लखनऊ: ऐसा IPS जिसकी मौजूदगी से शांत हो जाता माहौल, आज भी ईमानदारी के चर्चे लोगों की जुबान पर

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में पुलिस का इतिहास कई रोमांचक किस्सों और जांबाजी से भरा हुआ है. शहर के अनेक पुलिस अफसर अपने काम से सुर्खियों में रहे और वहां के नागरिकों का विश्वास भी जीता. इनमें से एक आईपीएस है जय प्रकाश. जिनकी अलग ही पहचान है, साथ ही उनकी ईमानदारी और पीड़ित के प्रति संवेदनशीलता को पुलिसकर्मी ही नहीं शहर के लोग आज भी याद करते हैं.


Also Read: प्रियंका गांधी वाड्रा के काफिले की गाड़ी ने कुचला महिला सिपाही का पैर, नजरअंदाज कर निकल गईं कांग्रेस महासचिव


बता दें कि पुलिस अफसरों की ईमानदारी की चर्चा होते ही पुलिसकर्मियों की जुबान पर जय प्रकाश का नाम जरूर आता है. इन्होंने छुट्टी लेने के साथ सरकारी वाहन छोड़कर सिटी बस व ऑटो में सफर करने में कभी भी हिचक नहीं महसूस की. राजधानी में सीओ हजरतगंज, अपर पुलिस अधीक्षक नगर पश्चिम व ट्रांसगोमती रहे जय प्रकाश की ईमानदारी के साथ पीड़ित के प्रति संवेदनशीलता एक मिसाल है.


Also Read: Video: उपेंद्र कुशवाहा के बिगड़े बोल, कहा- बीजेपी ऐसी सीता मैया जो मंच पर देवी का रूप और पर्दे के पीछे सिगरेट पीती है


दफ्तर में मिलने आए दोस्तों के लिए चाय मंगाते समय जेब से पैसे देकर ही अर्दली को भेजते थे. एक कोतवाल ने उनके दफ्तर में मेहमान को जाते देख जूस भेजने पर फटकार सुनी तो अन्य थानेदार भी खातिरदारी की हिम्मत नहीं जुटा सके. परिवारीजनों द्वारा नए टीवी की मांग करने पर उन्होंने नाका इलाके की एक दुकान पर पुराना टीवी बेचा और कुछ रुपये मिलाकर दूसरा टीवी घर ले गए.


Also Read: कानपुर: ट्रेन में बिना टिकट सफर कर रहे दारोगा की दादागिरी, टीटीई को मार-मारकर किया लहूलुहान


पुलिस लाइन के ट्रांजिट हॉस्टल में रह रहे परिवारीजन अन्य अफसरों के ठाठबाट की चर्चा करते तो जय प्रकाश अपने वेतन से ही सुविधाएं मुहैया कराने की बात कहकर शांत करा देते. ईमानदारी के साथ उनकी निष्पक्षता ने पीड़ितों को इंसाफ दिलाया. कोई संगीन वारदात हो या मामूली शिकायत, वह विश्वस्त पुलिसकर्मियों से जांच कराकर पीड़ित को इंसाफ दिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ते.


Also Read: वाराणसी में आज पीएम का मेगा रोड शो, कई दिग्गजों के साथ करीब 6-7 लाख लोग हो सकते हैं शामिल


राजनेताओं, अफसरों व कद्दावर लोगों द्वारा की गई सिफारिश को शालीनता के साथ सुनते और पीड़ित के खिलाफ दबाव महसूस होते ही सिफारिश मानने से इंकार कर देते थे. आलम यह हुआ कि उनके क्षेत्र के पुलिसकर्मी किसी मामले में खेल करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते और नागरिक उन पर भरोसा करते थे. पीड़ित व्यक्ति उनके कक्ष में बेधड़क दाखिल होते और दलाल चौखट पर भी नहीं फटकते थे.


Also Read: अनुप्रिया पटेल बोलीं- डिंपल बड़े घराने की बहू, जनता के बीच नहीं आतीं


कानून व्यवस्था बिगड़ने की स्थिति में जय प्रकाश द्वारा मौके पर पहुंच कर दिए गए आश्वासन पर लोग भरोसा करते थे. श्रवण साहू हत्याकांड से आक्रोशित नागरिकों के प्रदर्शन के दौरान जय प्रकाश ने परिवार को कातिलों को जल्द पकड़ने का भरोसा दिलाया और खुद दिन-रात मेहनत करके शूटरों को गिरफ्तार कराया.


( देश और दुनिया की खबरों के लिए हमेंफेसबुकपर ज्वॉइन करें, आप हमेंट्विटरपर भी फॉलो कर सकते हैं. )