चुनाव आयोग और गृह मंत्रालय का बड़ा ऐलान! अब Voter ID से लिंक होगा आधार कार्ड

Election Commission: केंद्र सरकार वोटर आईडी और आधार को लिंक करने की प्रक्रिया को लेकर गंभीरता से विचार कर रही है। मंगलवार को चुनाव आयोग और यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (UIDAI) के अधिकारियों की बैठक हुई, जिसमें दोनों को जोड़ने पर सहमति बनी। अब इस पर एक्सपर्ट्स की राय ली जाएगी।

संविधान और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के तहत होगी लिंकिंग

चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि वोटर कार्ड को आधार से जोड़ने का कार्य मौजूदा कानून और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार किया जाएगा। 2015 में भी इस प्रकार का प्रयास किया गया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इसे रोक दिया गया था।

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चुनाव आयोग ने कहा

चुनाव आयोग ने कहा, “संविधान के अनुच्छेद 326 के अनुसार मतदान का अधिकार केवल भारतीय नागरिकों को है, जबकि आधार केवल व्यक्ति की पहचान है। इसीलिए यह निर्णय लिया गया कि मतदाता फोटो पहचान पत्र को आधार से लिंक करने के लिए सभी कानूनों का पालन किया जाएगा।”

लिंकिंग प्रक्रिया

वर्तमान कानून के अनुसार, मतदाता सूचियों को आधार डेटाबेस के साथ स्वैच्छिक रूप से जोड़ने की अनुमति दी गई है। सरकार ने बताया कि वोटर कार्ड और आधार को लिंक करने की प्रक्रिया पहले से चल रही है, हालांकि इसके लिए कोई समय-सीमा या लक्ष्य निर्धारित नहीं किया गया है। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि जो लोग अपने आधार कार्ड को मतदाता सूची से नहीं जोड़ते, उनके नाम मतदाता सूची से नहीं काटे जाएंगे।

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चुनाव आयोग ने मांगे सुझाव

भारतीय निर्वाचन आयोग (ECI) ने 31 मार्च से पहले निर्वाचन पंजीकरण अधिकारियों (ERO), जिला चुनाव अधिकारियों (DEO), और मुख्य चुनाव अधिकारियों (CEO) के स्तर पर बैठकें आयोजित करने का निर्णय लिया है। चुनाव आयोग ने सभी राष्ट्रीय और राज्य-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों से 30 अप्रैल 2025 तक आधिकारिक सुझाव भी मांगे हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने पहले लगाई थी रोक

चुनाव आयोग ने पहले भी 2015 में वोटर आईडी को आधार से लिंक करने का प्रयास किया था। उस समय 30 करोड़ से अधिक वोटर आईडी को आधार से लिंक किया गया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इसे रोक दिया गया था। आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के लगभग 55 लाख लोगों के नाम वोटर डेटाबेस से हटाए गए थे, जिसके बाद आधार की संवैधानिकता पर मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा। 26 सितंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि राज्य सब्सिडी और कल्याणकारी योजनाओं के अलावा आधार को किसी अन्य सेवा के लिए अनिवार्य नहीं बनाया जा सकता है।

 

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