सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने वक्फ संशोधन अधिनियम (Waqf Amendment Act) को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से 7 दिनों के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है। इसके साथ ही अदालत ने यह भी स्पष्ट किया है कि जब तक सरकार की ओर से जवाब दाखिल नहीं होता, तब तक केंद्रीय वक्फ परिषद और वक्फ बोर्ड में किसी भी प्रकार की नई नियुक्ति नहीं की जाएगी।
वक्फ अधिनियम पर दायर याचिकाएं
गौरतलब है कि वक्फ अधिनियम में हुए संशोधनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं लंबित हैं। इन याचिकाओं में AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) की याचिका भी शामिल है, जिसमें इस कानून को असंवैधानिक बताते हुए इसे रद्द करने की मांग की गई है।
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ओवैसी ने केंद्र सरकार पर साधा निशाना
The legal battle against the unconstitutional and reprehensible Waqf Amendment Act continues in the Hon’ble Supreme Court. I am also a party in this case challenging the constitutionality of the Act. I am being represented by @MNizamPasha pic.twitter.com/oNVSCH30xo
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) April 17, 2025
AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश का स्वागत करते हुए कहा कि केंद्र सरकार वक्फ को कमजोर करने की कोशिश कर रही है, जो भारत के संघीय ढांचे के खिलाफ है। उन्होंने ANI से बातचीत में कहा,”यह कानून वक्फ की जमीनों को बर्बाद करने के लिए लाया गया है। हमारी पार्टी और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) इस काले कानून के खिलाफ मजबूती से खड़े हैं।”
संशोधनों पर जताई चिंता
ओवैसी ने कहा कि इस कानून में 40-45 संशोधन किए गए हैं, जिनकी बारीकी से समीक्षा की जा रही है। उन्होंने इसे मौलिक अधिकारों का उल्लंघन बताते हुए कहा कि यह केवल वक्फ संपत्तियों को खत्म करने की दिशा में एक कदम है।
AIMPLB के प्रदर्शन को समर्थन
ओवैसी ने AIMPLB द्वारा चलाए जा रहे विरोध प्रदर्शन का समर्थन करते हुए कहा कि यह लड़ाई केवल अदालतों तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि यह एक सामाजिक आंदोलन का रूप लेगी।
सलमान खुर्शीद की प्रतिक्रिया
कांग्रेस नेता और वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद ने सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि,”सभी पक्षों की दलीलें अदालत में रखी जा चुकी हैं। अंतिम निर्णय सुप्रीम कोर्ट का होगा और हम उसका सम्मान करेंगे।”
अगली कार्यवाही
गुरुवार को इस मामले पर सुनवाई चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की तीन सदस्यीय पीठ ने की। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सरकार की ओर से जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा, जिस पर अदालत ने उन्हें एक सप्ताह की मोहलत दी।