जानें वो ‘असरदार’ काम जिसने वल्लभ भाई पटेल को दिलाई ‘सरदार’ की उपाधि, यहाँ पढ़ें पूरी कहानी

आज पूरे देश में राष्ट्रीय एकता दिवस (National Unity Day) धूमधाम से मनाया जा रहा है. सरदार वल्लभ भाई पटेल (Sardar Vallabhbhai Patel) की 146वीं जयंती के मौके पर पीएम नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ से लेकर तमाम बड़े नेता सरदार पटेल को श्रद्धांजलि दे रहे हैं. सरदार पटेल का जन्म  31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नडियाद में हुआ था. सरदार वल्लभ भाई पटेल (Sardar Vallabhbhai Patel) स्वतंत्र भारत के पहले उप-प्रधानमंत्री और गृह मंत्री थे. प्रति वर्ष 31 अक्टूबर को देश सरदार पटेल की जयंती के रूप में मनाता है. सरदार पटेल की 182 मीटर ऊंची प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’  का उद्घाटन करेंगे. जानकरी के लिए बता दें, कि ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है. देश की आजादी में वल्लभ भाई पटेल का बहुत महत्वपूर्ण योगदान है.

ऐसे मिली वल्लभ भाई को सरदार की उपाधि 

साल 1928 में गुजरात में बारडोली सत्याग्रह हुआ जिसका नेतृत्व वल्लभ भाई पटेल ने किया. यह प्रमुख किसान आंदोलन था. उस समय प्रांतीय सरकार किसानों से भारी लगान वसूल रही थी. सरकार ने लगान में 30 फीसदी वृद्धि कर दी थी. जिसके चलते किसान बेहद परेशान थे. वल्लभ भाई पटेल ने सरकार की मनमानी का कड़ा विरोध किया. सरकार ने इस आंदोलन को कुचलने की कोशिश में कई कठोर कदम उठाए. लेकिन अंत में विवश होकर सरकार को पटेल के आगे झुकना पड़ा और किसानों की मांगे पूरी करनी पड़ी. दो अधिकारियों की जांच के बाद लगान 30 फीसदी से 6 फीसदी कर दिया गया. बारडोली सत्याग्रह की सफलता के बाद वहां की महिलाओं ने वल्लभ भाई पटेल को ‘सरदार’ की उपाधि दी.

562 देशी रियासतों का एकीकरण कर बने लौह पुरुष 

देश आजादी से पहले अलग-अलग रियासतों में बटा हुआ था. लौहपुरुष सरदार पटेल ने 562 रियासतों का भारत में विलय करवाया था. भारत का जो नक्शा ब्रिटिश शासन में खींचा गया था, उसकी 40 प्रतिशत भूमि इन देशी रियासतों के पास थी. आजादी के बाद इन रियासतों को भारत या पाकिस्तान में विलय या फिर स्वतंत्र रहने का विकल्प दिया गया था. सरदार पटेल ने अपनी दूरदर्शिता, चतुराई और डिप्लोमेसी की बदौलत इन रियासतों का भारत में विलय करवाया था.

हैदराबाद के निजाम उस्मान अली खान को सिखाया सबक

हैदराबाद के निजाम उस्मान अली खान आसिफ ने स्वतंत्र रहने का फैसला किया. निजाम ने फैसला किया कि वे न तो भारत और न ही पाकिस्तान में शामिल होंगे. सरदार पटेल ने हैदराबाद के निजाम को खदेड़ने के लिए ऑपरेशन पोलो चलाया. साल 1948 में चलाया गया ऑपरेशन पोलो एक गुप्त ऑपरेशन था. इस ऑपरेशन के जरिए निजाम उस्मान अली खान आसिफ को सत्ता से अपदस्त कर दिया गया और हैदराबाद को भारत का हिस्सा बना लिया गया.

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