मुलायम सरकार ने अगर मुख्तार अंसारी पर लगाया होता POTA तो नहीं होती BJP विधायक कृष्णानंद राय की हत्या’, पूर्व डीजीपी बृजलाल का दावा

बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय हत्याकांड में दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने सभी पांच आरोपियों को बरी कर दिया है. 2005 में हुई इस हत्या का आरोप बसपा विधायक मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) मुन्ना बजरंगी समेत कई समेत पांच लोगों पर था. अब इसे लेकर पूर्व डीजीपी और अनुसूचित जाति के अध्यक्ष बृजलाल (Brij Lal) ने बेहद सनसनीखेज दावा किया है, जिसके मुताबिक़ अगर मुलायम सिंह यादव की अगुवाई वाली तत्कालीन सपा सरकार अगर मुख़्तार अंसारी पर पोटा (प्रिवेंशन ऑफ़ टेररिज्म एक्ट) लगाने की अनुमति दे देती तो बीजेपी नेता कृष्णानंद राय की हत्या न होती.


सोमवार को पत्रकार वार्ता में बृजलाल ने बताया कि मुख़्तार अंसारी 2004 से ही कृष्णानंद राय की हत्या की फिराक में था. 25-26 जनवरी 2004 को एसटीएफ के तत्कालीन डीएसपी शैलेन्द्र कुमार सिंह ने राय की हत्या के लिए लाई एलएमजी पकड़ी थी. मुख्तार ने ही 36 राष्ट्रीय रायफल के जवान बाबूलाल यादव यादव से 762 बोर लाईट मशीनगन मंगवाई थी. पूर्व डीजीपी दावा है कि एलएमजी काफी समय तक मुख़्तार के गनर रहे बाबूलाल के मामा मुन्नर यादव के वाराणसी स्थित घर से पकड़ी गयी थी. बाबूलाल, मुन्नर और मुख़्तार पर पोटा लगाया गया था.


पूर्व डीजीपी का आरोप है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के करीबी एडीजी कानून व्यवस्था ने डीएसपी पर पोटा हटाने का दबाव बनाया था लेकिन एफआईआर दर्ज होने के कारण वह सफल नहीं हो सके. बृजलाल का कहना है कि मुख्तार 500 मीटर की रेंज से 550 गोली प्रति मिनट की दर से फायरिंग कर राय को मारना चाहता था. मुन्नर व बाबूलाल को अदालत से सजा हो गई. डीएसपी शैलेंद्र सिंह ने सरकार से प्रताड़ित होकर फरवरी 2004 में इस्तीफा दे दिया था. पोटा में मुकदमा चलाने के लिए सरकार की अनुमति लेनी पड़ती है लेकिन मुलायम सरकार ने अनुमति नहीं दी.


बृजलाल ने बताया कि गाजीपुर जेल में मुख्तार का दरबार लगता था. यहां मंत्री अधिकारी खुलेआम मिलते थे. इसमें एसपी भी शामिल थे. मुख़्तार ने कृष्णानंद राय की हत्या से पहले खुद को गाजीपुर से फर्रुखाबाद जेल में शिफ्ट करा लिया. 29 नवंबर 2004 को कृष्णानंद की हत्या कर दी गई. बृजलाल का कहना है कि मुलायम सरकार ने कोटा में कार्रवाई की अनुमति होती तो कृष्णानंद बच सकते थे मगर राजनीति अपराधिक गठजोड़ के कारण यह संभव नहीं हो सका.


बता दें कि यूपी के गाजीपुर की मुहम्मदाबाद विधानसभा सीट से तत्कालीन बीजेपी विधायक राय को 29 नवंबर 2005 को उस वक्त गोलियों से भून दिया गया था, जब वह सियारी नाम के गांव में एक क्रिकेट टूर्नमेंट का उद्घाटन करके लौट रहे थे. इस हमले में कृष्णानंदर राय समेत 7 लोगों की मौत हुई थी. कृष्णानंद राय भारतीय जनता पार्टी(बीजेपी) के दिग्गज नेता मनोज सिन्हा के काफी करीबी माने जाते थे. उस वक्त भारतीय जनता पार्टी के नेता आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए धरने पर बैठे थे. इस केस को  2006 में सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया गया था.


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