पांचवां चरण: जानिए UP की 13 सीटों का समीकरण, कौन पड़ रहा किस पर भारी

लोकसभा चुनाव के नतीजे आने में अब केवल 19 दिन का वक्त बचा है और इन 19 दिनों में तीन चरणों के लिए वोटिंग होनी है. आज पांचवे चरण की वोटिंग के लिए चुनाव प्रचार थम जाएगा. इस चरण में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं की किस्मत दांव पर लगी है. पांचवें चरण में 6 मई को 7 राज्यों की 51 सीटों के लिए वोटिंग होगी. इस चरण में यूपी की सबसे ज्यादा-14, बिहार की 5, जम्मू-कश्मीर-2, झारखंड-4, मध्य प्रदेश-7, राजस्थान-12, और पश्चिम बंगाल की 7 सीटों पर वोट डाले जाएंगे. इस फेस में यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह और स्मृति ईरानी सहित कई दिग्गजों को अग्निपरीक्षा से गुजराना होगा.


यहां बीजेपी, कांग्रेस और गठबंधन के कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर है. जिन 13 सीटों पर वोटिंग होनी है, उनमें लखनऊ, मोहनलालगंज, बाराबंकी, सीतापुर, बहराइच, गोंडा, कैसरगंज, कौशांबी, धरौहरा, अमेठी, रायबरेली, फ़ैजाबाद और बांदा शामिल हैं. कांग्रेस की राह में सबसे बड़ी बाधा एसपी-बीएसपी-आरएलडी का गठबंधन है, जिसके पास ज्यादातर सीटों पर बड़ी तादाद में पारंपरिक और समर्पित वोटर हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में इन 14 में से 10 सीटों पर एसपी या बीएसपी के कैंडिडेट दूसरे नंबर पर रहे थे. कई सीटों पर एसपी-बीएसपी का सम्मिलित वोट शेयर बीजेपी उम्मीदवारों से ज्यादा था. ऐसे में कांग्रेस ने कई सीटों पर मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है.


पांचवें चरण में बीजेपी के राजनाथ सिंह, लल्लू सिंह, बृजभूषण शरण सिंह, स्मृति ईरानी, कौशल किशोर, कीर्तिवर्धन सिंह, कांग्रेस के राहुल गांधी, सोनिया गांधी, जितिन प्रसाद, प्रमोद आचार्य कृष्णम, कैसर जहां, तनुज पुनिया, आरके चौधरी, निर्मल खत्री, गठबंधन से पूनम सिन्हा, गुड्डू सिंह, सीएल वर्मा और इंद्रजीत सरोज जैसे दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर है.


लखनऊ

लखनऊ लोकसभा सीट भगवा का गढ़ माना जाती है. करीब तीन दशकों से इस सीट पर बीजेपी का कब्ज़ा है. 1991 से बीजेपी कभी यहां से नहीं हारी. मौजूदा सांसद राजनाथ सिंह एक बार फिर मैदान में हैं. गठबंधन ने यहां से शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी पूनम सिन्हा को मैदान में उतारा है. कांग्रेस की तरफ से आचार्य प्रमोद कृष्णम मैदान में हैं. पिछले चुनाव की बात करें तो राजनाथ सिंह ने कांग्रेस की रीता बहुगुणा जोशी को 2 लाख, 72 हजार 749 वोटों से मात देकर जीत हासिल की थी. सपा तीसरे और बसपा चौथे नंबर पर थी. इस बार सपा-बसपा साथ चुनाव लड़ रहे हैं. लेकिन पिछली बार के मतों को देखें तो इस बार भी बीजेपी का पलड़ा भारी ही नजर आ रहा है.


मोहनलालगंज

लखनऊ से सटी मोहनलालगंज सीट सुरक्षित सीट है. इस सीट पर कभी कांग्रेस का दबदबा था. 1991 से 1998 तक इस सीट पर बीजेपी का कब्ज़ा रहा. इसके बाद 1998 से लेकर 2009 तक इस सीट पर समाजवादी पार्टी काबिज रही. 2014 की मोदी लहर में एक बार फिर यहां कमल खिला. चौंकाने वाली बात ये है कि सुरक्षित सीट होने के बावजूद बसपा यहां से कभी नहीं जीती. इस बार गठबंधन के तहत चुनाव लड़ रही बसपा ने सीएल वर्मा को मैदान में उतारा है. उनके सामने बीजेपी के मौजूदा सांसद कौशल किशोर और कभी बसपा के दिग्गज नेता रहे आरके चौधरी कांग्रेस की ओर से मैदान में हैं. 2014 में कौशल किशोर ने बसपा के आरके चौधरी को एक लाख, 45 हजार 416 वोटों से मात देकर जीत हासिल की थी. इस बार त्रिकोणीय मुकाबला है.


बाराबंकी

राजधानी लखनऊ से ही सटी बाराबंकी सुरक्षित लोकसभा सीट पर भी इस बार दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल रहा है. यहां पर बीजेपी ने प्रत्याशी बदलते हुए उपेंद्र रावत को मैदान में उतारा है. कांग्रेस की तरफ से राज्य सभा सांसद पीएल पुनिया के बेटे तनुज पुनिया मैदान में हैं. गठबंधन की तरफ से सपा के राम सागर रावत चुनाव लड़ रहे हैं. एक दौर में बाराबंकी कांग्रेस का मजबूत गढ़ हुआ करता था. लेकिन वक्त के साथ सपा और बीजेपी इस इलाके में अपना आधार मजबूत करने में सफल रहे हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की प्रियंका रावत ने कांग्रेस उम्मीदवार पीएल पुनिया को 2 लाख, 11 हजार 878 मतों से मात दी थी. इस बार मुकाबला त्रिकोणीय है.


कैसरगंज

बाराबंकी से सटे कैसरगंज सीट पर भी इस बार दिलचस्प मुकाबला है. प्रियंका  रावत के कांग्रेस की ओर से मैदान में उतरने से यहां रोमांचक मुकाबला देखने को मिलेगा. बीजेपी ने एक बार फिर मौजूदा सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर दांव खेला है. लंबे समय तक बीजेपी में रहने वाले बृजभूषण शरण सिंह कुछ समय तक सपा में रहने के बाद फिर अपनी पुरानी पार्टी में लौट आए हैं. उनकी नजर 2014 सरीखी जीत के साथ जीत की हैट्रिक लगाने पर होगी. लेकिन सपा-बसपा गठबंधन और कांग्रेस में प्रियंका की एंट्री ने यहां का भी समीकरण बदल दिया है.


सीतापुर

सीतापुर लोकसभा सीट पर बीजेपी के राजेश वर्मा ने 2014 में बहुजन समाज पार्टी की उम्मीदवार कैसर जहां को करारी मात दी थी. एक बार फिर बीजेपी ने राजेश वर्मा को टिकट दिया है. लेकिन बसपा की कैसर जहां इस बार कांग्रेस से मैदान में हैं. बसपा ने नकुल दुबे को मैदान में उतारा है. इस सीट पर कुर्मी समुदाय के लोगों का प्रभाव रहा है. 2019 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन होने से एक बार फिर यहां का मुकाबला दिलचस्प हो गया है.



गोंडा

गोंडा लोकसभा सीट से सांसद कीर्तिवर्धन सिंह अब तक तीन बार चुनाव जीत चुके हैं. लेकिन उनका रिकॉर्ड रहा है कि वह एक चुनाव जीतने के बाद अगली बार हार जाते हैं. पिछले दो मौकों पर उनके साथ कुछ ऐसा ही हुआ. इस बार यह तीसरा मौका होगा जिसे वह दोहराना नहीं चाहेंगे. हालांकि पिछली दो बार वह सपा के टिकट से जीतते रहे और 2014 में वह बीजेपी के टिकट से चुनाव जीते थे. लेकिन 2019 के चुनाव में हालात बदले हुए हैं, क्योंकि सपा-बसपा एक साथ आ गए हैं तो प्रियंका गांधी के आने के बाद कांग्रेस में जोश भर गया है और प्रदेश में मुकाबला त्रिकोणीय होने के आसार है.


बहराइच

बहराइच लोकसभा सीट से बीजेपी की ओर से सावित्री बाई फुले ने पिछले चुनाव में जीत हासिल की थी, लेकिन इस बार चुनाव से कुछ महीने उन्होंने बगावती तेवर दिखाते हुए पार्टी छोड़ दी. बीजेपी ने यहां से अक्षयवर लाल गौड़ को मैदान में उतारा है. बीजेपी के लिए यह सीट आसान नहीं दिख रही, क्योंकि सपा-बसपा गठबंधन के बाद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित इस सीट को बचा पाना बेहद कठिन दिख रहा है.


कौशांबी

उत्तर प्रदेश की कौशांबी लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. इस बार यहां मुकाबला दिलचस्प है. यूपी के बाहुबली नेता रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया की पार्टी के मैदान में उतरने से मुकाबला दिलचस्प हो गया है. राजा भैया की जनसत्ता पार्टी की तरफ से शैलेंद्र कुमार चुनावी मैदान में हैं. बीजेपी ने अपने मौजूदा सांसद विनोद सोनकर को एक बार फिर उतारा है. जबकि सपा ने इंद्रजीत सरोज और कांग्रेस ने गिरीश चंद्र पासी पर भरोसा जताया है, जिसके चलते कौशांबी की सियासी लड़ाई काफी दिलचस्प हो गई है.


धौरहरा

धौरहरा लोकसभा सीट पर कांग्रेस की नैया पार लगाने का जिम्मा जितिन प्रसाद के हाथ में है. उनका मुकाबला बीजेपी की मौजूदा सांसद रेखा वर्मा और गठबंधन प्रत्याशी अरशद अहमद सिद्दीकी से है. इस सीट मुकाबला त्रिकोणीय होने की वजह से फायदा बीजेपी को हो सकता है.


अमेठी

अमेठी लोकसभा सीट कांग्रेस का गढ़ है. इस बार भी मुकाबला कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और बीजेपी की स्मृति ईरानी के बीच है. यह वह सीट है जिस पर कांग्रेस अपनी जीत का दावा कर सकती है. लेकिन स्मृति ईरानी उन्हें जोरदार टक्कर दे रही हैं.


रायबरेली

कांग्रेस का मजबूत किला रायबरेली सीट पर इस बार मुकाबला सोनिया गांधी और कभी गांधी परिवार के खास रहे दिनेश प्रताप सिंह के बीच है.


फैजाबाद

उत्तर प्रदेश की फैजाबाद लोकसभा सीट पर प्रदेश ही नहीं बल्कि देश की निगाह है. अयोध्या में राममंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद के चलते फैजाबाद लोकसभा सीट राजनीतिक तौर पर काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है. मौजूदा समय में इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है. लेकिन सपा-बसपा गठबंधन के बाद बीजेपी के लिए इस सीट पर वापसी करना एक बड़ी चुनौती बन गई है.


बांदा

बांदा लोक सभा सीट पर इस बार मुकाबला त्रिकोणीय है. सपा ने इलाहाबाद से बीजेपी सांसद श्यामाचरण गुप्ता को टिकट दिया है तो बीजेपी ने पूर्व सपा सांसद आरके पटेल को मैदान में उतारा है. कांग्रेस की तरफ से बाल कुमार पटेल मैदान में हैं. बाल कुमार पटेल दस्यु सरगना ददुआ के भाई हैं.


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