Waqf Law Challenged In Supreme Court: वक्फ संशोधन बिल (Waqf Amendment Bill), जिसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) ने अपनी मंजूरी दे दी है। यह बिल संसद के दोनों सदनों से पारित हो चुका है और अब कानून का रूप ले चुका है। बात दे कि, 8 अप्रैल 2025 से अधिनियम भी लागू कर दिया गया है। सरकार इसे अपनी बड़ी जीत मान रही है और इस पर उत्साहित है, क्योंकि इसे लेकर लंबी बहस हुई थी, जिसके बाद इसका पारित होना तय हुआ।
सुप्रीम कोर्ट में वक्फ कानून के खिलाफ याचिका
हालांकि, इस कानून के लागू होने के बाद भी एक पहलू बाकी है। कांग्रेस, आम आदमी पार्टी (AAP), और (AIMIM) ने वक्फ कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। इन दलों का आरोप है कि यह कानून संविधान के खिलाफ है और नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।
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क्या सुप्रीम कोर्ट वक्फ कानून को रद्द कर सकता है?
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)के पास यह अधिकार है कि वह संसद से पारित किसी भी कानून को रद्द कर सकता है, अगर यह साबित हो जाए कि वह संविधान के मूल ढांचे (Basic Structure) के खिलाफ है। यदि इस कानून को संविधान की बुनियादी धारा के खिलाफ पाया जाता है, तो सर्वोच्च अदालत इस पर हस्तक्षेप कर सकती है और इसे रद्द कर सकती है।
विपक्ष का तर्क
विपक्ष की याचिका का मुख्य आधार संविधान के अनुच्छेद 32 पर है, जो नागरिकों को मौलिक अधिकारों के हनन पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने का अधिकार देता है। विपक्ष का कहना है कि यह कानून मुस्लिम समुदाय की धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है, विशेषकर उस प्रावधान के कारण, जिसमें गैर-मुसलमानों को वक्फ बोर्ड में शामिल किया जा रहा है। इसके अलावा, विपक्ष का दूसरा तर्क यह है कि सरकार ने वक्फ बाय यूजर क्लॉज को समाप्त कर दिया है, जिससे वक्फ जमीनों पर हक के मामले में समस्या उत्पन्न हो सकती है।
क्या सुप्रीम कोर्ट में पहले भी कानूनों को चुनौती दी गई है?
सुप्रीम कोर्ट में पहले भी कई महत्वपूर्ण कानूनों को चुनौती दी गई है, जिनमें नागरिकता संशोधन कानून (CAA), राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण (NRC), और जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने के मामलों का उल्लेख किया जा सकता है। ये सभी मामलों में यह तर्क दिया गया कि इन कानूनों से संविधान का उल्लंघन हो रहा है। वर्तमान में वक्फ कानून भी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती का सामना कर रहा है।अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में क्या निर्णय लेता है। अगर अदालत इस कानून को संविधान के खिलाफ पाती है, तो यह सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती हो सकती है।