राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने रविवार को स्वयंसेवकों से जाति, पंथ, क्षेत्र और भाषा की परवाह किए बिना समाज में मित्रता बढ़ाने की अपील की। उन्होंने कहा कि ‘स्वयंसेवक’ समाज के कल्याण के लिए उत्प्रेरक की भूमिका निभाते हैं।
जल, जमीन और मंदिरों की सुरक्षा पर जोर
गुवाहाटी में एक कार्यक्रम के दौरान भागवत ने कहा कि जहां-जहां आरएसएस सक्रिय है, वहां हिंदुओं की जल, जमीन, मकान, मंदिर और श्मशान की रक्षा करनी होगी। इसके साथ ही उन्होंने स्वदेशी आचरण अपनाने और मातृभाषा को प्राथमिकता देने की अपील की। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जहां जरूरत हो, वहां अंग्रेजी का इस्तेमाल किया जा सकता है।
सामाजिक सद्भाव और पर्यावरण संरक्षण की अपील
भागवत ने कहा कि समाज में विभिन्न जातीय समूहों के बीच स्थायी सांप्रदायिक सद्भाव और आपसी मेल-जोल से राष्ट्र सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ेगा। उन्होंने जल संरक्षण, पौधारोपण और प्लास्टिक के उपयोग को कम करने की अपील करते हुए पर्यावरण बचाने की जिम्मेदारी समाज पर डाली।
मातृभाषा को दें प्राथमिकता
आरएसएस प्रमुख ने मातृभाषा के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि हर भारतीय को भोजन, आवास, यात्रा और आत्म-अभिव्यक्ति के दौरान अपनी मातृभाषा का ही उपयोग करना चाहिए। उन्होंने विदेशी भाषाओं के बजाय भारतीय भाषाओं को अपनाने पर जोर दिया।
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संजय सिंह ने भागवत के बयान पर उठाए सवाल
आरएसएस प्रमुख के इस बयान पर आम आदमी पार्टी (AAP) के सांसद संजय सिंह ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हिंदू समाज के दलितों, आदिवासियों और किसानों की जमीनें लगातार छीनी जा रही हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासन, माफिया और बड़ी कंपनियों द्वारा जबरन कब्जा किए जाने पर न तो सरकार और न ही आरएसएस कोई कदम उठा रहा है।
संजय सिंह ने आरएसएस प्रमुख के अंग्रेजी भाषा पर दिए बयान पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि हाल ही में उत्तर प्रदेश विधानसभा में अंग्रेजी को शामिल किया गया है, जबकि मोहन भागवत इसके विरोध में दिख रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि आरएसएस और भाजपा के बीच अंदरूनी मतभेद अब सार्वजनिक रूप से सामने आने लगे हैं।
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