जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद घाटी में तनाव बढ़ता जा रहा है. भारत सरकार ने कथित रूप से राष्ट्र विरोधी और विध्वंसकारी गतिविधियों के लिये गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत अलगाववादी समूह जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर को प्रतिबंधित कर दिया है. यह निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा पर एक उच्च स्तरीय बैठक में लिया गया. जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर पर देश में राष्ट्र विरोधी और विध्वंसकारी गतिविधियों में शामिल होने और आतंकवादी संगठनों के साथ संपर्क में होने का आरोप है. जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर पर बैन लगाने के बाद सरकार ने बडी़ कार्रवाई की है और उनके नेताओं के कई घरों, दफ्तरों और संपत्तियों को सील कर दिया है.
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मजिस्ट्रेट ने जमात-ए-इस्लामी से जुड़े घरों और संस्थानों को सील करने का आदेश दिया था. इससे पहले सुरक्षा बलों ने पुलवामा में 14 फरवरी को हुए आतंकवादी हमले के बाद अलगाववादी ताकतों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की थी तथा जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर के कई नेताओं और समर्थकों को गिरफ्तार किया था.
200 नेताओं की किया गया गिरफ्तार
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार घाटी में पिछले चार दिनों में करीब 200 से अधिक जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर के नेताओं और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है. सरकारी अधिकारियों का कहना है कि जमात-ए-इस्लामी (जेईएल) ही जम्मू कश्मीर राज्य के सबसे बड़े आतंकवादी संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन और हुर्रियत कांफ्रेंस के गठन के लिए जिम्मेदार है. वहीं, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने जम्मू कश्मीर में जमात-ए-इस्लामी पर पाबंदी लगाने के केंद्र के फैसले की शुक्रवार को निंदा की और कहा कि यह राज्य के राजनीतिक मुद्दे से बाहुबल से निपटने की केंद्र सरकार की पहल का एक अन्य उदाहरण है.
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