लखनऊ: खरीफ और रबी की प्रमुख फसल क्रमशः धान और गेहूं की कटाई के बाद अमूमन अगली फसल की तैयारी के लिए किसान इन फसलों के अवशेष पराली ठूंठ को जलाते हैं. हालांकि जागरूकता और सख्ती के कारण इसमें खासी कमी आई है, पर योगी सरकार इस पराली को किसानों की आय का जरिया बनाकर इस समस्या का स्थायी हल चाहती है. पिछले साल (2022) जैव ऊर्जा नीति से इसकी भूमिका तैयार हो गई थी. चंद रोज पहले हुई प्रदेश कैबिनेट की बैठक में इसकी प्रक्रिया भी तय कर दी गई. निकट भविष्य में इसके कई लाभ होंगे. एक तो पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण का स्थायी हल निकलेगा. साथ ही पराली किसानों की आय का जरिया बनेगी.
स्थानीय स्तर पर बढ़ेंगे रोजगार के मौके
पराली को बायोडीजल में प्रसंस्कृत करने के लिए हर जिले में लगने वाली इकाइयों के अलावा स्थानीय स्तर पर कलेक्शन, लोडिंग, अनलोडिंग और ट्रांसपोर्टेशन पर रोजगार के अवसर सृजित होंगे. रही बाजार की बात तो हाल ही में केंद्रीय पेट्रोलियम एवम प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने हाई स्पीड डीजल के साथ बायोडीजल के मिश्रण संबधी निर्देश भी जारी किए हैं. इससे तैयार बायोडीजल को बड़ा बाजार उपलब्ध होगा. कैबिनेट की बैठक पर जितना जल्दी अमल होगा उतना ही उप्र के किसानों को लाभ भी होगा.
उल्लेखनीय है कि कैबिनेट की बैठक में बायोडीजल के उत्पादन और बिक्री की प्रक्रिया तय की गई है. इसके अनुसार उत्पादन की अनुमति उत्तर प्रदेश नवीन एवम नवीकरणीय ऊर्जा विभाग (यूपी नेडा) देगा। स्थानीय स्तर पर संबंधित जिले के जिलाधिकारी बिक्री के बावत लाइसेंस देंगे.
पिछले साल आई जैव ऊर्जा नीति से ही बन गई थी भूमिका
इसके पूर्व 20222 में सरकार जैव ऊर्जा नीति भी ला चुकी है. इस नीति में बायोफ्यूल को बढ़ावा देने को लेकर कई तथ्यों का उल्लेख है. मसलन यह नीति कृषि अपशिष्ट आधारित बायो सीएनजी, सीबीजी (कंप्रेस्ड बायो गैस) इकाइयों को कई तरह के प्रोत्साहन देगी. मुख्यमंत्री पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि सरकार इस तरह की इकाइयां हर जिले में लगाएगी. इस तरह का एक प्लांट करीब 160 करोड़ रुपये की लागत से इंडियन ऑयल गोरखपुर के दक्षिणांचल स्थित धुरियापार में लगा भी रहा है. उम्मीद है कि यह शीघ्र चालू हो जाएगा. इसमें फसल गेहूं-धान की पराली के साथ, धान की भूसी, गन्ने की पत्तियों और गोबर का उपयोग होगा. हर चीज का एक तय रेट होगा. इस तरह फसलों के ठूंठ के भी दाम मिलेंगे. इस तरह की इकाइयां लगाने के कई आवेदन सरकार के पास भी पड़े हैं. कैबिनेट की मंजूरी से आई स्पष्टता के कारण अब इसमें तेजी आएगी. सीएनजी एवं सीबीजी के उत्पादन के बाद जो कंपोस्ट खाद उपलब्ध होगी, वह किसानों को सस्ते दामों पर उपलब्ध कराई जाएगी.
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