उत्तर प्रदेश में विधान परिषद की 12 सीटें 30 जनवरी को खाली हो रही हैं। इन सीटों पर चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया गया है। एमएलसी चुनाव के लिए 28 जनवरी को वोट डाले जाएंगे। चुनाव आयोग ने बुधवार को विधान परिषद की 12 सीटों पर होने वाले एमएलसी चुनाव के लिए अधिसूचना जारी कर दी है।
इसके मुताबिक, 11 जनवरी से नामांकन की प्रक्रिया शुरू होगी और 21 जनवरी तक नाम वापस लिए जा सकेंगे। इन चुनावों के लिए वोटिंग 28 जनवरी को सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक होगी और उसी दिन मतगणना शाम 5 बजे शुरू हो जाएगी। 29 जनवरी को रिजल्ट आएगा। बता दें कि जन 12 विधायकों का कार्यकाल 30 जनवरी को खत्म हो रहा है, उसमें समाजवादी पार्टी के 6, भाजपा के 3 और बसपा के 2 विधायक शामिल हैं। एक अन्य सीट नसीमुद्दीन सिद्दीकी की भी खाली है।
बीजेपी विधान परिषद (एमएलसी) की खाली हो रही सीटों में दस पर चुनाव लड़ेगी। बीजेपी की समिति ने दस सीटों के लिए 14 नामों का पैनल तैयार किया गया है। इसकी अंतिम सूची भेजने के लिए समिति ने प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह को अधिकृत किया है। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में इस बात पर सहमति बन गई है कि सरकार में डिप्टी सीएम डॉ. दिनेश शर्मा और प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह को दोबारा एमएलसी बनाया जाए।
भाजपा के तीन सदस्य
- डिप्टी सीएम डॉ. दिनेश शर्मा
- भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह
- लक्ष्मण प्रसाद आचार्य
समाजवादी पार्टी के 6 सदस्य
- परिषद में नेता प्रतिपक्ष अहमद हसन
- आशु मलिक
- रमेश यादव
- रामजतन राजभर
- वीरेंद्र सिंह
- साहब सिंह सैनी
वीरेंद्र सिंह बीजेपी की सदस्यता पहले ग्रहण कर चुके हैं लेकिन विधान परिषद में आज भी सपा के एमएलसी के तौर पर उनका नाम दर्ज है।
बसपा के 3 सदस्य
- धर्मवीर सिंह अशोक
- प्रदीप कुमार जाटव
- नसीमुद्दीन सिद्दीकी
नसीमुद्दीन बसपा छोड़ कांग्रेस की सदस्यता काफी पहले ग्रहण कर चुके हैं और बसपा की अपील पर दल बदल कानून के तहत उनकी सदस्यता विधान परिषद से रद्द भी की जा चुकी है, लेकिन उनका भी नाम बसपा एमएलसी के तौर पर परिषद में दर्ज था।
बता दें कि विधान परिषद सदस्य का दर्जा विधायक के ही समकक्ष होता है। वर्तमान में यूपी विधान परिषद में 100 सीटें हैं। विधानसभा के एक तिहाई से ज्यादा सदस्य विधान परिषद में नहीं होने चाहिए। प्रदेश में 403 विधानसभा सदस्य हैं। ऐसे में यूपी विधान परिषद में 134 से ज्यादा सदस्य नहीं हो सकते हैं। इसके अलावा विधान परिषद में कम से कम 40 सदस्य होना जरूरी है।
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