राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) इन दिनों उत्तर प्रदेश (UttarPradesh) के दौरे पर हैं। 17 से 21 अप्रैल तक उनका प्रवास ब्रज प्रांत के तहत अलीगढ़ में हो रहा है। इस दौरान वे संघ के शताब्दी वर्ष की तैयारी, शाखाओं के विस्तार और सामाजिक समरसता जैसे मुद्दों पर पदाधिकारियों से संवाद कर रहे हैं।
“संघ ही शाखा का आधार” – भागवत
शनिवार सुबह मोहन भागवत ने एचबी इंटर कॉलेज, अलीगढ़ में लगी सनातन शाखा में भाग लिया। उन्होंने स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए कहा, “संघ की आत्मा शाखा है, और हमें इसे और अधिक मजबूत करना है। हर स्वयंसेवक शाखाओं के विस्तार में भूमिका निभाए।”
शताब्दी वर्ष में एक लाख शाखाओं का लक्ष्य
संघ का शताब्दी वर्ष, 2025, ऐतिहासिक महत्व का है। 1925 में स्थापित संघ अब अपने सौ वर्ष पूरे कर रहा है। इस अवसर पर RSS का लक्ष्य है कि देशभर में शाखाओं की संख्या को 83,129 से बढ़ाकर एक लाख किया जाए। इसके लिए ग्राम पंचायत स्तर तक शाखाएं स्थापित करने की रणनीति बनाई जा रही है।
‘हर घर संघ’ अभियान की शुरुआत
भागवत ने ब्रज और मेरठ प्रांत के पदाधिकारियों के साथ बैठक में ‘हर घर संघ’ का मंत्र दिया। इस अभियान के तहत हर गांव, हर परिवार तक संघ की विचारधारा और शाखाओं की पहुंच सुनिश्चित करने की योजना है। उन्होंने कहा कि “जहां संघ का अनुकूल वातावरण नहीं है, वहां इसे बनाना हमारी प्राथमिकता है।”
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सामाजिक समरसता पर विशेष जोर
मोहन भागवत ने कहा कि जातिवाद के नाम पर हो रही राजनीति देश की प्रगति में बाधा बन रही है। “संघ का प्रयास है कि हम हर जाति, हर वर्ग तक पहुंचे। सामाजिक समरसता ही भारत के विकास का रास्ता है।”
परिवार से समाज निर्माण तक
संघ की एक और महत्वपूर्ण गतिविधि ‘कुटुंब प्रबोधन’ है, जिसे पांच बिंदुओं पर आधारित बताया गया है। भजन, भोजन, भवन, भाषा और भ्रमण। भागवत ने कहा, “दिन में एक बार पूरे परिवार का साथ बैठकर भोजन करना, मातृभाषा में संवाद और हिंदू संस्कृति को घर-घर में जीवित रखना ज़रूरी है।”
बाल शाखा में भी लेंगे हिस्सा
शनिवार शाम को मोहन भागवत पंचनगरी, आगरा रोड पर भगत सिंह के नाम से संचालित बाल शाखा में हिस्सा लेंगे। इससे पहले शुक्रवार को उन्होंने सन्नो देवी कन्या महाविद्यालय, केशव भवन परिसर की शाखा में भी भाग लिया था।
सेवा कार्यों से जोड़े जाएंगे अधिक क्षेत्र
संघ प्रमुख ने यह भी कहा कि जिन क्षेत्रों में संघ की उपस्थिति कमजोर है, वहां आर्थिक और सामाजिक सेवा कार्यों के जरिए माहौल को अनुकूल बनाया जाएगा। उन्होंने ज़ोर दिया कि सेवा, संस्कार और संगठन के माध्यम से ही शाखाओं का दायरा बढ़ाया जा सकता है।