जवाहरलाल नेहरू के पैतृक निवास ‘आनन्द भवन’ को नगर निगम ने भेजा 4 करोड़ 19 लाख हाउस टैक्‍स बकाए का नोटिस, कांग्रेस ने योगी सरकार पर बोला हमला

देश की आजादी की लड़ाई का मुख्य केन्द्र रहे नेहरू-गांधी खानदान के पैतृक आवास आनन्द भवन (Anand Bhawan) को प्रयागराज नगर निगम (Prayagraj Municipal Corporation) ने चार करोड़ 19 लाख के गृह कर (House Tax) बकाए का नोटिस भेज दिया है. नगर निगम ने यह नोटिस इस भवन के कमर्शियल उपयोग किए जाने के आधार पर भेजे जाने की बात कह रहा है. दरअसल, जवाहर लाल नेहरू मेमोरियल फंड की ओर से आनन्द भवन में म्यूजियम और प्लेनेटोरियम का संचालन होता है, जिसे देखने प्रति दिन हजारों लोग आते हैं और उनसे टिकट के पैसे भी ट्रस्ट वसूल करता है. जबकि कांग्रेस पार्टी ने आनन्द भवन को हाउस टैक्स का नोटिस भेजे जाने को लेकर सियासी बखेड़ा खड़ा कर दिया है. कांग्रेस पार्टी ने साबरमती ट्रस्ट और संसद पर भी टैक्स लगाने की मांग कर दी है.


नेहरू-गांधी खानदान के पैतृक आवास स्वराज भवन और आनन्द भवन को पूर्व प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी ने 70 के दशक में राष्ट्र को समर्पित कर दिया था. बाद में इसके रखरखाव के लिए ट्रस्ट बनाया गया. आनन्द भवन और स्वराज भवन की जिम्मेदारी जवाहर लाल नेहरू मेमोरियल फंड को सौंपी गई. स्वराज भवन में जहां बाल भवन बनाया गया, वहीं आनन्द भवन में म्यूजियम और प्लेनेटोरियम संचालित हो रहा है. इसमें प्रतिदिन हजारों लोग आते हैं. इसके रखरखाव के लिए ही यहां आने वाले लोगों से प्रवेश शुल्क लिया जाता है. जिस आधार पर ही नगर निगम ने इसे कमर्शियल गतिविधि मानते हुए गृहकर का नोटिस भेज दिया है.


नगर निगम के मुताबिक पहले आनन्द भवन का गृहकर जमा किया जाता था, लेकिन कई वर्षों से गृहकर अब जमा नहीं हो रहा है. इसके चलते आनन्द भवन पर दो करोड़ 71 लाख 13 हजार 534 रुपये का बकाया है. ब्याज समेत यह धनराशि चार करोड़ 19 लाख 57 हजार 495 रुपये हो गई है. वहीं, गृहकर का नोटिस भेजे जाने के बाद जवाहर लाल नेहरू मेमोरियल फंड के प्रशासनिक सचिव डॉ एन. बाला कृष्णन ने 8 नवम्बर को मेयर को पत्र लिखा है. इसमें उन्होंने कहा है कि चैरिटेबल ट्रस्ट की गतिविधि कमर्शियल नहीं हो सकती है. उन्होंने गृहकर का मूल्यांकन गलत होने की बात कही है. वहीं नगर निगम की नोटिस के बाद कांग्रेस पार्टी ने योगी सरकार पर हमला बोला है. इसे सियासी साजिश बताते हुए साबरमती ट्रस्ट और संसद पर भी टैक्स लगाने की मांग की है.


वहीं, दूसरी ओर मेयर अभिलाषा गुप्ता नंदी का कहना है कि आनन्द भवन प्रबंधन ने बढ़ने वाले हाउस टैक्स पर कभी कोई आपत्ति नहीं दर्ज कराई है. आनन्द भवन की ओर से आपत्ति न दर्ज कराये जाने से बकाया बढ़ता रहा. मेयर का कहना है कि अगर आनन्द भवन प्रबंधन की ओर से कोई आपत्ति आती है तो उस पर विचार किया जायेगा. उनके मुताबिक नगर निगम के बड़े बकायेदारों में आनन्द भवन भी शामिल है. इसलिए ये नोटिस भेजा गया है. हांलाकि उन्होंने कहा है कि पहले 600 रुपये सालाना गृहकर लगता था, लेकिन इससे पहले आनन्द भवन की ओर से कभी आपत्ति नहीं दर्ज करायी गई थी. उन्होंने कहा है कि आनन्द भवन की ओर से कभी यह जानकारी नगर निगम को दी ही नहीं गई कि हम चैरिटेबल ट्रस्ट हैं और यह भवन राष्ट्र को समर्पित है. मेयर ने कहा है कि जवाहर लाल नेहरू मेमोरियल फंड के प्रशासनिक सचिव डॉ एन. बालाकृष्णन ने पहली बार इस मामले में पत्र लिखकर गृहकर का मूल्यांकन गलत होने की बात कही है और पुर्नमूल्यांकन की भी मांग की है. मेयर ने कहा है कि यदि इस सम्बन्ध में जवाहर लाल नेहरू मेमोरियल फंड की ओर से कोई कागजात मुहैया कराये जाते हैं तो कार्यकारिणी में गृहकर कम करने पर विचार किया जायेगा.


जबकि नगर निगम के मुख्य कर निर्धारण अधिकारी पीके मिश्रा के मुताबिक 2003 से आनन्द भवन का गृहकर बकाया है. उन्होंने कहा है कि हर साल गृहकर बकाये का बिल भेजा जाता और ट्रस्ट की ओर से पार्ट पेमेन्ट भी किया जाता रहा है. उनके मुताबिक आनन्द भवन के पूरे परिसर को लेकर कर का निर्धारण किया जाता है. मुख्य कर निर्धारण अधिकारी के मुताबिक आनन्द भवन पर अनवासीय कर निर्धारित किया गया है. उनके मुताबिक नगर निगम की कर निर्धारण नियमावली के तहत ही कर का निर्धारण किया गया है.


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