मुकेश कुमार, ब्यूरो चीफ़ पूर्वांचल। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय ने अपनी स्थापना के 75 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में हीरक जयंती समारोह का आयोजन अत्यंत भव्यता एवं गरिमा के साथ किया। इस ऐतिहासिक अवसर पर उत्तर प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो पूनम टंडन ने की।
इस अवसर पर सांसद श्री रवि किशन शुक्ला, महापौर डॉ. मंगलेश कुमार श्रीवास्तव, विधायक श्री विपिन सिंह, प्रमुख सचिव (उच्च शिक्षा) श्री एम.पी. अग्रवाल, पोस्ट मास्टर जनरल श्री गौरव श्रीवास्तव, प्रति कुलपति प्रो शांतनु रस्तोगी, हीरक जयंती समारोह की समन्वयक प्रो नंदिता सिंह, सह समन्वयक प्रो हर्ष सिंहा, प्रो निखिलकांत शुक्ला सहित अनेक गणमान्य अतिथि मंचासीन रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ सूर्यकांत त्रिपाठी ने किया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अपनी 75 वर्ष की शानदार यात्रा का मूल्यांकन करते हुए गोरखपुर विश्वविद्यालय को अब शताब्दी वर्ष अर्थात आगामी 25 वर्षों की कार्ययोजना बनानी चाहिए। इस कार्ययोजना में उन बातों का जरूर ध्यान रखना होगा जिससे हमारा विश्वविद्यालय अच्छी ग्लोबल रैंकिंग वाले विश्वविद्यालय के रूप में अपनी पहचान वैश्विक बना सके।
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मुख्यमंत्री ने हीरक जयंती वर्ष के लिए विश्वविद्यालय परिवार को बधाई देते हुए कहा कि एक मई 1950 को स्थापित इस विश्वविद्यालय की 75 वर्ष की यात्रा के विराम के बाद कल एक मई से अमृतकाल की यात्रा शुरू होगी। शताब्दी महोत्सव में गोरखपुर विश्वविद्यालय कहां होगा, इसकी कार्ययोजना आगामी छह माह से एक साल के भीतर बना लेनी होगी। और, फिर बिना रुके, बिना डिगे उस कार्ययोजना पर प्रयास करने की जरूरत होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि निश्चित ही विश्वविद्यालय ने अपनी अब तक की यात्रा में अनेक उपलब्धियां हासिल की हैं लेकिन अब अच्छी और उल्लेखनीय ग्लोबल रैंकिंग हासिल करने की दिशा में बढ़ने के लिए स्वस्थ प्रतिस्पर्धा से जुड़ना होगा। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय की आगामी कार्ययोजना में सरकार हर संभव सहयोग करने को तत्पर है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आगामी 25 वर्षों की कार्ययोजना में विश्वविद्यालय को विशिष्टता के क्षेत्र में प्रयास करने चाहिए। इस दौरान ढेर सारे अवसर आएंगे। उन अवसरों को अपने अनुरूप जोड़ना और सामयिक निर्णय लेना होगा। उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति या संस्था के लिए प्रत्येक क्षेत्र में आगे होना संभव नहीं है। इसलिए कोई एक ऐसा क्षेत्र चुना जाना चाहिए जिसमें कुछ विशिष्टता प्राप्त हो सके और उससे नई पहचान मिल सके।
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 75 वर्ष की यात्रा विश्वविद्यालय की स्थापना और इसकी प्रगति में योगदान देने वाले विभूतियों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने का भी अवसर है। भारतीय ज्ञान परंपरा को संहिताबद्ध करने वाले वेद व्यास का उद्धरण देते हुए उन्होंने कहा कि उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने के लिए गुरु पूर्णिमा पर्व की शुरुआत हुई। उन्होंने कहा कि यह गौरव की बात है कि आजाद भारत का पहला विश्वविद्यालय गोरखपुर में स्थापित हुआ। तब संसाधन नहीं थे, कनेक्टिविटी भी नहीं थी इसके बावजूद कुछ मानिंद लोगों ने विश्वविद्यालय की स्थापना का कार्य संभव कर दिखाया। मुख्यमंत्री ने विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए अपने दो डिग्री कॉलेज देने वाले महंत दिग्विजयनाथ, कल्याण के संपादक भाईजी हनुमान प्रसाद पोद्दार, सरदार सुरेंद्र सिंह मजीठिया, तत्कालीन जिलाधिकारी सुरति नारायण मणि त्रिपाठी, मधुसूदन दास डॉ. एनके लाहिड़ी, पीसी चाको, पहले कुलपति प्रो. बीएन झा के योगदान को याद करते हुए उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि भी दी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गोरखपुर विश्वविद्यालय को अपनी 75 वर्ष की यात्रा के दौरान हुए कार्यक्रमों को धरोहर के रूप में संजोना चाहिए। आज तो डिजिटल का दौर है ऐसे में किसी भी लिखित धरोहर पर दीमक लगने का भय भी नहीं होगा। उन्होंने कहा कि अब तक की यात्रा में कितने पब्लिकेशन, शोध पत्र और नवाचार हुए इसे आने वाली पीढ़ी के लिए संग्रहित करना होगा। इस परिप्रेक्ष्य में सीएम ने 1940 में गोरखनाथ मंदिर से प्रकाशित योगी शांतिनाथ की ‘प्राच्य दर्शन’ पर लिखी पुस्तक को संजोने के प्रयासों का उल्लेख किया। बताया कि इस पुस्तक की एक मात्र प्रति 1995 में गायब हो गई थी लेकिन लगातार प्रयासों से अब उसे अयोध्या से प्राप्त कर लिया गया है और उस एक प्रति से अनेक प्रति का प्रकाशन सुनिश्चित होगा। उन्होंने कहा कि ऐसे ही बहुत से लुफ्तप्राय प्रकाशन है जिन्हें संजोने की आवश्यकता है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने इस बात पर दुख प्रकट किया कि सूचना क्रांति ने पुस्तक पढ़ने की परंपरा को कमजोर किया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आज दुनिया बहुत आगे है इसलिए खुद को स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करना होगा। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय टापू न बने। छात्र और शिक्षक के बीच, संस्थान और समाज के बीच बेहतर संवाद स्थापित करने की दिशा में कार्य करे। उन्होंने कहा कि स्वस्थ समाज के लिए ज्ञान के प्रवाह को अंतिम पायदान तक पहुंचाने के लिए संवाद बेहद आवश्यक है। संवाद के जरिए ही हम समाज के विकास में अपनी भूमिका को रेखांकित कर पाएंगे। उन्होंने सोशल इंपैक्ट स्टडी, जिओ मैपिंग, फ्लड एक्शन प्लान और पुरातात्विक कार्य से जुड़े कुछ टिप्स देते हुए कहा कि यदि हम कार्य नहीं करेंगे तो पिछड़ जाएंगे। मुख्यमंत्री ने अशोक और चंद्रगुप्त की परंपरा में नालंदा से तक्षशिला को जोड़ने के लिए बनाए गए उत्तरपथ पर कौड़ीराम के सोहगौरा के होने की जानकारी देते हुए कहा कि हमारी सभ्यता सबसे प्राचीन है लेकिन शोध के विशिष्ट कार्य नहीं किए गए और हम बिछड़ते गए।
गोरखपुर में जल्द बनेगा पांचवा विश्वविद्यालय: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि गोरखपुर विश्वविद्यालय की स्थापना उस दौर में हुई थी जब कनेक्टिविटी की स्थिति बेहद खराब थी। आज रोड, रेल और एयर, तीनों तरह की कनेक्टिविटी बेहद शानदार हुई है। आज गोरखपुर में चार विश्वविद्यालय, दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, आयुष विश्वविद्यालय और महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय हैं। जल्द ही गोरखपुर में फॉरेस्ट्री और हॉर्टिकल्चर विश्वविद्यालय की स्थापना भी होने जा रही है। इसके अलावा गोरखपुर के बगल में कुशीनगर में महात्मा बुद्ध के नाम पर कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय का निर्माण चल रहा है।
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हीरक जयंती समारोह को संबोधित करते हुए सांसद रविकिशन शुक्ल ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा गौरवशाली गोरखपुर विश्वविद्यालय को उच्च शिक्षा का उत्कृष्ट केंद्र बनाने की है। उनके मार्गदर्शन में यह विश्वविद्यालय निरंतर प्रगति पथ पर आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि सीएम योगी के निर्देश पर वह अपनी सांसद निधि से विश्वविद्यालय के लिए जरूरी कार्य कराने जा रहे हैं।
समारोह में मुख्यमंत्री का स्वागत करते हुए दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने कहा कि अपनी स्थापना के 75 वर्षों में गोरखपुर विश्वविद्यालय ने अपने विद्यार्थियों के माध्यम से अनेक क्षेत्रों में मजबूत पहचान बनाई है। उन्होंने विश्वविद्यालय की प्रगति यात्रा में सीएम योगी के सहयोग और मार्गदर्शन के लिए आभार व्यक्त करते हुए कहा कि विभिन्न संस्थानों से अच्छी रैंकिंग प्राप्त करने वाले इस विश्वविद्यालय को यूजीसी ने कटेगरी-1 के विश्वविद्यालय की मान्यता दी है। उन्होंने कहा कि श्रेष्ठ ज्ञान से श्रेष्ठ मनुष्य और श्रेष्ठ मनुष्य से सशक्त राष्ट्र बनाने का लक्ष्य हासिल करने को यह विश्वविद्यालय प्रतिबद्ध है।
सीएम ने किया महंत दिग्विजयनाथ प्रेक्षागृह का शिलान्यास, 18 माह में कार्य पूर्ण करने के निर्देश
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के हीरक जयंती समारोह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ प्रेक्षागृह का शिलान्यास किया। गोरखपुर विश्वविद्यालय की स्थापना में महंत दिग्विजयनाथ का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्होंने अपने द्वारा स्थापित महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के दो डिग्री कॉलेज विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए सहर्ष दे दिए थे। महंत जी गोरखपुर विश्वविद्यालय की स्थापना समिति के उपाध्यक्ष भी थे। उनकी स्मृति में बनने वाले प्रेक्षागृह के निर्माण पर 43 करोड़ 10 लाख रुपये की लागत आएगी। प्रेक्षागृह की क्षमता 1500 लोगों की होगी। प्रेक्षागृह में दो कॉन्फ्रेंस हाल और एक प्रदर्शनी हाल भी होगा। महंत दिग्विजयनाथ प्रेक्षागृह का शिलान्यास करने के बाद मुख्यमंत्री ने इसके लेआउट और ड्राइंग मैप का अवलोकन किया। उन्होंने कार्यदायी संस्था के अधिकारियों से निर्माण कार्य की समय सीमा के बारे में जानकारी ली। अधिकारियों ने कहा कि 24 माह में प्रेक्षागृह बन जाएगा। इस पर मुख्यमंत्री ने निर्देशित किया कि समय सीमा कम करते हुए इसका निर्माण 18 माह में पूर्ण किया जाना सुनिश्चित किया जाए।
गोरखपुर विश्वविद्यालय के हीरक जयंती समारोह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विश्वविद्यालय के विशिष्ट पुरातन छात्रों को सम्मानित किया। इनमें प्रख्यात साहित्यकार प्रो. रामदेव शुक्ल, बीएसएफ के डीआईजी रहे व कीर्ति चक्र से सम्मानित नरेंद्र नाथ धर दूबे, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के संयुक्त निदेशक प्रवीण कुमार मिश्र, मुंबई में आयकर आयुक्त कृष्ण कुमार मिश्र, भारतीय प्रशासनिक सेवा की अधिकारी वंदना त्रिपाठी, सुपरिचितरियल एस्टेट डेवेलपर शोभित मोहन दास और खगोल भौतिक विज्ञानी प्रो. दुर्गेश त्रिपाठी शामिल हैं। इनके अलावा संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में चयनित इकबाल अहमद और अन्नू गुप्ता की मंच से प्रशंसा की गई।
कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने अपने स्वागत भाषण में सभी विशिष्ट अतिथियों, पुरातन छात्रों, शिक्षकों, छात्रों, अधिकारीगण एवं नगर के प्रबुद्ध नागरिकों का हार्दिक अभिनंदन किया। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात देश के पुनर्निर्माण के लिए शिक्षित समाज की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए इस विश्वविद्यालय की स्थापना 1 मई 1950 को तत्कालीन मुख्यमंत्री पं. गोविंद बल्लभ पंत द्वारा की गई थी। पूर्वांचल जैसे सांस्कृतिक रूप से समृद्ध किन्तु आर्थिक रूप से पिछड़े क्षेत्र में यह प्रदेश का प्रथम विश्वविद्यालय बना।
कुलपति प्रो. टंडन ने श्रद्धेय महंत दिग्विजयनाथ जी, भाई जी हनुमान प्रसाद पोद्दार, डॉ. पी.सी. चाको, श्री हरिहर प्रसाद दूबे सहित विश्वविद्यालय के स्थापकों के योगदान का स्मरण करते हुए कहा कि आज यह संस्थान एक विशाल वटवृक्ष का रूप ले चुका है जिसकी शाखाएँ ज्ञान, विज्ञान, कला और साहित्य के क्षेत्र में विस्तार पा चुकी हैं।
उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय को नैक द्वारा ‘ए++’ ग्रेड प्रदान किया गया है और साथ ही नेचर इंडेक्स 2024 में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में विश्वविद्यालय ने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। भारत में 84वीं रैंक और उत्तर प्रदेश में प्रथम स्थान प्राप्त करना विश्वविद्यालय के लिए गर्व का विषय है। उन्होंने यह भी कहा कि नई शिक्षा नीति के अंतर्गत रोजगारपरक पाठ्यक्रमों जैसे बीफार्मा, डीफार्मा, एमएस (AI), बीसीए (डेटा साइंस) की शुरुआत की गई है जिससे छात्रों के लिए नए अवसर सृजित हुए हैं। पीएम-उषा योजना के अंतर्गत 100 करोड़ की राशि से बुनियादी ढांचे के विकास को गति मिलेगी।
प्रो. टंडन ने बताया कि विश्वविद्यालय ने अनेक राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के साथ एमओयू किए हैं जिससे शोध, नवाचार एवं वैश्विक ज्ञान के आदान-प्रदान में वृद्धि हुई है। उन्होंने यह भी कहा कि गोरखपुर वह पवित्र भूमि है जहाँ गोरक्षनाथ का योग, बुद्ध की करुणा और कबीर की क्रांति समाहित है, और यह विश्वविद्यालय उन्हीं मूल्यों को आत्मसात कर राष्ट्र निर्माण के लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है।
समारोह में विश्वविद्यालय के विशिष्ट पुरातन छात्रों की उपस्थिति से भावी पीढ़ी को प्रेरणा मिली। कुलपति प्रो. टंडन ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के आशीर्वाद एवं मार्गदर्शन के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए आश्वस्त किया कि विश्वविद्यालय भविष्य में और अधिक ऊँचाइयों को प्राप्त करेगा।
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इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ एवं कुलपति प्रोफेसर पूनम टंडन ने विशिष्ट पुरातन छात्रों को सम्मानित किया।
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