गो फर्स्ट एयरलाइन (Go First Airline) की दिवालिया याचिका को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने स्वीकार कर लिया है। एयरलाइन की याचिका पर एनसीएलटी ने 4 मई को सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया था। एनसीएलटी ने एयरलाइन को राहत देते हुए मोरेटोरियम की मांग को भी मान लिया है।
नहीं की जाएगी किसी भी कर्मचारी की छंटनी
मिली जानकारी के अनुसार, मोरेटोरियम यानी लेनदार किसी भी लोन के मामले में कोई लीगल एक्शन नहीं ले सकते। लीज पर एयरक्राफ्ट देने वाली फर्म्स अपने प्लेन वापस नहीं ले पाएंगी। ट्रिब्यूनल के आदेश के अनुसार किसी भी कर्मचारी की छंटनी नहीं की जाएगी। मैनेजमेंट का भी टेकओवर कर लिया गया है।
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जस्टिस रामलिंगम सुधाकर और एलएन गुप्ता की दो सदस्यीय बेंच ने कर्ज में डूबी कंपनी को चलाने के लिए अभिलाष लाल को इंटरिम रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल यानी आईआरपी नियुक्त किया है। वो एयरलाइन को रिवाइव करने के लिए मैनेजमेंट संभालेंगे। गो फर्स्ट के सस्पेंडेड बोर्ड को नियमित खर्च के लिए 5 करोड़ रुपए भी जमा कराने होंगे।
गो फर्स्ट के सीईओ ने बताया ऐतिहासिक फैसला
यह पहली बार है जब किसी भारतीय एयरलाइन ने खुद से ही अपने कॉन्ट्रेक्ट और कर्ज को रिनेगोशिएट करने के लिए बैंकरप्सी प्रोट्रेक्शन की मांग की है। इससे पहले सोमवार को एविएशन रेगुलेटर डीजीसीए ने गो फर्स्ट को नोटिस जारी कर 15 दिन में जवाब मांगा था। ऑपरेशन जारी रखने में फेल होने पर ये नोटिस दिया गया था।
वहीं, गो फर्स्ट के सीईओ कौशिक खोना ने एनसीएलटी के फैसले को कार्यवाही की गति के लिहाज से ऐतिहासिक बताया। यह सुनिश्चित करेगा कि एयरलाइन चलती रहे। उन्होंने कहा कि एयरलाइन के पास अभी भी 27 विमान ऑपरेशन में हैं। एनसीएलटी के मोरेटोरियम आदेश से लेसर्स (लीज पर एयरक्राफ्ट देने वाले) को विमान वापस लेने से रोका जा सकेगा।
19 मई तक सस्पेंड की गईं फ्लाइट्स
एयरलाइन ने सबसे पहले अपनी फ्लाइट्स 3, 4 और 5 मई के लिए कैंसिल की थीं। इसके बाद फ्लाइट सस्पेंशन को बढ़ाकर 9 मई तक किया। फिर 12 मई कर दिया गया। अब इसे 19 मई तक सस्पेंड कर दिया गया है। उसके पास फ्यूल भराने का भी पैसा नहीं है।
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