राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Draupadi Murmu) ने बुधवार को न्यायमूर्ति डी.वाई चंद्रचूड (Justice DY Chandrachud) को भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) पद की शपथ दिलाई। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में शपथ ली, जिसमें उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, कानून मंत्री किरेन रिजिजू, भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश यू.यू. ललित, उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस ललित 8 नवंबर को सेवानिवृत्त हुए। जस्टिस चंद्रचूड़ सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज वाई.वी. चंद्रचूड़ के बेटे हैं, जो 1978 से 1985 के बीच लगभग सात साल और चार महीने तक पद पर रहने के लिए सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले सीजेआई थे। अपने कार्यकाल के दौरान न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ ने अपने पिता के दो फैसलों को पलट दिया, जो व्यभिचार और निजता के अधिकार से संबंधित थे।
Dr Justice D.Y. Chandrachud sworn in as the Chief Justice of the Supreme Court of India at Rashtrapati Bhavan today. pic.twitter.com/8mXM6U55tL
— President of India (@rashtrapatibhvn) November 9, 2022
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने हार्वर्ड लॉ स्कूल से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने कोविड के समय में वर्चुअल सुनवाई शुरू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो अब एक स्थायी विशेषता बन गई है। वह अयोध्या टाइटल विवाद, समलैंगिकता के अपराधीकरण, व्यभिचार, निजता, सबरीमाला में महिलाओं के प्रवेश आदि पर ऐतिहासिक निर्णयों का हिस्सा रहे हैं।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने 31 अक्टूबर, 2013 से सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में अपनी पदोन्नति तक इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में भी कार्य किया है।
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जस्टिस चंद्रचूड़ मुंबई विश्वविद्यालय और ओक्लाहोमा यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ लॉ, यूएस में तुलनात्मक संवैधानिक कानून के विजिटिंग प्रोफेसर रहे हैं। जून 1998 में, उन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया था।
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