबेन पटेल ने इतिहास रच दिया। वह टेबल टेनिस की महिला सिंगल्स स्पर्धा का रजत पदक जीतने में सफल रहीं। भले ही वो सोना लाने से चूक गईं पर उनके द्वारा की हुई कोशिश इतिहास के पन्नों में उनका नाम दर्ज कर गई। भाविनाबेन के जुझारू खेल ने सबका दिल जीता। भाविनाबेन ने सेमीफाइनल में चीनी खिलाड़ी को हराकर फाइनल में जगह बनाई थी। टोक्यो पैरालंपिक की इस स्पर्धा में भाविनाबेन की शानदार उपलब्धि के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत तमाम हस्तियों ने उन्हें बधाई दी है।
इतिहास के पन्नों में लिखा अपना नाम
जानकारी के मुताबिक, 34 वर्षीय भाविना ने पैरालंपिक खेलों में प्रभावशाली प्रदर्शन किया है। करीब 19 मिनट तक चले फाइनल मुकाबले में भाविना चीन की दो बार की स्वर्ण विजेता खिलाड़ी से 7-11, 5-11 और 6-11 से हार गईं। भाविना को सिल्वर मिला। वह टेबल टेनिस में मेडल जीतने वाली भारतीय खिलाड़ी भी हैं। इससे पहले भाविना ने सेमीफाइनल में चीन की झांग मियाओ को 7-11, 11-7, 11-4,9-11,11-8 से हराया था। भाविना क्वार्टर फाइनल मुकाबले में सर्बिया की बोरिस्लावा रैंकोविच पेरिच को लगातार तीन गेम में 11-5, 11-6, 11-7 से हरा कर सेमीफाइनल में पहुंची थीं।भाविनाबेन पटेल ने प्री क्वार्टर फाइनल में ब्राजील की जॉयज डि ओलिवियरा को 12-10, 13-11, 11-6 से मात दी थी। वे पैरालिंपिक में टेबल टेनिस का मेडल पक्का करने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी बन गई हैं।
मुश्किलों में बीता बचपन
बता दें कि गुजरात के वडनगर में जन्मीं भाविना को पैरालंपिक तक का सफर आसान नहीं रहा है। भाविना को सिर्फ 12 महीने की उम्र में पोलियो हो गया था। जब भाविना चौथी क्लास में पहुंची तो उनके माता-पिता सर्जरी के लिए आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम ले गए। भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) के अनुसार शुरुआत में भाविना ने पोलियो रोग की गंभीरता को अनदेखा किया और उचित देखभाल नहीं की। भाविना ने अपने गांव में ही कक्षा 12 तक पढ़ाई की और उसके बाद उनके पिता ने साल 2004 में ब्लाइंड पीपुल्स एसोसिएशन, अहमदाबाद में दाखिला करा दिया। यहां पर भाविना ने तेजलबेन लाखिया की देखरेख में एक कंप्यूटर कोर्स किया और गुजरात विश्वविद्यालय से पत्राचार के माध्यम से स्नातक की पढ़ाई की। यहां भाविना को पता चला कि उनके संगठन में खेल की गतिविधियां भी होती है। इसके बाद भाविना अपने कोच ललन दोषी से फिटनेस ट्रेनिंग लेनी शुरू की और धीरे-धीरे टेबल टेनिस खेल उनका जुनून बन गया।
ये हैं भाविना की उपलब्धियां
बस फिर क्या था, अपने जुनून के साथ आगे बढ़ते हुए 2007 में भाविना ने बेंगलुरू में पैरा टेबल टेनिस नेशनल में अपना पहला गोल्ड मेडल जीता। उन्होंने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत जॉर्डन से की थी लेकिन पहला पदक जीतने में थोड़ा समय लगा। पटेल ने कॉमनवेल्थ गेम्स 2010 में भाग लिया था लेकिन वह क्वार्टर फाइनल में हार गईं। भाविना का पहला अंतरराष्ट्रीय मेडल साल 2011 में थाईलैंड ओपन में आया जहां उन्होंने सिल्वर जीता। इसके बाद उन्होंने 2013 में पहली बार एशियाई क्षेत्रीय चैंपियनशिप में भी सिल्वर मेडल जीता।
सिंगल्स में जीत हासिल करने के बाद भाविना डबल्स में भी हाथ आजमाने लगी। डबल्स में उन्होंने सोनलबेन पटेल को अपना जोड़ीदार बनाया। भाविना ने आखिरकार 2019 में बैंकॉक में सिंगल्स में अपना पहला गोल्ड जीता। डबल्स में भी उन्हें गोल्ड मेडल मिला। भाविना ने एशियन पैरा गेम्स 2018 में भी मेडल जीता है। पटेल को रियो 2016 पैरालंपिक खेलों के लिए भी चुना गया था, लेकिन साई के अनुसार तकनीकी कारणों से खेलने में सक्षम नहीं थे। पर, इस बार के टोक्यो पैरालंपिक में उन्होंने इतिहास लिख दिया।
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