24 साल बाद मुलायम ने किया माया का स्वागत, गेस्ट हाउस कांड के बाद खत्म हुआ था रिश्ता

लोकसभा के इस चुनावी दंगल में अब कुछ भी असंभव नहीं रहा है. कभी एक-दूसरे के कट्टर दुश्मन रहे सपा और बसपा ने गठबंधन करके सबको चौंका दिया था. वहीं, अब सपा-बसपा के गठजोड़ में नया अध्याय जग गया है. गेस्ट हाउस कांड के बाद तकरीबन 24 साल बाद आज बसपा प्रमुख मायावती और सपा के संरक्षक मुलायम सिंह यादव एक साथ मंच पर दिखाई दिए, जहां मुलायम ने मायावती का स्वागत किया.


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उत्तर प्रदेश ने कांशीराम और मुलायम की दोस्ती के बाद अखिलेश और मायावती को एक साथ देखा है. ऐसे में दोनों दलों के नेता अपने-अपने समर्थकों के बीच यह संदेश पहुंचाने की कोशिश कर रहे है कि उन्होंने पुराने मतभेद भुला दिए हैं और अब एक साथ हैं. साथ ही मतदाता दोनों को मिलकर समर्थन दे.



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शुक्रवार यानि की आज मुलायम सिंह यादव के चुनावी क्षेत्र मैनपुरी में सपा-बसपा और रालोद की संयुक्त रैली हुई. जहां मुलायम सिंह यादव, मायावती, अखिलेश यादव और अजित सिंह एक साथ मंच पर नजर आये. उत्तर प्रदेश की राजनीति के लिए यह उत्सुकता भरा पल था कि पुरानी कड़वाहट को भुलाकर मायावती और मुलायम सिंह ने जनता को संबोधित किया. बता दें कि मुलायम सिंह यादव मैनपुरी से सपा के उम्मीदवार हैं. वो यहां से लंबे वक्त से चुनाव जीतते आ रहे हैं. सपा अकेले भी यहां चुनाव लड़ती है तो उसकी जीत का समीकरण वही रहता. हालांकि इस बार उसे बसपा का भी समर्थन हासिल है.



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गेस्ट हाउस कांड के बाद जुदा हुए थे रास्ते

मुलायम सिंह यादव और कांशीराम के दौर से शुरु हुआ सपा-बसपा के साथ का सफर साल 1995 में लखनऊ गेस्ट हाउस कांड के बाद दुश्मनी में तब्दील हो गया था. जिसके बाद दोनों दलों के रास्ते जुदा हो गए और लगातार दोनों के बीच कड़वाहट बढ़ती ही चली गई. साल 2007 में मायावती ने अपने दम पर उत्तर प्रदेश में सरकार बनाई तो सपा ने साल 2012 में पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता पर काबिज हुई. साल 2017 के विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद अपने वजूद को बचाने के लिए मायावती और अखिलेश ने एक बार फिर से गठबंधन किया और रालोद को भी अपने गठबंधन में शामिल किया है.


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शिवपाल ने नहीं उतारा मैनपुरी से प्रत्याशी

मैनपुरी जिले से मुलायम सिंह यादव साल 1996, 2004, 2009 और 2014 के लोकसभा चुनावों में जीतकर संसद पहुंच चुके हैं. सपा से अलग होकर अलग पार्टी बनाकर चुनाव लड़ रहे उनके भाई शिवपाल सिंह यादव भी मैनपुरी में नेताजी का समर्थन कर रहे हैं. मैनपुरी में करीब 38 प्रतिशत यादव के अलावा बड़ी संख्या में शाक्य मतदाता हैं.


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