जैसे की किसी इंसान की मृत्यु हो जाने के बाद उसकी अंतिम विदाई पूरे रीति-रिवाज एवं सम्मान के साथ करना आम बात है. लेकिन अगर किसी जानवर की शवयात्रा निकाली जाए और पूरे रीति-रिवाज के साथ उसका अंतिम संस्कार किया जाये तो ये सुनने में बड़ा अजीब लगता है. बिहार के नवादा कुछ ऐसा ही हुआ, जहां गोलू नाम के एक कुत्ते की मौत के बाद गांव के लोगों ने उसकी अंतिम विदाई पूरे रीति-रिवाज एवं सम्मान के साथ देने का फैसला किया.
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पूरे गांव का प्यारा था ‘गोलू‘, मौत का दु:ख सभी को हुआ
नवादा स्थित रोह प्रखंड के बारापाण्डेया गांव में गांववालों के द्वारा कुत्ते ‘गोलू’ की शवयात्रा बैंड-बाजे के साथ निकाली गई और कुत्ते की अंतिम विदाई में लोगों की आंखों से आंसू निकले. इंसानो की तरह ही कुत्ते का अंतिम संस्कार ग्रामीणों में चर्चा का विषय बन गया. कुत्ता ‘गोलू’ अपने मालिक का दुलारा और मोहल्ले वासियों का प्यारा था. अपनी वफादारी और चौकसी के कारण वो लोगों का चहेता बन चुका था. एक स्ट्रीट डॉग की अलग सूझबूझ को देख लोग हैरान रहते थे. लोग बताते हैं कि गोलू के रहते रात में किसी अजनबी को गली में घुसने की हिम्मत नहीं थी लिहाजा मुहल्लेवासी चैन की नींद सोते थे. यही कारण है कि कुत्ता गोलू की मौत का दु:ख सभी को हुआ और लोगों ने विधिवत उसका अंतिम संस्कार करने का सोचा. परंपरा के मुताबिक कुत्ते के शव को अर्थी पर रखकर बैंड-बाजे के साथ ठीक वैसे ही शवयात्रा निकाली गई, जैसे किसी इंसान की शवयात्रा निकलती है.
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ग्रामीणों ने कुत्ते की वफादारी का कर्ज किया चुकता
बता दें कि कुत्ते के अंतिम संस्कार में भारी संख्या में ग्रामीण शामिल हुए. ग्रामीणों का मानना है कि कुत्ते इंसान के प्रति वफादार होते हैं लिहाजा हमें भी उसके प्रति संवेदनशील होना चाहिये. ग्रामीण सुधीर साव, मनोज पांडेय, सतीश रावत, उत्तम सिंह, गौतम कुमार, रामाधीन यादव ने बताया कि पालतू जानवर अपने जीवन में इंसान को लाभ पहुंचते हैं, लिहाजा हमारा कर्तव्य है कि उन पालतू जानवरों की देखभाल अच्छे तरीके से करें और उनकी मौत के बाद उनका अंतिम संस्कार भी करें. रोह के बारापाण्डेया में ग्रामीणों ने कुत्ते की ईमानदारी का कर्ज पूरे सम्मान के साथ अंतिम संस्कार करने के बाद चुकता किया. ग्रामीणों ने कहा कि गोलू एक कुत्ता नहीं, उनके समाज का अहम हिस्सा था. उसके साथ पूरे गांव का भावनात्मक लगाव था. गोलू ने जिंदगी भर गांव के लोगों की सेवा ही की.
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