लखनऊ पुलिस का ये अधिकारी जिसने बंद कराया वसूली का खेल, राजधानी के हर इलाके में बनाई अलग पहचान

वैसे तो राजधानी लखनऊ में पुलिस का इतिहास कई रोमांचक किस्सों और जांबाजी से भरा हुआ है. साथ ही यहां के अनेक पुलिस अफसर अपने काम के बलबूते सुर्खियों में रहे और लोगों का विश्वास जीता. इनमें से एक है पीपीएस ज्ञानप्रकाश चतुर्वेदी. जिन्होंने अपराधियों की धरपकड़ से लेकर यातायात संचालन और ड्यूटी लगाने में वसूली का खेल बंद कराकर अपनी अलग पहचान बनाई.


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राजधानी लखनऊ में अपर पुलिस अधीक्षक अपराध, यातायात, प्रोटोकाल और विधानसभा सुरक्षा के पद पर तैनात रहे ज्ञानप्रकाश चतुर्वेदी हर संगीन वारदात को चुनौती मानकर अपराधियों को जल्द पकड़ने में जुट जाते थे. बता दें बंथरा क्षेत्र में तिहरे हत्याकांड और माल थाना क्षेत्र में दोहरे हत्याकांड का 24 घंटे के अंदर खुलासा करके उन्होंने आला अफसरों के साथ नागरिकों का विश्वास जीता. वहीं, स्वास्थ्य विभाग में सप्लाई हुई गाड़ियों के नंबरों की छानबीन शुरू की तो एनएचआरएम (NRHM) घोटाला सामने आया.


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कभी पान की दुकान पर तो कभी चाय के होटल में वहां के नागरिकों के साथ बातें करते नजर आने वाले ज्ञानप्रकाश चतुर्वेदी ने राजधानी के हर इलाके में अपनी पहचान बनाई. पुराने शहर में कानून व्यवस्था बिगड़ने पर अकेले मौके पर जाने में संकोच नहीं किया. विश्वविद्यालय में छात्रों के बीच छात्र, पुराने शहर में बुजुर्गों के बीच बुजुर्ग और युवाओं के बीच युवा के रूप में वार्तालाप करके लोगों को अपने साथ जोड़कर स्थिति संभाली. सभी आला अफसर इनकी सराहना करते थे.


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जब अपर पुलिस अधीक्षक यातायात के पद पर तैनाती के दौरान पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगाने में खेल की भनक लगी. तब चौराहे भेजे जाने पर सख्त कदम उठाते हुए साल भर का ड्यूटी चार्ट तैयार कराया. यातायात पुलिसकर्मियों को पता रहता था कि सप्ताह भर एक चौराहे पर ड्यूटी के बाद उन्हें किस तिराहे या चौराहे पर यातायात संचालन कराना है.


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शहर के व्यस्त चौराहों पर खुद खड़े होकर दोपहिया वाहन चालकों को सुरक्षा के प्रति जागरूक करने का अभियान चलाया. जिसके बाद हेलमेट लगाने वालों की संख्या 10 में 2 के स्थान पर 7 तक पहुंची. हेलमेट की क्लिप खुली देखकर वाहन चालक को रोकते और समझाते थे कि हेलमेट से सिर्फ सिर ढककर चालान से बचोगे, जबकि उसकी क्लिप लगाकर खुद की जान बचा सकते हो.


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