Surya Grahan 2023: 20 अप्रैल को 100 साल बाद लगेगा हाइब्रिड सूर्य ग्रहण, सूतक काल में भूलकर भी न करें ये गलतियां

Hybrid Surya Grahan 2023: वैशाख अमावस्या के दिन 20 अप्रैल को साल का पहला सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है. विज्ञान की भाषा में इसे खगोलीय घटना कहा जाता है. लेकिन अध्यात्मिक दृष्टिकोण से इसके अलग ही मायने हैं. हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार ग्रहण शुरू होने से 12 घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाता है. सूतक व ग्रहण काल के दौरान खान-पान व पूजा-पाठ की मनाही होती है. हालांकि, गुरुवार को लगने वाला सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा. लेकिन कई ज्योतिषाचार्य लोगों को कई तरह की सावधानियां बरतने की हिदायत दे रहे हैं.

20 अप्रैल 2023 वैशाख अमावस्या को साल का पहला सूर्य ग्रहण लग रहा है, जिसे वैज्ञानिकों ने हाइब्रिड सूर्य ग्रहण का नाम दिया है. ऐसा ग्रहण 100 साल में एक बार ही लगता है. हाइब्रिड सूर्य ग्रहण आंशिक, पूर्ण और कुंडलाकार सूर्य ग्रहण का ही मिश्रण है. 20 अप्रैल को लगने वाले सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य मेष राशि में विराजमान होंगे और गुरु मेष राशि में आकर सूर्य के साथ युति करेंगे.

ग्रहण काल सुबह 07 बजकर 12 मिनट से प्रारंभ होकर दोपहर 12 बजकर 32 मिनट तक रहने वाला है. लेकिन ग्रहण का सूरत काल 12 घंटे पहले शुरू हो जाता है. हालांकि भारत में ग्रहण का असर नहीं दिखेगा. फिर भी लोगों को इस दौरान पूजा-पाठ से बचना चाहिए. खास कर गर्भवति महिलाओं को विशेष तौर पर एहतियात बरतनी चाहिए.

सूतक काल में किसी तरह की सिलाई, बुनाई, कढ़ाई, भोजन पकाना, खाना खाना, आदि कार्य नहीं करना चाहिए. सूर्य ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को विशेष ध्यान रखने की जरूरत है. इन्हें ग्रहण काल में घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए. सूर्य को देखने की मनाही रहती है. अपने शरीर को खुजाने से परहेज करना चाहिए.

सूतक व ग्रहण काल में पूजा-पाठ की मनाही रहती है. मंत्रों का जाप कर सकते हैं. वहीं, ग्रहण खत्म होने के बाद पवित्र नदी या तालाब में स्नान करना चाहिए. यदि घर के आसपास नदि या तालाब ना हो तक घर पर भी स्नान कर सकते हैं. उसके बाद श्रद्धा के अनुसार दान करना चाहिए.

क्या होता है सूतक काल

सूर्य ग्रहण से 12 घंटे पहले सूतक लग जाता है. इस दौरान किसी भी तरह का कोई शुभ काम या पूजा-पाठ करना वर्जित होता है. सूतक काल के दौरान मंत्रों का जाप करते रहना चाहिए. ग्रहण की समाप्ति के बाद सूतक काल खत्म हो जाता है. ग्रहण के बाद पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए और स्नान करना चाहिए.

आंशिक, पूर्ण और कुंडलाकार ग्रहण

आंशिक सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा, सूर्य के किसी छोटे हिस्से के सामने आकर रोशनी रोकता है, तब आंशिक सूर्य ग्रहण होता है. कुंडलाकार सूर्य ग्रहण में चंद्रमा सूर्य के बीच आकर रोशनी रोकता है, तब चारों तरफ एक चमकदार रोशनी का गोला बनता है, इसे रिंग ऑफ फायर कहते हैं. वहीं पूर्ण सूर्य ग्रहण तब होता है जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा एक सीधी रेखा में होते हैं. इसके कारण पृथ्वी के एक भाग पर पूरी तरह से अंधेरा छा जाता है. तब पूर्ण सूर्य ग्रहण की स्थिति बनती है. इसे खुली आंखों से बिना किसी यंत्र के भी देखा जा सकता हैं.

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