मदार (Calotropis) का पत्ता औषधीय गुणों से भरपूर होता है और इसे आयुर्वेद में कई बीमारियों के उपचार के लिए इस्तेमाल किया जाता है।मदार का पत्ता, जिसे संस्कृत में “अर्क” कहा जाता है, आयुर्वेद में औषधीय उपयोग के लिए अत्यधिक प्रसिद्ध है। इसके पत्तों में अनेक औषधीय गुण पाए जाते हैं, जो विभिन्न बीमारियों में राहत प्रदान करते हैं। मदार के पत्तों में एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-माइक्रोबियल और दर्द निवारक गुण होते हैं। इसे जोड़ों के दर्द, गठिया और मांसपेशियों की सूजन जैसी समस्याओं के लिए विशेष रूप से उपयोगी माना जाता है। पत्ते को हल्का गर्म करके प्रभावित स्थान पर लगाने से सूजन और दर्द में तेजी से आराम मिलता है।
बवासीर
बवासीर (पाइल्स) के इलाज में मदार के पत्तों का उपयोग प्राचीन काल से हो रहा है। पत्ते को सरसों के तेल में भिगोकर गर्म किया जाता है और इसे दर्द और सूजन वाले स्थान पर रखा जाता है, जिससे रक्त प्रवाह सामान्य होता है और बवासीर की तकलीफ कम होती है।
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त्वचा
त्वचा की समस्याओं, जैसे खुजली, चर्म रोग और एक्ज़िमा के उपचार में भी मदार के पत्तों का उपयोग किया जाता है। इसके रस में त्वचा को साफ और संक्रमण मुक्त करने वाले तत्व होते हैं। मदार के पत्तों का लेप घावों और फोड़े-फुंसियों पर लगाने से संक्रमण का खतरा कम हो जाता है और घाव जल्दी भरते हैं।
बुखार
इसके अलावा, सर्दी-जुकाम और बुखार में भी मदार के पत्तों का काढ़ा प्रभावी होता है। इसका सेवन शरीर को विषाक्त पदार्थों से मुक्त करता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। यह पाचन तंत्र की समस्याओं, जैसे अपच, कब्ज और गैस में भी उपयोगी होता है।
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हालांकि, मदार एक शक्तिशाली औषधि है, लेकिन इसे सावधानी से इस्तेमाल करना चाहिए। इसकी अधिक मात्रा विषाक्त हो सकती है और इसका उपयोग करने से पहले आयुर्वेद विशेषज्ञ से परामर्श लेना आवश्यक है।
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